अमर सिंह कनफ्यूजन के चरम पर हैं. जब तक सपा में रहे, अलग पूर्वांचल राज्य की याद नहीं आई. अब अपनी गलती सुधारने के लिए पूर्वी उत्तर प्रदेश के गली-गली कूचे-कूचे घूम रहे हैं. ढेर सारे भावुक और तार्किक भाषण दे रहे हैं.
मीडिया वालों की फौज उनके पीछे-पीछे और साथ-साथ चल रही है, कुछ दिल्ली से भेजे गए हैं तो कुछ लखनऊ से और कुछ बनारस से. स्थानीय मीडिया वाले जो हैं सो हैं ही. यह सब अमर सिंह के रसूख, संबंधों और लायजनिंग का जलवा है. सब पर अमर के उपकार हैं और जिन पर नहीं हैं, वे अगर अमर का साथ देंगे तो भविष्य में उन पर भी अमर की नजर-ए-इनायत होगी. इसी कारण मीडिया की भारी भरकम भीड़ अमर सिंह के साथ-साथ पूरब के जिलों-कस्बों में टहल रही है. ताजी सूचना है कि अमर सिंह ने फिर अपना चेहरा दिखा दिया है. लोकमंच के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद अमर सिंह ने गुरुवार की रात बनारस में कैंटोंमेंट स्थित होटल क्लार्क्स में नामी गिरामी हस्तियों के बीच अपना 55वां जन्मदिन मनाया.
काश, अमर सिंह अपना जन्मदिन रात में पूरब के किसी गांव में मनाए होते, तो, उस गांव के लोग कई पीढ़ियों तक याद रखते कि उनके गांव में एक रात अमर सिंह रुके थे और अपना जन्म दिन मनाए थे और उनके साथ जयाप्रदा और संजय दत्त भी थे. पर सदियों से ऐसा होता रहा है कि हाथी के दांत खाने के और, दिखाने के और होते हैं. बनारस में तारांकित होटल के खूबसूरत लॉन में भाई अरविंद सिंह, पत्नी पंकजा सिंह, जुड़वा बेटियां दिशा व दृष्टि के अलावा फिल्म अभिनेता संजय दत्त, रामपुर की सांसद व सिने तारिका जयाप्रदा, फिल्म निर्देशक बोनी कपूर सहित भिन्न क्षेत्रों के प्रतिष्ठित लोगों, नजदीकियों एवं शुभचिंतकों के बीच केक काटने के बाद अमर सिंह ने संक्षिप्त संबोधन में मीडिया से कहा, ’मैं सड़क का आदमी हूं, इसलिए सड़क पर जन्मदिन मना रहा हूं. अमीरों के बीच रहकर मैंने देखा है कि उनके पास दूसरों का दुख दर्द बांटने का समय नहीं है. मैं पूरब का रहने वाला हूं. पुरबिया लोगों की आत्मीयता का कोई सानी नहीं. बस उनके पास हौसले की कमी है. पूर्वांचल राज्य के गठन को मैंने जो अभियान छेड़ा है, उससे यहां के लोगों का हौसला भी बढ़ रहा है. अभी तो मेरी लड़ाई की यह शुरुआत है. इसे अंजाम तक पहुंचाना है और पूर्वांचल राज्य बनाकर दम लेना है.’
पूर्वांचल स्वाभिमान यात्रा के दूसरे चरण में अपराह्न दिलदार नगर (गाजीपुर) की जनसभा संबोधित कर वाराणसी आये अमर सिंह निर्धारित समय से लगभग डेढ़ घंटे विलम्ब से रात साढ़े नौ बजे होटल परिसर के खुले लॉन में पहुंचे. शेरवानी व पगड़ी में फब रहे अमर सिंह को पं. चंद्रमौलि उपाध्याय ने वैदिक मंत्रोच्चार के बीच आशीष दिया. उन्हें शुभेच्छुओं ने बुके सहित अन्य उपहार दिये. तभी संजू बाबा व जयाप्रदा भी समारोह स्थल पर पहुंचे. मुलायम सिंह यादव का साथ छोड़ चुके अमर सिंह जन्मदिन केक काटने मंच पर चढ़े तो उन्हें फूलों का वजनी गजरा पहनाया गया और माथे पर मुकुट लगाने के साथ एक बांसुरी भेंट की गयी. उन्होंने भगवान कृष्ण के अंदाज में मुरली बजानी शुरू किया तो उन्हें मोबाइल में कैद करने के लिए संजू बाबा भी स्वयं को नहीं रोक सके. जयाप्रदा ने भी अमर को फूलों की माला पहनायी तो वहां मौजूद बैंड पार्टी ने धुन बजानी शुरू कर दी- ’बहारों फूल बरसाओ, मेरा महबूब आया है.’
केक काटने के बाद अमर सिंह ने जया सहित अन्य नजदीकियों को अपने हाथों से केक खिलाया. चलिए, हम आप देखते हैं कि अमर का ये आंदोलन अगले विधानसभा चुनाव में सपा का खेल बिगाड़ने के लिए है, बसपा को लाभ पहुंचाने के लिए है या वाकई अपने दम पर अपनी जमीन खड़ा कर अलग पूर्वांचल राज्य के लिए आंदोलन करने के लिए है. फिलहाल अमर सिंह को जनता का भरोसा जीतने के लिए और ज्यादा मशक्कत करना पड़ेगा क्योंकि कई दशकों से ठगे जा रहे पूरबिहे अब जल्दी किसी के मोहपाश में नहीं आने वाले, किसी लोकलुभावन बातों में यकीन नहीं करने वाले, उन्हें तो अब तुरंत नतीजा चाहिए, और कुछ नहीं तो कैश ही दे दो! बाजार की हवा जो जनता को लग गई है.
करप्शन से उकताई जनता कुछ भी पाने-दूहने को तैयार बैठी है. इसी कारण वह सीधे-सपाट तरीके से नेताओं से पूछती है कि कितने रुपये एक वोट के दोगे. कोई पांच सौ देता है तो कोई सौ तो कोई हजार. यह जनता की चरम ऊब, चरम मोहभंग का नतीजा है. और इस उब व मोहभंग को पैदा करने में अमर सिंहों का बड़ा हाथ है जिन्होंने पहले तो पार्टियों को जनता से काटकर कारपोरेट का संरक्षण-समर्थन दिलवाया और जब वे पार्टियां अमर सिंह की न हुईं तो बेचारे अमर सिंह को खुद जनता के बीच जाना पड़ रहा है. भाई अमर सिंह जी, जनता सब जानती है. वैसे, दिल को खुश रखने को आंदोलन का खयाल बड़ा अच्छा है.
shankar
January 28, 2011 at 1:50 pm
amar singh k aage bhai likh kar apne apni disha tay kar di.