कर्मचारियों के बेगार करने के क्रम में दैनिक जागरण, मेरठ में भी इसकी सुगबुगाट शुरू हो गई है. मेरठ में सीधे छंटनी करने या इस्तीफा मांगे जाने की बजाय तबादला नीति पर काम किए जाने की संभावना जताई जा रही है. सूत्रों का कहना है कि स्थानीय डाइरेक्टरों ने कर्मचारी सरप्लस ना होने की बात कही है इसके बावजूद नोएडा प्रबंधन संख्या करने करने को कह चुका है. सूत्रों का कहना है कि प्रबंधन ने कुछ लोगों को शनिवार को बुलाया था, परन्तु मौके की नजाकत को देखते हुए ये लोग नहीं पहुंचे.
दैनिक जागरण में जिस तरीके से छंटनी का दौर चल रहा है, उसमें सारे यूनिटों में से कम से कम दस फीसदी कर्मचारियों की संख्या कम करने की योजना बनाई गई है. सूत्रों का कहना है कि मेरठ में भी कम से कम ग्यारह लोगों की लिस्ट तैयार की गई है, जिसमें तीन लोग परमानेंट कर्मचारी हैं जबकि अन्य आठ कांट्रैक्ट के तहत काम करने वाले लोग हैं. इसमें एडिटोरियल से लेकर अन्य दूसरे विभागों के कर्मी भी शामिल हैं. प्रबंधन इनमें से कुछ का सीधे इस्तीफा ले लेगा, जबकि अन्य का तबादला ऐसी जगहों पर कर दिया जाएगा, जहां वे जाने की बजाय इस्तीफा देना ज्यादा बेहतर समझेंगे.
मेरठ में इसके पहले भी इसी तरीके से छंटनी के काम को अंजाम दिया जा चुका है, लिहाजा प्रबंधन उसी आजमाई हुई रणनीति के सहारे 'सांप भी मर जाए और लाठी ना टूटे' की तर्ज पर काम कर रहा है. उल्लेखनीय है कि तीन साल पहले भी दैनिक जागरण, मेरठ प्रबधंन ने 21 लोगों को तबादला दूसरे यूनिटों में किया था, जिसके बाद मात्र तीन लोगों ने नए यूनिटों में ज्वाइन किया जबकि बाकी डेढ़ दर्जन लोगों ने संस्थान से इस्तीफा देकर दूसरा ठौर तलाशने निकल पड़े. इस बार भी यही रणनीति अपनाई जाने वाली है. समझा जा रहा है कि सोमवार तक सब कुछ क्लीयर कर दिया जाएगा.
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