मध्य प्रदेश के अख़बार मालिक सरकारी दबाव में

: रवीन्द्र जैन के बाद अवधेश बजाज हुए सरकारी दबाव के शिकार : भोपाल। मध्यप्रदेश के अख़बारों पर शिवराज सरकार का दबाव निरंतर बढ़ता जा रहा है और दबंग पत्रकार इस दबाव का शिकार हो रहे हैं। रवीन्द्र जैन के बाद इस कड़ी में एक नाम और जुड़ गया है. अवधेश बजाज ने भी अख़बार प्रबंधन से खटपट के चलते पीपुल्स समाचार के समूह सम्पादक के पद से इस्तीफ़ा दे दिया है।

दैनिक जागरण को विज्ञापन रोकने की धमकी दी मायावती ने

मायावती सरकार के चार साल पूरे होने पर दैनिक जागरण, लखनऊ संस्करण में चार किश्तों में मायावती के कामकाज पर स्टोरी प्रकाशित हुई. इन विशेष स्टोरीज वाले कालम का नाम था- वादा तेरा वादा. इन कालमों के जरिए बताया गया कि मायावती के राज में वे क्या क्या काम नहीं हुए, जिनका ऐलान किया गया था. साथ ही इन स्टोरीज में सरकार के कामकाज की आलोचनात्मक समीक्षा थी, जो कि अखबारों में आमबात है.

भ्रष्टों को सेवा विस्तार का सिफारिशी पत्र लिखवाने का रेट चालीस लाख!

भारतीय जनता पार्टी में कौन नेता है जो दागी नहीं है? आप अंदाजा लगाते रहिए. शायद ही कोई माई का लाल दूध का धुला मिले. और, ये हालात किसी एक नहीं बल्कि हर बड़ी राजनीतिक पार्टी का है. लेकिन भाजपा की चर्चा इसलिए जरूरी है क्योंकि वे लोग अपने चरित्र, चाल, चेहरा, चलन को लेकर बहुत दावे करते हैं और परंपरा व संस्कृति पर काफी हायतौबा मचाते हैं.

एमपी के मंत्री ने कहा- मुर्गा नहीं खिलाने पर भी आत्महत्या कर लेते हैं किसान

: फसल खराब होने के कारण की जाने वाली आत्महत्याओं के गंभीर मसले को मंत्रीजी ने छोटे-छोटे कारणों के चलते की गई आत्महत्याएं बताकर सदन को संतुष्ट करना चाहा : मध्य प्रदेश के किसान मुर्गा न खिलाने पर भी आत्महत्या कर लेते हैं। यह कहना प्रदेश सरकार के गृह मंत्री का है, जो आज विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष राकेश चौधरी द्वारा पूछे गए सवाल का उत्तर दे रहे थे। जिस किसान के बारे में यह जानकारी दी गई है, वह खरगोन जिले के भगवानपुर के गांव देवझिरी का निवासी है।

एमपी के सीएम की विजिट और एडीटरों की एडिटरी

मध्यप्रदेश के किसी मुख्यमंत्री ने पहली बार गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया। इससे पहले किसी भी मुख्यमंत्री ने गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर आकर तिरंगा नहीं फहराया। इस हिसाब से गणतंत्र दिवस पर ग्वालियर में तिरंगा फहराने वाले शिवराजसिंह मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बन गए। चूंकि मुख्यमंत्री एक दिन पहले ही शाम को ग्वालियर आ गए थे, इसलिए उन्होंने समय का सदुयपयोग भी खूब किया।

पांच पत्रकारों को 11 दिन रखा जेल में

छोटे व दूरस्थ जिलों में तो बहुत बुरा हाल है पत्रकारों का. भड़ास4मीडिया के पास एक छोटी सी चिट्ठी आई है जिसमें एक चौंकाने वाले घटनाक्रम का जिक्र किया गया है. मध्य प्रदेश के सिवनी जिले से खबर है कि वहां के पुलिस अधीक्षक ने अयोध्या मामले में जिले के पांच पत्रकारों को घरों से सोते हुए उठा कर गिरफ्तार कर लिया और ग्यारह दिनों तक जेल में रखा. धारा 151 में इन पत्रकारों को चोर और उचक्कों के साथ जेल में रखा गया.