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‘नमो’ और ‘जया’ हैं, तो ‘रागा’ और ‘पीचिद्दी’ भी आ सकते हैं

गुजरात में आगामी विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार और भाषणों के प्रसारण के लिए केबल टीवी चैनल ‘नमो’ की शुरुआत हेतु कमर कस रहे हैं। ‘नमो’, श्री मोदी के नाम का संक्षिप्त रूप (नरेन्द्र का ‘न’ और मोदी का ‘मो’) तो है ही, इसके अलावा इसका गुजराती में एक और अर्थ है, ‘नीचे झुकना’, जिसने काफी हलचल पैदा कर दी है। गुजरात की कांग्रेस इकाई महसूस करती है कि चैनल चुनाव आयोग की आचार संहिता का स्पष्ट तौर पर उल्लघंन है और वोट बैंक को लुभाने की तिकड़मबाज़ी, पार्टी के एक प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा।

गुजरात में आगामी विधानसभा चुनावों की सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार और भाषणों के प्रसारण के लिए केबल टीवी चैनल ‘नमो’ की शुरुआत हेतु कमर कस रहे हैं। ‘नमो’, श्री मोदी के नाम का संक्षिप्त रूप (नरेन्द्र का ‘न’ और मोदी का ‘मो’) तो है ही, इसके अलावा इसका गुजराती में एक और अर्थ है, ‘नीचे झुकना’, जिसने काफी हलचल पैदा कर दी है। गुजरात की कांग्रेस इकाई महसूस करती है कि चैनल चुनाव आयोग की आचार संहिता का स्पष्ट तौर पर उल्लघंन है और वोट बैंक को लुभाने की तिकड़मबाज़ी, पार्टी के एक प्रवक्ता मनीष दोषी ने कहा।

 उन्होंने बताया कि जब हाल ही में ‘नमो’ चैनल ने एक-दिन का परीक्षण किया, तब कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग में इस बावत शिकायत दाखिल की। चुनाव आयोग के प्रकाशित नियमों के मुताबिक आयोग तब हस्तक्षेप कर सकता है, जब आश्वस्त हो कि उम्मीदवार व्यय सीमा से ज्यादा विज्ञापन दिखा रहा है। गुजरात के अतिरिक्त मुख्य निर्वाचन अधिकारी संजीव कुमार ने कहा कि उम्मीदवारों को चुनावों के दौरान राजनीतिक विज्ञापनों के प्रसारण के लिए अमूमन एजेसीं का अनुमोदन प्राप्त करना होता है, लेकिन ये भी कहा कि ‘नमो’ चैनल पर वो विशिष्ट टिप्पणी नहीं कर रहे और मुद्दे से परिचित नहीं हैं।

श्री मोदी के एक सहयोगी ने कहा कि ‘नमो’ को राज्य बीजेपी इकाई और मुख्यमंत्री के समर्थक फंड दे रहे हैं, बजाय कि खुद उम्मीदवार और इसलिए ये व्यय सीमा का विषय नहीं है। सहयोगी ने कहा कि श्री मोदी को चुनाव आयोग से किसी तरह का नोटिस नहीं मिला है। चैनल का जल्द ही लाइव प्रसारण होगा, सहयोगी ने कहा। गौरतलब है कि गुजरात विधानसभा के चुनाव दिसबंर मध्य में होगें।

पुरानी परंपरा के मुताबिक भाषण का बेहतरीन प्रत्युत्तर और भाषण है, इसी को बरकरार रखते हुए, हम इंडिया रियल टाइम पर विनम्र (और व्यंग्यात्मक) सुझाव देते हैं कि राजनीति के दूसरे कद्दावर नेता भी शायद अब अपना चैनल शुरू करना चाहें। यहां इस संदर्भ में कुछ सुझाव हैं।

-राहुल गांधी: ‘रागा’ चैनल (अनुभवहीनों के लिए, राग भारतीय शास्त्रीय संगीत में सुर या लय से संबद्ध है)।

-ममता बैनर्जी: ‘मंबा’ चैनल (हम इस समय स्वादिष्ट चबाने वाली कैंडीज़ के बारे में सोच रहे हैं, सांपों अथवा राडार व्यवस्था के बारे में नहीं)।

-पलानिअप्पन चिदम्बरम: ‘पीचिद्दी’ चैनल (अगर पृष्ठभूमि की दरकार है, तो कृपया यहां देखें)

–जयपाल रेड्डी: ‘जे-रेड्डी’ चैनल (यह जे-लो का उच्च-ऊर्जा संस्करण है।)

–एल के आडवाणी: ‘लैड’ चैनल।

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-सुशील कुमार शिंदे: ‘सुशी’ चैनल

-कमल नाथ: ‘काना’ टीवी (कृपया इसे खाने का चैनल समझने की भूल नहीं करें)

-फारुख अब्दुल्ला: ‘फैब’ चैनल।

-तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे.जयललिता का पहले से ही ‘जया’ टीवी है।

(प्रीतिका राणा का ये पोस्ट मूल रूप से वॉल स्ट्रीट जर्नल के हिंदी पोर्टल इंडिया रीयल टाइम में प्रकाशित हुआ था। वहीं से साभार प्रकाशित।)

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