भ्रष्‍ट पत्रकारिता (20) : कुछ पत्रकारों की निजी जागीर बना यूपी प्रेस क्‍लब!

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लखनऊ। बीते 57 सालों में यूपी की आबादी बढ़कर लगभग 22 करोड़ के करीब पहुंच गई है। भले ही केन्द्र और प्रदेश सरकारों के तमाम प्रयासों के बावजूद जनसंख्या नियंत्रण करने में असफल हो गए हों, लेकिन 57 साल पहले स्थापित यूपी प्रेस क्लब के सदस्यों की संख्या 200 से अधिक पार नहीं कर पाई है। यह अजब कारनामा यूपी प्रेस क्लब ने किया है।

केन्द्र और प्रदेश सरकारों को जनसंख्या नियंत्रण के लिए यूपी प्रेस क्लब से प्रेरणा लेनी चाहिए। यूपी प्रेस क्लब को निजी जागीर बनाने के कारनामों पर आईएफडब्ल्यूजे और वरिष्ठ पत्रकार उपेन्द्र वाजपेयी ने पत्र लिखकर सवाल खड़े किए थे। इसके बावजूद अभी तक प्रेस क्लब की कार्यप्रणाली में कोई सुधार नहीं आया है।

उत्तर प्रदेश प्रेस क्लब की स्थापना 18 नवम्बर 1956 को उत्तर प्रदेश श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव रहे उपेन्द्र वाजपेयी और पायोनियर के पूर्व प्रधान सम्पादक एस.एन. घोष के प्रयासों से हुआ था। पत्रकारिता जगत के हस्ताक्षर माने जाने वाले तमाम पत्रकार यूपी प्रेस क्लब के अध्यक्ष पद पर सुशोभित हो चुके हैं। बीते एक दशक में यूपी प्रेस क्लब अपनी गरिमा खो चुका है।

यूपी प्रेस क्लब के सदस्यों की सूची पर नजर डालने से हैरत में पड़ जाने वाले तथ्य सामने आए हैं। प्रेस क्लब सदस्यों की सूची में अभी भी ऐसे नाम शुमार हैं, जो दिवंगत हो गए हैं और जिन्होंने पत्रकारिता को अलविदा कह दिया है। काफी संख्या में अन्य राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं। कई महिला पत्रकार अब हाउस वाइफ की जिम्मेदारियों में रस-बस गई हैं। इन खामियों को कई वरिष्ठ और नवागत पत्रकारों ने उठाया है, लेकिन 57 साल से यूपी प्रेस क्लब के सदस्यों की सूची में कोई खास बदलाव नहीं आया है। नए पत्रकारों को प्रेस क्लब की सदस्यता किसी भी सूरत में नहीं मिलती है। इसको लेकर पत्रकारों में काफी रोष है।

आईएफडब्ल्यूजे के अध्यक्ष और वरिष्ठ पत्रकार के. विक्रम राव ने प्रेस क्लब की कार्यप्रणाली पर 15 सितम्बर 2011 को प्रेस क्लब के अध्यक्ष रवीन्द्र कुमार सिंह और महामंत्री जोखू प्रसाद तिवारी को सम्बोधित एक पत्र लिखा था। जिसमें प्रेस क्लब के पदाधिकारियों द्वारा की जा रही तमाम वित्तीय अनियमितताओं का मुद्दा उठाया था। पत्र में कहा गया था कि कुछ स्वार्थी पत्रकार प्रेस क्लब को निजी जागीर बना लिया है।

यही वजह है कि प्रेस क्लब में नए सदस्यों का प्रवेश पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इससे पूर्व यूपी प्रेस क्लब के महासचिव रहे वरिष्ठ और सम्मानित पत्रकार उपेन्द्र वाजपेयी ने 8 सितम्बर 2006 को तत्कालीन अध्यक्ष रामदत्त त्रिपाठी को पत्र लिखकर मांग की थी कि यूपी प्रेस क्लब सभी पत्रकारों के लिए खोला जाना चाहिए। उसकी अर्हता सिर्फ पत्रकार होना हो। इसके साथ ही प्रेस क्लब को बुराइयों से बचाने के लिए तमाम सुझाव दिए थे। जिनका प्रेस क्लब ने आज तक पालन नहीं किया।

त्रिनाथ के शर्मा की रिपोर्ट. यह रिपोर्ट दिव्‍य संदेश में भी प्रकाशित हो चुकी है.

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