: फसल खराब होने के कारण की जाने वाली आत्महत्याओं के गंभीर मसले को मंत्रीजी ने छोटे-छोटे कारणों के चलते की गई आत्महत्याएं बताकर सदन को संतुष्ट करना चाहा : मध्य प्रदेश के किसान मुर्गा न खिलाने पर भी आत्महत्या कर लेते हैं। यह कहना प्रदेश सरकार के गृह मंत्री का है, जो आज विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राकेश चौधरी द्वारा पूछे गए सवाल का उत्तर दे रहे थे। जिस किसान के बारे में यह जानकारी दी गई है, वह खरगोन जिले के भगवानपुर के गांव देवझिरी का निवासी है।
उसके पास मात्र 3 एकड़ जमीन है। मरने वाले किसान भरत सिंह की उम्र 25 साल है। सरकार ने एक किसान की आत्महत्या का कारण यह बताया है, कि उसका बेटा शादी नहीं कर रहा था, वहीं भोपाल के एक 18 वर्षीय अरविंद गौर की मौत का कारण शादी नहीं होना बताया गया है। वहीं करीब 3 किसानों ने आत्महत्या इसलिए कर ली, क्योंकि वे पेटदर्द से परेशान थे। सरकार द्वारा विधानसभा में पेश किए गए आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में पिछले एक साल में 348 किसानों ने आत्महत्या की है, जो प्रति माह करीब 29 बनती है।
गृह मंत्री के अनुसार इनमें से कर्ज या फसल बरबादी के कारण जिन किसानों ने आत्महत्या की है, उनकी संख्या केवल 8 है,वहीं 2 किसानों ने गरीबी के कारण आत्महत्या की है। हालांकि आज ही कांग्रेस विधायक आरिफ अकील द्वारा पूछे गए सवाल के जबाव में जिन किसानों की आत्महत्या की वजह इन दो कारणों को बताया गया है, उनकी संख्या केवल 6 बताई गई है।
उल्लेखनीय है, कि प्रदेश में पाले के बाद हुई फसल की बरबादी के कारण प्रदेश में कई किसानों ने आत्महत्या की है। सरकार ने स्वयं इसे रोकने के लिए कई कदमों की घोषणा की है, जिसमें किसानों को 1 प्रतिशत की दर से कर्ज देने की घोषणा भी शामिल है। उसके बाद भी सरकार इस बात को मानने को तैयार नहीं है, कि आत्महत्या का बड़ा कारण कर्ज है। इससे पहले भी गृह मंत्री ने विधानसभा में ही एक किसान की आत्महत्या का कारण उसकी तीन बकरियों का मरना बताया था। इस बार कारण और छोटा हो गया।
हालांकि मुरगा न बनाने के कारण जिस भरत सिंह ने आत्महत्या की है, उसी भगवानपुरा थाना क्षेत्र में इस साल 4 किसानों ने आत्महत्या की है, जिसमें से सभी की उम्र 20 साल से 25 साल के बीच है। इनमें से एक रायसागर निवासी राजेश भिलाला ने इस लिए आत्महत्या कर ली, क्योंकि उसकी बहन ने दूसरे समाज में शादी कर ली थी, जबकि उमरिया का रुप सिंह शराब का आदी था और बगदरी के राजेश की मानसिक दशा ठीक नहीं थी। वहीं खरगोन जिले के भीकनगांव थाना क्षेत्र में 7 किसानों ने आत्महत्या की है, जिनमें से 3 का कारण शराब पीना, 2 का कारण मंदबुद्धि होना बताया गया है, जबकि एक बीमारी के कारण व एक किसान इसलिए मरा, क्योंकि उसका बेटा शादी नहीं कर रहा था।
प्रदेश सरकार ने अपने जबाव में किसानों की आत्महत्या के बड़े कारण शराब पीना, घरेलू कलह, बीमारी व अज्ञात को बताया है। किसानों की आत्महत्या पर जबाव देते हुए गृह मंत्री के जवाब में बताया गया है कि एक वर्ष की अवधि में सबसे ज्यादा 88 किसानों ने अलीराजपुर में आत्महत्या की है। वहीं झाबुआ में 67, छतरपुर में 43, पन्ना में 41, खरगोन में 39, अशोक नगर में 26, गुना व भोपाल में सात-सात, बुरहानपुर व विदिशा में छह-छह, उज्जैन व सीहोर में चार-चार, दमोह में तीन, रायसेन में दो और मंदसौर, छिंदवाड़ा, सागर तथा बालाघाट में एक-एक किसान ने आत्महत्या की है।
इसके अनुसार 8 किसानों ने ही कर्ज या फसल बरबाद होने की वजह से आत्महत्या की है, वहीं कांग्रेंस के दूसरे विधायक आरिफ अकील द्वारा पूछे गए सवाल के जबाव में पिछले एक साल में जिन किसानों की आत्महत्या का कारण इन दो वजहों को बताया गया है, उनकी संख्या केवल 6 बताई गई है, जिनमें से 3 दमोह के, एक सागर का, एक बालाघाट का व एक छिंदवाड़ा जिले का किसान शामिल है।
उपनेता प्रतिपक्ष राकेश सिंह चौधरी ने गृह मंत्री के जवाब को अधूरा करार देते हुए का कहा, मैंने अपने सवाल में यह भी जानना चाहा था कि जिन किसानों ने आत्महत्या की है, उन पर किस बैंक का कितना व किस ब्याज दर का कर्ज था। इतना ही नहीं, आत्महत्या करने वाले किसानों को सरकार ने कितनी मदद दी है। गृह मंत्री का कहना था कि सवाल कई विभागों से सम्बंधित था, लिहाजा शेष जानकारी जुटाई जा रही है। मंत्री के जवाब पर विधायक के असंतोष जताने पर विधानसभा अध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी ने निर्देश दिए कि विधायक को एक सप्ताह में पूरी जानकारी दी जाए।
लेखक भारत शर्मा देशबंधु, भोपाल में रेजीडेंट एडिटर के बतौर कार्यरत हैं.
चंदन
March 2, 2011 at 5:53 pm
इतना गया गुजरा मंत्री और उसका इतना घटिया जवाब, मैं पहली बार देख रहा हूं। एकदम बेशर्म है यह मंत्री। इसे एक बार नहीं सौ बार मारा जाना चाहिए और इसकी जीभ काट कर लेनी चाहिए। ऐसे लोगों के साथ कोई भला काम करना घोर अपराध होगा।
s kumar
March 3, 2011 at 6:16 am
ye tuchche mantri hi mama shivraj ko mamu bana kar maal hajam kar rahe he…aisa hi raha to woh din door nahi jab sarkaar ka beda gark ho jayega…
manoj deshmukh
March 7, 2011 at 4:21 pm
शायद ऐसे मंत्रियो को पागलो के अस्पताल में भर्ती करा देना चाहिए ,ये जानते ही नहीं है की ये जो दिन-रात खाना खाते है वो किसी गरीब किसान ने बोई हुई फसल का ही दाना होता है आज के मंत्री तो इतने भ्रष्ट हो गए है की इन्हें तो सरकारी योजनाओ में सिर्फ अपना कमीशन ही दिखता है फिर चाहे वह अपनों का खून बेच कर ही क्यों नहीं मिला हो…….कमीनो को बोलते समय थोड़ी भी शर्म नहीं आती ;D
chandan
March 10, 2011 at 4:35 am
इतना गया गुजरा वक्तव्य वो भी सदन के अंदर ,माफी के लायक नहीं