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साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'आनंदम' की ओर से देवमणि पाण्डेय के ग़ज़ल संग्रह 'अपना तो मिले कोई' का अभिनंदन समारोह एवं काव्य संध्या का आयोजन शनिवार...
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साहित्यिक-सांस्कृतिक संस्था 'आनंदम' की ओर से देवमणि पाण्डेय के ग़ज़ल संग्रह 'अपना तो मिले कोई' का अभिनंदन समारोह एवं काव्य संध्या का आयोजन शनिवार...
दोस्तों अभी कुछ दिन पहले मुझे एक महाविद्यालय में मुख्य अतिथि के रूप में जाने का अवसर मिला, मौका था हमारे देश के संविधान...
मनमोहन अब कुर्सी छोड़ो, देखो जनता आती है.बहुत रुलाया तुमने उसको, अब ब्यथा सही ना जाती है.
: ‘‘छोटे मियां! ‘मज़ाक’ को न समझ अपने तथाकथित ‘नाम’ (शातिर) के सही अर्थ के खुलासे वाली मूर्खता क्यों!’’ : ‘पाखी’ का मई, 2012...
पिछली सदी के नब्बे के दशक में नई आर्थिकी की आगोश में देश जाने की तैयारी कर रहा था, तब कई सवाल उठे थे।...
: अपनी भाषा से भेद क्यों? : आस्ट्रेलियाई सरकार ने कहा है कि भारत जानेवाले उसके राजनयिकों को हिंदी सीखने की जरूरत नहीं है,...
इलाहाबाद : केदार शोध पीठ, बॉंदा द्वारा हिन्दुस्तानी एकेडमी के सभागार में आयोजित भव्य समारोह के दौरान ‘अस्पताल के बाहर टेलीफ़ोन’ कविता संग्रह के...
: मंटो की जन्मशती समारोह में विमर्श करने जुटे साहित्यिक दिग्गज : इलाहाबाद : शहर इलाहाबाद और यहां की अदबी रवायत व गंगा-जमुनी तहज़ीब...
दम भर अदम पर! यह काम कोई शुद्ध संपादक ही कर सकता था। कोई रैकेटियर संपादक नहीं। मोटी-मोटी पत्रिकाएं छापने वाले रैकेटियर संपादकों के...
रचना बड़ी कि आलोचना? पूछने पर नामवर सिंह जैनेंद्र जी का संदर्भ दे कर पूछते हैं कि ‘किस की अकल और किस की भैंस?’...
: पाठकों का दबाव ही समाचारपत्रों को जनोन्मुखी बनायेगा : डा. मिश्र : कोलकाता। 'हिन्दी पत्रकारिता की 186 वर्ष की यात्रा, एक सिंहावलोकन' विषय...
: पुस्तक समीक्षा : कभी-कभार ऐसा लगता है कि हमें किसी खास लक्ष्य को हासिल करने के लिए एक सधे हुए माध्यम का इंतज़ार...
: अशोकनगर में इप्टा का आठवां बाल एवं किशोर रंग शिविर : अशोकनगर: पिछले कुछ दिनों में देश भर में भारतीय जन नाट्य संघ...
इंदौर : उनकी जिजीविषा अद्भुत थी. कोई कष्ट और बीमारी उनके जीने के हौसले को कम नहीं कर सकी. साहित्य उनके लिए लोगों को...
दिल्ली। भुवनेश्वर द्वारा लिखित नाटक ‘तांबे का कीड़ा (1946) भारतीय ही नहीं, अंग्रेज़ी तथा अन्य विदेशी भाषाओं में भी लिखा गया पहला ‘एब्सर्ड (असंगत)’...
हिंदी प्रकाशन का मतलब हाल के कुछ दिनों पहले तक सिर्फ साहित्य और उसमें भी कहानी-उपन्यास और कविता की पुस्तकों का प्रकाशन होता था।...
: भोजपुरी कवि सम्मेलन : पूर्वांचल भोजपुरी महासभा द्वारा संस्था के मुख्य संरक्षक अशोक श्रीवास्तव के संयोजन में गाज़ियाबाद में पहली बार भोजपुरी कवि...
: ज़फ़र गोरखपुरी की किताब 'मिट्टी को हँसाना है' का लोकार्पण : ज़फ़र गोरखपुरी के दोहे मिट्टी के कुल्लहड़ में पेश की गई चाय...
उदयपुर : राजस्थान साहित्य अकादमी और राजस्थान साहित्यकार परिषद, कांकरोली के संयुक्त तत्वावधान में 11 मई 2012 को साहित्य अकादमी सभागार में आयोजित समारोह...
मजबूरी और महत्वाकांक्षा ज़्यादातर लेखको की जुबां पर अपने शब्द रख देती है। क़लम घिसने वालो के लिए ये बेहद ज़रूरी है कि वो...