एनके सिंह ने दिनांक 27 सितंबर को इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर के स्थानीय संपादक को एक मेल भेज. मेल में बच्चों को यौन अपराधों से बचाने से संबंधित विधेयक का जिक्र था. मेल में एनके सिंह ने लिखा कि केंद्र सरकार जो विधेयक ला रही है, उसमें दो बिंदु विवादास्पद हैं, जिस पर हमें लगातार एक महीने तक सीरीज चलाना चाहिए. एनके सिंह के मुताबिक ये बिंदु थे –
1- 16 से 18 वर्ष के बीच के बच्चों में अगर आपसी सहमति से संभोग हो तो उसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जाएगा.
2- अगर 14 से 16 बरस के बीच के बच्चों में आपसी सहमति से कामक्रीड़ा की जाए (नानपेनेट्रेटिव सेक्स) तो उसे अपराध नहीं माना जाएगा.
एनके सिंह ने इस ई-मेल के अलावा एक ई-मेल और किया, जिसमें इस विधेयक की मूल प्रति संलग्न थी. (देखें अटैचमेंट चाइल्ड प्रोटेक्शन बिल-2011) एनके सिंह के निर्देश थे कि तत्काल इस मुद्दे पर स्कूली बच्चों, शिक्षक और पालकों से बातचीत छापी जाए और उनके फोटो भी दिए जाएं.
चारों स्थानीय संपादक इस ई-मेल और निर्देशों को देखकर सन्न रह गए. भोपाल के स्थानीय संपादक ने तीन दिनों तक यह सीरीज चलाई, लेकिन पालकों और बच्चों के कड़े विरोध के बाद यह सीरीज बंद हो गई. शेष संस्करणों में यह सीरीज चालू नहीं हो पाई. जब विधेयक की मूल प्रति का अध्ययन किया गया तो पता चला कि एनके सिंह द्वारा उल्लेखित बिंदु क्रमांक 2 का विधेयक में दूर-दूर तक कोई जिक्र नहीं था.
बिंदु क्रमांक 1 को लेकर भी जिन स्कूलों और पालकों से चर्चा की गई, तो उन्होंने बातचीत करने से साफ इनकार कर दिया और कहा कि पीपुल्स समाचार पत्रकारिता को किस दिशा में ले जाना चाहता है. कम उम्र के बच्चों में सेक्स को लेकर सरकार चाहे जो विधेयक लाए, लेकिन इस उम्र में ये बातें करना शोभा नहीं देता. अब आप खुद अंदाज लगाइए संपादक के पद पर बैठकर एनके सिंह किस तरह की पत्रकारिता कर रहे हैं. (खबर के साथ एनके सिंह का ईमेल अटैच है.)
आपको बता दूं कि गुरुवार को मेरे स्थानीय संपादक के पद से त्यागपत्र देने के बाद डैमेज कंट्रोल के उद्देश्य से एनके सिंह इंदौर पहुंचे. उन्होंने इंदौर ऑफिस में पहुंचते ही अपने सुर बदल लिए, जो एनके सिंह तीन दिन पहले पांच लोगों को हटाने के लिए आग बबूले हो रहे थे, उन्होंने इंदौर पहुंचते ही इस विषय को ठंडे बस्ते में डाल दिया. एनके सिंह दो दिनों से नए स्थानीय संपादक की तलाश में जुटे हुए हैं, लेकिन संस्थान में औसत वेतन के चलते कोई वरिष्ठ पत्रकार आने को तैयार नहीं हैं. पिछले दो दिनों से संपादकीय विभाग के साथियों से अलग-अलग बातचीत में एनके सिंह अपनी वरिष्ठता गिनाते रहे और सफाई देते रहे कि मैं किसी को हटाने नहीं आया हूं. कुछ साथियों द्वारा वेतन वृद्धि की मांग किए जाने पर उन्होंने स्पष्ट कहा कि वे अधिकारविहीन संपादक हैं. शनिवार को एनके सिंह ने भोपाल सेंट्रल डेस्क और न्यूजरूम प्रभारी राधेश्याम धामू को इंदौर ऑफिस बुलाया. संभावना जताई जा रही है कि नए संपादक के आने तक राधेश्याम धामू प्रभारी संपादक रहेंगे.
लेखक प्रवीण खारीवाल पीपुल्स समाचार, इंदौर के स्थानीय संपादक रहे हैं. वे कई अखबारों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके हैं. इन दिनों वे इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष हैं. इनसे संपर्क [email protected] के जरिए किया जा सकता है.
Kalam Ke Sipahi
October 10, 2011 at 7:32 pm
महोदय, क्या कोई बताएगा भोपाल के सबसे पहला ‘पत्रकारी पर्चा’ में किन महोदय के काले चिट्ठो का खुलासा हुआ था? आखिर कौन था जिसके बेटे की शादी का खर्चा एक नेता ने उठाया था? आखिर वो कौन था जो खबरे बेच देता है? आखिर कौन है वो जिसके कई घरो में से एक घर का निर्माण एक दिवंगत नेता ने करवाया था?……..और वो खजुराहो मीट?……न जाने कितने किस्से…..कोई बताये कि आखिर कौन है वो!
raj
October 11, 2011 at 5:21 am
praveen you are fool………….and over reactor on any news……..aisei bate to har media house me hoti hai…..tumehre jaise murkh kisi bhi peper ke liye hani karek hai…………………praveen apni bhi thori akal lagao……….har chig ke liya n.k singh ko blame kerte ho………………..he is senior and minded man………….i think you are …………foolish.
vishal sharma
October 12, 2011 at 3:24 am
PRAVEEN DALAL KI BATE DIL PE MAT LE………………
HE IS PURE DALAL IN INDORE………………………
PRAVEEN KA DIMAG GHUTENE ME HAI…..KAAM KARNA NAHI CHAHTA HAI SOCHATA HAI KI KOI EDITOR IN CHIEF USKI DALALI ME INTERFEAR NAHI KERE……………FREE KA MAAL MILE………….COMMENT LENE SCHOOL JANA NAHI CHATE……SOACHTA HAI KI BAITHE BAITHE INDORE ME EDITOR KI POST LE KE RAKHU.
IS PRAVEEN DALAL KO DALAL STREET BHEJ DO.
YASWANT JI DALAL KI BAATE BAND KARO…….
p nityanand
October 12, 2011 at 11:35 am
Mr,
Khariwal it is very clear you dont have any working ethics.In Madhyapradesh,s journalism every know that fact very well you are associated with Awadhesh Bajaj. He replaced Vikas mishrajee with you. and bocz of that ugly man So many very good journalist like Harimohanjee, prafull nayakjee, Raghwendrajee, forced to leave Peoples samachar. Inspite of that fact not single person among them said a single word against peoples samachar and bajaj. Now they all are in much better position than they have in Peoples samachar. And you disclosing internal mail to the public.