नई दिल्ली। राज्यसभा के डिप्टी चेयरमैन के रहमान खान ने कहा कि उर्दू अखबारों की हालत आज बहुत खराब है। उर्दू अखबारों को प्रादेशिक भाषायीय अखबारों की श्रेणी में रखना अनुचित है। दरअस्ल उर्दू देश के 20 करोड़ लोगों की मातृभाषा है। लिहाजा उनके साथ विज्ञापनों के मामले में भेदभाव नहीं बरता जाना चाहिए। वे यहां आयोजित उर्दू अखबारों की समयस्याओं पर आयोजित एक सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे।
इस अवसर पर केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा कि उर्दू पत्रकारिता ने देश की आजादी से लेकर आज तक विभिन्न मुद्दों पर अपनी अहम भूमिका निभाई है। लेकिन आजकल तकनीक में काफी बदलाव आ गया है। इसका असर उर्दू ही नहीं हिन्दी समाचारपत्रों पर भी पड़ा है। श्री सिब्बल ने कहा कि उर्दू के विकास के लिए उसे रोजगार से जोड़ना होगा। हमारी कोशिश है कि मुस्लिम बहुल इलाकों में उर्दू मीडियम स्कूल खोले जाएं। साथ ही उर्दू को रोजगार परक वोकेशनल ट्रेनिंग कार्यक्रमों से भी जोड़ना होगा। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों की इस भाषा को हिंदी की ही तरह संसाधन मुहैय्या होने चाहिए।
इस अवसर पर कांग्रेस महासचिव दिग्विजिय सिंह ने कहा कि उर्दू सिर्फ मुसलमानों की नहीं देश की एकता की जुबान है। उन्होंने कहा कि उर्दू अखबारों की आज जो स्थिति है उस पर गौर करने की जरूरत है। आज युवा पीढ़ी क्या चाहती है यह भी देखना होगा। ज्यादातर बच्चे अंग्रेजी पढ़ना चाहते हैं। ऐसे में बिना रोजगार से जोड़े उर्दू के संदर्भ में उज्जवल भविष्य की कल्पना नहीं की जा सकती। अपने संबोधन में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि उर्दू अखबारों की समस्याओं के समाधान के लिए दिल्ली सरकार पहले से प्रयासरत है और आगे भी रहेगी। उन्होंने कहा कि उर्दू अखबारों के लिए प्रींटिंग एक बड़ी समस्या है तो हम मशीनरी के संदर्भ में योगदान देने के लिए तैयार हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि उर्दू दिल्ली की तहजीब की पहचान है और इसके प्रचार, प्रसार व विकास में उर्दू अकादमी अहम भूमिका निभा रही है। दिल्ली के ऊर्जा मंत्री हारून यूसुफ ने कहा कि दिल्ली सरकार की ओर से उर्दू अखबारों को बड़ी संख्या में विज्ञापन दिए जाते हैं। उर्दू अखबारों को चाहिए कि वे शिक्षा व स्वास्थ्य से जुड़ी खबरों पर भी ध्यान दें। उन्होंने कहा कि उर्दू की तरक्की के लिए उर्दू अकादमी के बजट को 50 लाख रुपए से बढ़ाकर 4 करोड़ 50 लाख किया गया। साथ ही अकादमी के माध्यम से 140 उर्दू शिक्षकों की भी नियुक्ति की जा रही है। समाजवादी पाटी के नेता धमेंद्र यादव ने कहा कि उर्दू अखबारों के संदर्भ में सरकार की नियत ठीक नहीं है। कांग्रेसी नेताओं द्वारा विज्ञापनों की समस्या को डीएवीपी पर टाल देना अनुचित है। साभार : राष्ट्रीय सहारा