अपने पेशे के प्रति कम और राजनीतिक दलों के साथ अधिक निष्ठा दिखाई है यूपी के कई नामचीन पत्रकारों ने, इस कला को मीडिया और जनता ने भी देखा है। यूएनआई में कभी पत्रकार रहे एक महाशय शुरुआती समय सपा के कई नेताओं के करीबी रहे। लेकिन सपा में इन पत्रकार महोदय का मिशन नहीं पूरा हो पाया। लेकिन गोमती नगर के विराज खण्ड में 1/61 सब्सिडी प्लाट प्राप्त करने में जरूर सफलता हासिल की। इन्होंने बीते एक दशक के अंदर अपनी निष्ठा में बदलाव करते हुए बसपा सुप्रीमो पर एक किताब लिख डाली।
इस किताब के बल पर इन पत्रकार महोदय को 2007 में बनी बसपा सरकार में मीडिया सलाहकार का पद प्राप्त हुआ। बसपा सरकार के कार्यकाल के दौरान कार्यकर्ता बने यह पत्रकार महोदय मीडिया को हेय की दृष्टि से देखते रहे। इस दौरान अपने प्रभाव के बल पर जमकर अवैध धन की उगाही की। गोमती नगर के अतिरिक्त नोएडा में भी प्लाट हासिल किए हैं। मौजूदा समय इन पत्रकार महोदय की माली हालत करोड़पति की है। इन पत्रकार महोदय का जोड़तोड़ का कारनामा का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि अपनी अल्प शिक्षित श्रीमती को सूचना आयुक्त जैसे महत्वपूर्ण पद पर तैनात करवाने में कामयाब रहे। सरकार भले ही नहीं है, लेकिन ठसका अभी भी उसी तरह से बरकरार है।
सूबे के सबसे अधिक प्रसार संख्या वाले से लेकर सबसे अधिक विवादित समाचार पत्र के सम्पादक रहे पत्रकार के कारनामों से मीडिया अच्छी तरह से परिचित हैं। लेकिन इन पत्रकार महोदय ने राजनीतिक दल के प्रति निष्ठा के एवज में सूचना आयुक्त का पद हासिल कर लिया। पांच साल तक इस पद पर बने रहने के दौरान सपा-बसपा के नेताओं को अपनी कीमती सलाह से गुमराह करते रहे। सूचना आयुक्त पद से रिटायर होने के बाद अब उनकी सलाह किसी भी राजनीतिक दल को रास नहीं आ रही है। इस लिए दुबारा पत्रकार बनने की कसरत कर रहे हैं। राजनीतिक दल और मीडिया ने इन पत्रकार महोदय का असल चेहरा देखकर अपनी दूरी बनाए रखी है।
त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.