कैफेटेरिया में बहुत गहमागहमी थी। हम सब के लिए ये ऐतिहासिक अवसर था। 10.3 की टीआरपी को छू लेने और हिंदी टीवी न्यूज इंडस्ट्री पर चौथे स्थान पर पहुंचने के बाद हम लाइव इंडियन्स कैफेटेरिया में इकट्ठा हुए। सब में गजब का उत्साह था। हो भी क्यों न, पूरी जो हुई है… आसमां को छूने की आशा। धीरे-धीरे कैफेटेरिया बाहर तक भर गया। तकरीबन पांच सौ लोग इकट्ठा थे। हर डिपार्टमेंट का स्टाफ वहां मौजूद था।
सब उस जश्न का हिस्सा बनना चाहते थे, जो एक बड़ी जीत के बाद हमारे दामन में आई थी। तकरीबन पांच साल के सफर के उतार-चढ़ाव के बाद। अब हमारी उम्मीदों को भी परवान चढ़ने का वक्त नजदीक आ चला है। हमारे सीईओ और एडिटर सुधीर चौधरी जैसे ही हमारे पास आए माहौल में गर्मजोशी आ गई। आम तौर पर बतौर बॉस उनसे डरने वाले लोग भी आज सहज महसूस कर रहे थे। उनके संबोधन की आत्मीयता से सब गदगद थे।
दो की टीआरपी से सफर शुरू करने के बाद दस पर दस्तक देने का श्रेय लाइव इंडिया के एक-एक कर्मचारी को दिया। उनकी नायकी का बड़प्पन इस बात में भी दिखा कि खुशी के मौके पर उन्होंने केक काटने के लिए हमारे उन दो साथियों, रवि और दिलीप को चुना, जो हिटलर, गांधी और चंद्रशेखर आज़ाद जैसे स्पेशल प्रोग्राम काफी चर्चा बटोर चुके थे। सबने केक खाया और मैंने तो गाना भी गाया। मुकेश का गाना ‘जो तुमको हो पसंद वही बात कहेंगे…’ यानी गाने की भाषा में ये एहसास कि बॉस इज ऑलवेज राइट।
लाइव इंडिया की सबसे खास बात ये है, कि हम यहां मिल-जुलकर काम करते हैं और हर एक शख्स यहां अपने आपको सहज महसूस करता है। चाहे वो छोटा स्टाफ हो या बड़ा। हम कम रिसोर्स और अपेक्षाकृत कम वेतन पर भी ज्यादा से ज्यादा आउटपुट देने की कोशिश करते हैं। हमारी मेहनत और सुधीर चौधरी जी का मार्गदर्शन का नतीजा है हम उस मुकाम पर पहुंच पाए, जहां पहुंचना हर एक ग्रोइंग चैनल का सपना होता है। हमारी इस उपलब्धि का राज हमारी एकजुटता है और काम करने की वो आज़ादी, जो सुधीर जी ने हमें दी हुई है। वो गलतियों पर हमसे नाराज़ भी होते हैं। डांटते भी हैं, लेकिन इसमें हमारी ही बेहतरी छुपी होती है।
उस दौर में जब न्यूज इंडस्ट्री में कई चैनल खेमेबाजी की वजह से दम तोड़ रहे हैं या फिर लाख कोशिशों के बावजूद नहीं पनप पा रहे हैं। ऐसे दौर में पूरा लाइव इंडिया एक सूत्र में बंधा है, और लगातार बेहतर कर रहा है। वो इसलिए कि यहां कोई खेमेबाज़ी नहीं है। बॉस की नज़र सब पर है, बॉस की छूट भी सबको है। लाइव इंडिया में बाकी चैनलों की तरह अलग-अलग चौपाल और अलग-अलग चौधरी नहीं हैं। यहां सबका ‘चौधरी’ एक है, और वो हैं सुधीर चौधरी। हम सब उनके इर्द-गिर्द हैं। उनके साथ हैं। यानी उनके एक नहीं 1000 हाथ हैं। हम 500 लोगों के 1000 हाथ।
लेखक अमर आनंद लाइव इंडिया में सीनियर प्रोड्यूसर हैं.
Comments on “एक हजार हाथों ने तय किया दो से दस तक का सफर”
amar ji bilkul sahi kaha apne, gutbazi yaha bilkul nahi hai or yahi hamari taqat hai, hum sab isi tarah Milkar live india ko or upar pahuchayenge