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भ्रष्‍ट पत्रकारिता (14) : नाम का रोजगार, पर करोड़पति शरद प्रधान!

मन मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
झूठों के घर पंडित बांचें, कथा सत्य भगवान की,
जय बोलो बेईमान की!

मन मैला, तन ऊजरा, भाषण लच्छेदार,
ऊपर सत्याचार है, भीतर भ्रष्टाचार।
झूठों के घर पंडित बांचें, कथा सत्य भगवान की,
जय बोलो बेईमान की!

प्रजातंत्र के पेड़ पर, कौआ करें किलोल,
टेप-रिकार्डर में भरे, चमगादड़ के बोल।
नित्य नई योजना बन रहीं, जन-जन के कल्याण की,
जय बोलो बेईमान की!

प्रसिद्ध कवि काका हाथरसी की यह कविता सूबे के वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान पर सटीक साबित होती हैं। नेशनल हेरल्ड समाचार पत्र से अपने कैरियर शुरू करने वाले ये पत्रकार महानुभाव भले ही अपनी कलम से कोई खास कारनामा न कर पाए हो, लेकिन जनहित याचिका के माध्यम से भ्रष्टाचार के आरोप में यूपी के दो पूर्व मुख्य सचिवों की कुर्सी से बेदखल कराने की उपलब्धि जरूर हासिल की है। लेकिन नौकरशाही के भ्रष्टाचार को उजागर करते-करते उसी दलदल में फंस गए हैं। अपनी पहुंच और प्रभाव के बल पर जहां झूठे हलफनामों के सहारे सरकारी आवास का लुत्फ उठा रहे हैं वहीं लखनऊ विकास प्राधिकरण की कई योजनाओं में प्लॉट लेकर अकूत अचल सम्पत्ति के मलिक बन गए हैं।

उल्लेखनीय है कि यूपी के पूर्व मुख्य सचिव अखण्ड प्रताप सिंह और नीरा यादव पर भ्रष्टाचार का आरोप लगा जनहित याचिका करने से सुर्खियों में आए वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान का विवादों से गहरा नाता रहा है। श्री प्रधान का 24 शंकर नगर लखनऊ में पैतृक आवास है। मौजूदा समय श्री प्रधान सरकारी कालोनी दिलकुशा के आवास संख्या बी-4 में रह रहे हैं। लखनऊ विकास प्राधिकरण के रिकार्ड के मुताबिक पत्रकार कोटे के तहत अलीगंज में आवासीय योजना के तहत सीपी-19 आवास शरद चंद्र प्रधान के नाम से आवंटित है। गोमती नगर के विजय खण्ड में प्लाट संख्या 3/13 शरत सी. प्रधान के नाम से आवंटित है। गोमती नगर में ही विनीत खण्ड में 5/185 प्लाट कामिनी प्रधान के नाम पर आवंटित है। लखनऊ विकास प्राधिकरण ने 30 मार्च 1988 को कानपुर रोड योजना के तहत एक दुकान शरत सी. प्रधान के नाम से आवंटित है। गोमती नगर के विशेष खण्ड में बी- 2/163 शरत सी. प्रधान के नाम से आवंटित है। पत्रकार शरत प्रधान ने अपने पुत्र कुनाल प्रधान के नाम से गोमती नगर के वास्तु खण्ड में प्लॉट संख्या 3/793 आवंटित करवाया है। इस प्लॉट के आवंटन के लिए श्री कुनाल ने अपना पता बी-63 आदिति अर्पाटमेंट नई दिल्ली दर्शाया है।

इन अचल सम्पत्तियों से वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान की कार्यप्रणाली का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। श्री प्रधान ने इन सम्पत्तियों को हासिल करने के लिए कई बार अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर जहां मनचाहा भूखण्ड प्राप्त किया वहीं ब्याज को भी माफ करवाया। श्री प्रधान ने इन सम्पत्तियों को हासिल करने के लिए तमाम नियमों को ताक पर रखकर झूठे हलफनामें दिए हैं। सबसे खास बात यह है कि अगर आपके पास कोई नौकरी नहीं है और करोड़पति बनना चाहते हैं तो इस विधा का प्रशिक्षण इन महानुभव पत्रकार से ले सकते हैं। इन महानुभव पत्रकार के पास कोई स्थाई नौकरी न होने के बावजूद करोड़ों रुपए की चल-अचल सम्पत्ति बनाने की अजब पैटर्न तैयार किया है। जिससे करोड़पति आसानी से बना जा सकता है। तमाम पत्रकारों ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि शरत प्रधान की अनैतिक कार्यप्रणाली से पत्रकारिता की छवि धूमिल हुई है। इन पत्रकारों का मानना है कि जब आईएएस अफसर, वकील और नेताओं के भ्रष्टाचार को लेकर उनके संगठन या सहयोगी दागियों को चिन्हित करने का अभियान चला सकते हैं तो पत्रकार संगठनों को भी अपने बीच इस तरह के पत्रकारों को चिहिंत करने का अभियान चलाया जाना चाहिए। जिससे पत्रकारिता की गरिमा को बरकरार रखा जा सके।

2005 में मुख्यमंत्री के पूर्व सचिव चंद्रमा प्रसाद यादव और लखनऊ विकास प्राधिकरण के तत्कालीन उपाध्यक्ष बी.बी. सिंह ने एक प्रेसवार्ता कर सब्सिडी से प्लॉट लेने वाले पत्रकारों के नामों का खुलासा किया था। इस प्रेसवार्ता में शरद प्रधान और उनकी पत्नी व पुत्र के नाम से चार प्लॉट के बारे में बताया गया था। मौजूदा समय दिलकुशा के आवास संख्या बी-4 में सरकारी आवास में रह रहे हैं वहां पर मीडिया टेक के नाम से एक कम्पनी भी चल रही है। यह कम्पनी होर्डिग्स बैनर का काम कर रही है। श्री प्रधान ने अपने सरकारी आवास की पहली मंजिल पर राज्य सम्पत्ति विभाग की अनुमति के बगैर एक कमरे का निर्माण करवाया लिया गया है। कई पत्रकारों ने बताया कि आईएएस विजय शंकर पाण्डेय के इशारे पर पूर्व मुख्य सचिव अखण्ड प्रताप सिंह और नीरा यादव के खिलाफ जनहित याचिका की थी।

समाचार पत्र समाजवाद का उदय के वरिष्ठ संवाददाता प्रभात त्रिपाठी ने कहा कि जिन पत्रकारों ने सरकार से सब्सिडी पर आवास या भूखण्ड ले, उन पत्रकारों को सरकारी आवास छोड़ देने चाहिए। उन्होंने कहा कि कई पत्रकारों के भ्रष्ट आचरण की वजह से पत्रकारिता का स्तर दिनों-दिन गिरता जा रहा है। आईएफडब्ल्यूजे के अध्यक्ष के. विक्रम राव ने कहा कि पत्रकारों के भ्रष्ट कारनामों की जांच सरकार करें। उन्होंने कहा कि एक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से हजरतगंज में कराए गए सौंदर्यीकरण घोटाले में कुछ पत्रकारों की भूमिका पाई गई थी। उन्होंने मुख्यमंत्री से इस मामले की जांच की मांग की थी। श्री राव ने कहा कि पत्रकारिता में ऐसे-ऐसे लोगों का आगमन हो गया है, जिनका पत्रकारिता से दूर-दूर तक नाता नहीं है, वे केवल दलाली के लिए इस पेशे में आ गए हैं। इस संबंध में वरिष्ठ पत्रकार शरद प्रधान से सम्पर्क किए जाने पर प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई।

त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्‍य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.

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