भीमकाय घपले-घोटालों में गले तक डूबी सोनिया एंड मनमोहनी मंडली के लिए भगवाधारी बाबा रामदेव की आक्रामकता गले की फांस बनी हुई है। लेकिन कालेधन और भ्रष्टाचार के खिलाफ शहीदी मुद्रा में बवाल काटने वाले बाबा रामदेव का योग और आयुर्वेद का साम्राज्य खुद कालेधन की जमीन पर न केवल फल-फूल रहा है, बल्कि तमाम विवादों के बावजूद दिन-दूनी, रात चौगनी रफ्तार से उछालें मार रहा है। योग गुरु की शक्ल में बाबा रामदेव नाम का यह कारोबारी न केवल टैक्स चोरी में लिप्त है, बल्कि गरीबों की जमीन हड़प कर तीर्थनगरी-हरिद्वार में भूमाफिया का रूप धारण कर चुका है।
हरिद्वार में बाबा रामदेव के इस राक्षसी चेहरे को दिन-रात देखने-समझने वाले जानते हैं कि धर्म और आस्था के नाम पर कोई भगवाधारी संत कैसे टीवी चैनलों की कृपा से रातों-रात न केवल रोल-मॉडन बन जाता है, बल्कि वह करोड़ों-करोड़ लोगों को उल्लू भी बना सकता है। ऐसा करते-करते वह एक दिन संयुक्त राष्ट्र संघ के मंच से भी दुनिया को गैर-बराबरी से मुक्त, ईमानदारी और शुचिता का पाठ पढ़ाने लगता है। लेकिन अब बाबा रामदेव के काले कारनामें धीरे-धीरे ही सही, बाहर आने लगे हैं। अपनी खोजी समाचार कथाओं के लिए प्रसिद्ध तहलका ने बाबा रामदेव के इसी काले चेहरे से पर्दा उठाया है।
‘काले कर्मों वाले बाबा’ शीर्षक के साथ तहलका ने अपने ताजा अंक में बाबा रामदेव को नंगा कर दिया है। मनोज रावत ने अपनी तहकीकात में बताया है कि कैसे करोड़ों की टैक्स चोरी के साथ कालेधन का साम्राज्य खड़ा करने के खिलाफ जब सात साल पहले एक आयकर अधिकारी ने बाबा रामदेव की कंपनी को नोटिस जारी किया तो उस अधिकारी को ही नौकरी छोड़कर घर बैठना पड़ा। यह भी कि रामदेव उपदेश तो हिन्दुस्तान की आर्थिक आजादी के लिए एक नई क्रांति कर देते हैं, पर वे खुद श्रमिकों के शोषण, कर चोरी, दलितों व गरीबों की जमीन कब्जाने जैसे वे सभी कुकर्म कर रहे हैं, जो एक भ्रष्ट कारोबारी की फितरत हुआ करती है। बाबा रामदेव की रामकहानी से इतना तो साफ होता है कि जितना भ्रष्ट व जनविरोधी सत्ताओं के खिलाफ लड़ने की जरूरत है, उससे कम संत की खाल में प्रकट होने वाले ऐसे छल-कपटी बाबाओं से भी सावधान रहने की जरूरत है। तहलका में प्रकाशित मनोज रावत की पूरी स्टोरी को पढ़ने के लिए क्लिक करें-
देहरादून से दीपक आजाद की रिपोर्ट