आलोक तोमर होने का शायद यही मतलब था. बेबाक पत्रकार खामोश लेटा था. किसी को शायद विश्वास नहीं था कि ऐसा भी हो सकता है. राहुल देव का इधर-उधर व्याकुलता से टहलना, कुमार संजॉय सिंह की आंखों के कोरों का भिंगना, अनुरंजन झा का पारिवारिक सदस्य की तरह परेशान होना, उनके चाहने वालों, उनसे नाराज रहने वालों का आना या फिर श्रद्धांजलि देते समय तमाम छोटे-बडे़ की आंखों का नम होना, काफी था बताने के लिए ये लेटा शख्स कितना खास था, इन लोगों के लिए.
आलोक तोमर का शव सुबह जब उनके चितरंजन पार्क से निकला तो सैकड़ों लोगों की भीड़ राम नाम सत्य का जाप करते उनके पीछे थी. कुछ की आलोक तोमर से जान पहचान थी तो कुछ शायद उनसे व्यक्तिगत रूप में मिले भी नहीं थे. वो उनकी लेखनी के कायल थे इसलिए इस जांबांज पत्रकार को अपनी श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. ऐसे सैकड़ों लोगों की भीड़ लोधी रोड श्मशान गृह पर भी उनके पार्थिव शरीर के आने के इंतजार कर रही थी.
शव के श्मशान घाट पहुंचते ही उनका दर्शन करने के लिए लोग टूट पड़े. निर्विकार भाव से पड़े आलोक तोमर को चबूतरे पर रखा गया. इसके बाद शुरू हो गया उनको पुष्पांजलि अर्पित करने का सिलसिला. सैकड़ों लोगों ने अपने प्रिय पत्रकार के अंतिम दर्शन को व्याकुल थी. ये शायद आज के मैनेजर पत्रकारों/संपादकों के दौर में ठेठ पत्रकार की मौत थी कि राजधानी के तमाम नामचीन पत्रकार अंतिम दर्शन करने पहुंचे.
श्रद्धाजंलि अर्पित करने के बाद आलोक जी के पार्थिव शरीर को चिता पर लिटाया गया. इस दौरान सुप्रिया जी की रूदन वहां मौजूद लोगों के सीने में उतर जा रहा था. सुप्रिया जी का ये कहना- ”मेरे आलोक पर लकड़ी मत डालो उनको सांस लेने में परेशानी होगी” तो सबकी आंखें भर आईं. साथ आए लोग सुप्रिया जी को समझाने का प्रयास कर रहे थे, पर अपने आलोक के दुख को देखकर उनका रोना लगतार जारी था. मंत्रोच्चार एवं विधिविधान के बाद आलोक तोमर की एकमात्र पुत्री अभिलाषा उर्फ मिष्टी ने अपने पिता को मुखाग्नि दी.
आलोक जी की अंतिम यात्रा में वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय, अच्युतानंदन मिश्र, जी न्यूज के संपादक पुण्य प्रसून वाजपेयी, साधना टीवी के कंसलटेंट एडिटर एनके सिंह, न्यूज एक्सप्रेस के हेड मुकेश कुमार, राज्यसभा सांसद एवं पत्रकार राजीव शुक्ला, आईबीएन7 के एडिटर आशुतोष, देबांग, भास्कर के संपादक श्रवण गर्ग, सीवीबी के एडिटर प्रदीप सिंह, भाषा के संपादक कुमार आनंद, नवभारत टाइम्स के संपादक रामकृपाल सिंह, आजतक के संपादक कमर वहीद नकवी, नईदुनिया के विनोद अग्निहोत्री, युसूफ अंसारी, सुधीर तैलंग, कुमार समीर सिंह, एस1 के न्यूज हेड राजीव शर्मा, रवींद्र शाह, मैजिक टीवी के ऑपरेशन हेड प्रसून शुक्ला समेत सैकड़ों पत्रकार शामिल रहे.
Comments on “आलोक तोमर पंचतत्व में विलीन”
alok ji, aapko hum bhul nahi payange.
ईश्वर उनकी आत्मा को शान्ति दें,
आलोक जी अमर रहेंगे…..
TOMAR jaise bebak patrkar ko mera salm. Aloak chale gye lekin unki bebak parmpra ko age le jane vale yuva patrkar unhe jinda rakhege
आलोक जी के बारे में कुछ भी लिखना….उगते सूरज को दिया दिखाने के बराबर है…कलम के जादूगर आलोक जी की जितनी भी तारीफ की जाए कम है….आलोक जी से मेरी मुलाकात बस एक दो बार ही हुई थी….इस जीवट पत्रकार से मिलकर कभी ऐसा महसूस ही नहीं हुआ…कि मैं मीडिया जगत के इतने बड़े पत्रकार से मिल रहा हूं…वही सादगी…वही सौम्यता…आंखों में वही अपनापन….ईश्वर आलोक जी की आत्मा को शांति दे….आलोक जी भले हमारे बीच नहीं रहे….लेकिन उनकी आत्मा सदा हमारे बीच अपनी उपस्थिती दर्ज करवाती रहेगी………
उत्तम बनर्जी,सीएनईबी
Adarniya Alok Tomar sir mar nahi sakte wo Amar hai …… Unka kaha Har shabd kai piriyo tak sabko yaad rahega….sir Apko nam ankho se shat Shat Naman…..
Akhir chod gaye aap sir hame ……
Kanishk Jaiswal
X Employee
CNEB
Patrakarita ke KARNA Ko Naman
alok ji kahi nahi gaye hai hamare beech mein hi hai. dekh sakte ho to dhekh ko.
Ramesh Thakur
आलोक जी को शत शत नमन
प्रदीप परिहार
alok is aap is ptrkartia jagat main sadev chamktey rahe aapko sat sat naman……….
alok ji ,,, aapko sat sat naman
sir, ko mera shat-shat naman, ravindra pratap singh-x employee sadhna news gwalior
sir, ko mera shat-shat naman, ravindra pratap singh-x employee sadhna news gwalior