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सम्मान

पत्रकारों को बांटी पुरस्कार की रेवड़ियां

: हरियाणा में पहली बार मिला इतने पत्रकारों को एक साथ सम्‍मान : हरियाणा के 150 से ज्यादा पत्रकार राज्य सरकार से सम्मान हासिल कर आज खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। करें भी क्यों न, जिस पल का वे पिछले दो साल से इंतजार कर रहे थे, वह आखिरकर 21 सितम्बर को आ ही गया, जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों उन्हें चंडीगढ़ में सम्मानित होने का मौका मिल गया। हरियाणा के पत्रकारिता इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने एक साथ इतने पत्रकारों को पुरस्कृत किया है।

<p style="text-align: justify;">: <strong>हरियाणा में पहली बार मिला इतने पत्रकारों को एक साथ सम्‍मान</strong> : हरियाणा के 150 से ज्यादा पत्रकार राज्य सरकार से सम्मान हासिल कर आज खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। करें भी क्यों न, जिस पल का वे पिछले दो साल से इंतजार कर रहे थे, वह आखिरकर 21 सितम्बर को आ ही गया, जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों उन्हें चंडीगढ़ में सम्मानित होने का मौका मिल गया। हरियाणा के पत्रकारिता इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने एक साथ इतने पत्रकारों को पुरस्कृत किया है।</p>

: हरियाणा में पहली बार मिला इतने पत्रकारों को एक साथ सम्‍मान : हरियाणा के 150 से ज्यादा पत्रकार राज्य सरकार से सम्मान हासिल कर आज खुद को गौरान्वित महसूस कर रहे हैं। करें भी क्यों न, जिस पल का वे पिछले दो साल से इंतजार कर रहे थे, वह आखिरकर 21 सितम्बर को आ ही गया, जब मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हाथों उन्हें चंडीगढ़ में सम्मानित होने का मौका मिल गया। हरियाणा के पत्रकारिता इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी सरकार ने एक साथ इतने पत्रकारों को पुरस्कृत किया है।

इससे पहले कभी किसी सरकार ने इतनी बड़ी संख्या में पत्रकारों को सम्मानित करने की सोची भी नहीं थी। सरकार ने दो साल पहले जब इन पुरस्कारों के लिए आवेदन आमंत्रित किए थे, तभी से प्रदेश भर के पत्रकार इस इंतजार में थे कि वह दिन कब आएगा। कई बार ऐसा हुआ कि प्रदेश भर में चर्चा चल पड़ी कि पुरस्कारों को घोषणा होने वाली है। बस फिर क्या था चंडीगढ़ में फोन खड़कने शुरू हो गए। कौन-कौन पत्रकार पुरस्कार पाने वालों की सूची में शामिल है। कई नामों का खुलासा भी हुआ। फिर यह मामला ठंडे बस्ते में चला गया।

बीच-बीच में रह-रह यह चर्चा कभी भी चल पड़ती थी। फिर कई बार तो यह कहा जाने लगा कि शायद सरकार यह पुरस्कार देगी भी या नहीं! अब दो दिन पहले ही एकाएक सरकार की ओर से यह संदेश आया कि 21 सितम्बर को  चंडीगढ़ के हरियाणा निवास में 150 से ज्यादा पत्रकारों को सम्मानित किया जाएगा। बस फिर क्या था जिन पत्रकार बंधुओं के नाम सूची में आए उनमें खुशी की लहर दौड़ पड़ी। खुशी हो भी क्यों न, इस पुरस्कार के तहत सिर्फ शाल ही नहीं राशि भी तो मिलनी थी।

प्रदेश स्तर के योगदान के लिए डेढ़ लाख रूपए से लेकर जिला स्तर तक 21 हजार रूपए तय किए गए थे। यह राशि कम नहीं थी। इसी बात को ध्यान में रखते हुए सरकार ने हरियाणा के सभी जिलों से 120 से अधिक पत्रकारों को जिला सम्मान के लिए चुना यानी एक जिले से करीब छह पत्रकार आए। इनाम मिलने की खबर से सभी की बांछे खिली हुई थी। 20 सितम्बर को सभी पत्रकारों के नामों की सूची जनसंपर्क विभाग, चंडीगढ़ ने जारी कर दी। यह सूची जारी होते ही प्रदेश भर के पत्रकारों में हड़कंप मच गया। जिन पत्रकारों के नाम इस सूची में नहीं थे, वे बेचैन हो गए। भई कम से कम 21 हजार रूपए का सवाल था।

हरियाणा सरकार ने ‘अध्याय’ नाम दिया

हरियाणा सरकार ने समारोह को अध्याय का नाम दिया है। जनसंपर्क विभाग की ओर से चंडीगढ़ में जारी विज्ञप्ति की शुरूआत में ही यह कहा गया है कि हरियाणा सरकार ने पत्रकारों के कल्याण के लिए उठाए जा रहे कदमों की कड़ी में आज नया अध्याय जोड़ दिया। इसी के साथ पत्रकारों को चिकित्सा बिलों की प्रतिपूर्ति की सुविधा और कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय में प्रशिक्षण की सुविधा प्रदान की गई है। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री ने पत्रकारों को नसीहत भी दे डाली कि एक पत्रकार को अपने शब्दों का चयन अपनी अंतरआत्मा की आवाज से करना चाहिए। किसी बाहरी दबाव या प्रभाव से उसे शब्दों का चयन करने से बचना चाहिए। तभी उसके समाचार की पाठकों में विश्वसनीयता बनेगी। यही नहीं मुख्यमंत्री ने तो समाचार रूपी विज्ञापनों तक की भी आलोचना अपने संबोधन में कर दी, जबकि लोकसभा और विधानसभा चुनाव के समय उन्हीं की पार्टी कांग्रेस ने जमकर समाचार रूपी विज्ञापन दिए थे। तब उन्होंने उसका विरोध नहीं किया था।

ज्यादातर ब्यूरो प्रमुखों को किया सम्मानित

हरियाणा पत्रकार पुरस्कार समारोह की खासियत यह रही कि इसमें प्रदेश भर के ज्यादातर अखबारों और चैनलों के ब्यूरों प्रमुखों को सम्मानित किया गया है यानी जिन ब्यूरो प्रमुखों ने आवेदन किया था, वे लगभग सभी सम्मान पाने वालों की सूची में शामिल हैं। इनमें बड़े-बड़े चैनलों और अखबारों के कुछ बड़े पत्रकारों के नाम भी शामिल हैं। यही नहीं सरकार ने चंडीगढ़ और दिल्ली में हरियाणा को कवर करने वाले पत्रकारों को भी पुरस्कार देकर खुश कर दिया। समारोह के दौरान ट्रिब्यून अखबार के एडिटर इन चीफ राज चेंगप्पा और हरियाणा सरकार की जनसंपर्क विभाग की मुख्य संसदीय सचिव शारदा राठौर विशेष रूप से मौजूद रही।

अखबारों में दिए थे बड़े-बड़े विज्ञापन

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हरियाणा सरकार के जनसंपर्क विभाग की ओर से 21 सितंबर को प्रदेश के सभी अखबारों में पत्रकारों को सम्मानित करने संबंधी बड़े-बड़े विज्ञापन दिए गए थे। यानी पत्रकारों को पुरस्कार तो मिला ही, अखबारों की भी इसी नाम पर कमाई हो गई। हरियाणा सरकार की इस योजना को क्या नाम दिया जाए, समझ में नहीं आ रहा।

सरकार से सम्मानित होने का रहता है इंतजार

आज यह विडंबना ही है कि पत्रकारों को हमेशा सरकारों से ही मांग रहती है कि उन्हें कुछ न कुछ दे दे, चाहे वह सम्मान हो या फिर मान्यता। कोई भी पत्रकार या पत्रकार संगठन कभी अपने संस्थान से कुछ नहीं मांगता। उत्पीड़न तक को आराम से सहन करता रहता है। आवाज भी कैसे उठाए, नौकरी जाने का खतरा जो रहता है। ऐसे में एकमात्र रास्ता सरकार के पास जाने का ही रहता है। इसलिए सभी पत्रकार इस इंतजार में रहते हैं कि उन्हें जिला स्तर पर डीसी के हाथों या फिर प्रदेश स्तर पर मुख्यमंत्री या राज्यपाल के करकमलों से सम्मानित होने का मौका ही मिल जाए।

दीपक खोखर की रिपोर्ट.

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0 Comments

  1. jagat rattan

    September 22, 2010 at 8:56 pm

    sahi kaha aapne

  2. pankaj

    September 23, 2010 at 11:04 am

    apka write up bahut umda hai. par two mehatwapurna baatein miss kar di hain. ek toh yeh kis prakar ve partrakar jinhone avedan bhi nahin kiya tha bhi aakhiri shan inaam pane ki juggat mein lag gaye aur safal bhi rahe. rohtak ki rewri, rohtak ke hi hoodaji baatein toh koi peeche kaise rahe.
    kuch aise bhi hain jo utsahit toh bahut the par puruskar lene nahin gaye sabke samne. aur baad mein apne ghar par hi puruskar le liye.
    ab patrakaron ka yeh haal hai toh desh ka kya hoga. isse kehte hain sarkar ka chamatkar.
    saare jankari chapne ke liye aapka dhanyawad

  3. deepak rathi

    September 23, 2010 at 4:50 pm

    itna samman milne ke baad bhi haryana ke ye pattalpar apmanit hi rahenge kyonki janta ki najron me bikau maal hain.sarkar ne yah advance diya hai,agli kist baad main milegi.they are all paid workers of hooda ji.par sharam inhe aati nahi.yah haryana patarkarita common wealth game se kam nahi hai .

  4. rattan

    September 24, 2010 at 2:57 pm

    karnal me adhiktar sefarsi patarkaro ko he inam mila h. stet leval ka inam lene wala ek to congress ka mahaschiv hai.

  5. mahandra singh rathore

    October 1, 2010 at 7:22 am

    written by ankur singh butty,

    deepak khokhar bhai bilkul thik likha hai prua sacch bata diya hai. ineme aadhe se jayda name un logo ke hain jinhone farm nahi bhere. kya CM SAHAB pure mamalle ki janch kar sakete hain. sabhi officer or neta lo bankab honge. accha aur sach likhne ke liye deepak khokher baadhi ho.

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