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बाम्‍बे हाई कोर्ट ने टाइम्‍स नाउ से 20 करोड़ जमा करने को कहा

टाइम्‍स नाउ चैनल प्रबंधन परेशानी में है. मानहानि के एक मुकदमे पर सुनवाई करते हुए बांबे हाई कोर्ट ने चैनल से कहा है कि वो कोर्ट में 20 करोड़ रुपये जमा कराए. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत ने चैनल पर पीएफ घोटाले की एक खबर में उनका फोटो दिखाए जाने के बाद 100 करोड़ रुपये के मान‍हानि का मुकदमा किया था, जिसमें पुणे जिला अदालत ने पीबी सावंत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टाइम्‍स नाउ की मूल कंपनी टाइम्‍स ग्‍लोबल ब्राडकास्टिंग को उक्‍त धनराशि देने का आदेश दिया.

टाइम्‍स नाउ चैनल प्रबंधन परेशानी में है. मानहानि के एक मुकदमे पर सुनवाई करते हुए बांबे हाई कोर्ट ने चैनल से कहा है कि वो कोर्ट में 20 करोड़ रुपये जमा कराए. सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज पीबी सावंत ने चैनल पर पीएफ घोटाले की एक खबर में उनका फोटो दिखाए जाने के बाद 100 करोड़ रुपये के मान‍हानि का मुकदमा किया था, जिसमें पुणे जिला अदालत ने पीबी सावंत के पक्ष में फैसला सुनाते हुए टाइम्‍स नाउ की मूल कंपनी टाइम्‍स ग्‍लोबल ब्राडकास्टिंग को उक्‍त धनराशि देने का आदेश दिया.

इस फैसले के खिलाफ टाइम्‍स नाउ प्रबंधन ने बाम्‍बे हाई कोर्ट में अपील की थी, जिसके बाद कोर्ट ने नियमानुसार बीस प्रतिशत धनराशि कोर्ट में जमा कराने का निर्देश दिया है. टाइम्‍स नाउ ने 10 सितम्‍बर 2008 को पीएफ घोटाले की एक खबर में कोलकाता हाई कोर्ट के जज पीके सामंता की जगह सुप्रीम कोट के जज पीबी सावंत का फोटो चला दिया था, जिसके बाद जज सावंत ने टाइम्‍स नाउ पर 100 करोड़ रुपये मानहानि का मुकदमा किया था.

बाम्‍बे हाई कोर्ट ने कंपनी को शेष अस्‍सी करोड़ रुपये के लिए बैंक गारंटी भी जुटाने का आदेश दिया है. कोर्ट में कंपनी की तरफ से बताया गया कि चैनल ने अपनी गलती के लिए पांच दिन तक स्‍क्राल चलाकर पीबी सावंत से क्षमायाचना की थी. इसके बाद फिर मानहानि होने की बात ही कहां रह जाती है. नीचे इंडियन एक्‍सप्रेस में छपी खबर.

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0 Comments

  1. ANJANI KUMAR

    September 29, 2011 at 3:03 pm

    This is not fair with the freedom of press and yes can mr swant explain how did this cost him 100 crores and if not how much should a reputed organisation like times now should charge from him for loosing his good will. Its the duty of all journalist to come forward and face the law because next can be you or your organisations turn. i am not an employee of times now but a journalist.pLS APPEAL IN SUPREME COURT

  2. Rohit

    October 1, 2011 at 11:31 am

    बड़े बड़े चैनलों में छोटी मोटी बातें होती रहती हैं…. अब ब्रेकिंग न्यूज़ का प्रेशर तो सब जानते ही हैं… फिर विजुअल पहले चलाने की जल्दी भी… विजुअल दो मिनट देर से चलें तो भी बॉस गाली देगा कि तुम्हें टीवी में काम करना नहीं आता… और जजों की फोटो अगर नेट से निकाल कर चलाओगे जिन्हें आप पहचानते नहीं हो तो दिक्कत तो हो ही सकती है… अगर कोर्ट के मसले पर भी जल्दबाजी की जाएगी तो ये तो होगा ही… पर चलो… खैर अर्णब जी कुछ सबक ले लें तो बेहतर है

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