: कई बदलावों के बाद भी नहीं मिली राहत : जागरण ग्रुप में टाप मैनेजमेंट द्वारा जागरण में व्याप्त मठाधीश व्यवस्था को खतम करने के लिए पिछले दिनों कई बड़े और महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं. जीएम और रेजिडेंट एडिटर सरोज अवस्थी का तबादला आगरा यूनिट से रांची कर दिया गया है. स्वर्गीय विनोद शुक्ला करीबी होने के कारण उनका काफी दबदबा था.
आगरा यूनिट के ही एक पुराने मठाधीश आरएन शर्मा (सुनील गुप्ता के खासम खास), जो कि वहां सेल्स हेड थे और पिछले चार साल से रिटायरमेंट के बाद भी एक्सटेंशन पे एडमिनिस्ट्रेशन देख रहे थे, को 19 जुलाई को सेवा मुक्त कर दिया गया है. साथ ही साथ डाइरेक्टर तरुण गुप्ता ने यहां व्याप्त राजनीति और अव्यवस्थाओं को देखते हुए अब हफ्ते में पांच दिन यहां पर बैठने का एलान कर दिया है तथा यूनिट की बागडोर अपने हाथों में ले ली है.
रांची के जीएम और रेजिडेंट एडिटर एएन सिंह का तबादला पहले ही आगरा कर दिया गया था. गोरखपुर में जागरण एजेंट लल्लन सिंह को हटा दिया गया है. जागरण के लगभग हर यूनिट खास करके पूर्वी और मध्य यूपी की यूनिट में मठाधीशी व्यवस्था व्याप्त है. ये मठाधीश पुराने लालाओं सुनील गुप्ता, वीरेंद्र गुप्ता और संदीप गुप्ता के खासमखास हैं, जिनकी वजह से ये टाप मैनेजमेंट (नोएडा वालों) की गले की हड्डी बने हुए हैं, जो ना उगलते बन रहे हैं और ना ही निगलते.
आजकल मिस्टर दिनेश पाण्डेय (सेल्स हेड, लखनऊ) मैनेजमेंट के निशाने पर हैं, पर व्यवस्था देखिए कि पूरा दम लगाने के बाद भी कोई उनका कुछ नहीं बिगाड़ पा रहा है. पिछले हफ्ते अभी दो महीने पहले हिंदुस्तान, आगरा से इंकलाब नार्थ इंडिया सेल्स हेड पद पर ज्वाइन करने वाले क्यूएम रिजवी इन अवस्थाओं के कारण ही वापस हिंदुस्तान, आगरा लौट गए.
कहा जाता है कि लखनऊ सेल्स हेड दिनेश पांडेय, कानपुर दुर्गेश श्रीवास्तव, वाराणसी राजेश यादव एवं राघवेंद्र चड्ढा से मैनेजमेंट इस बात से खफा है कि ये ट्रांसपैरेंसी नहीं रखते, तथा सभी काम इनके हाथों ही होते हैं और ये ऊपर जो बताना चाहते हैं वही बताते हैं, बल्कि कहिए इन यूनिट में इनका ही राज चलता है. अपनी यूनिट के यूनिट हेड और पुराने लालाओं से साठ गांठ कर ये चैन की बंशी बजा रहे हैं और टाप मैनेजमेंट और परिवर्तन पसंद गुप्ता ब्रदर्स देवेश गुप्ता औ संजय गुप्ता को झेला रहे हैं. अब देखना है कि जीत किसकी होती है.
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “कई यूनिटों के मठाधीशों से परेशान हैं संजय गुप्ता!”
जागरण वाले अगर इतने ही सही है तो बरेली से चंद्रकांत त्रिपाठी को हटाकर दिखाए. उसने तो पूरी बरेली यूनिट कैप्चर कर रखी. किसी गुप्ता में दम नहीं जो उसे हटा दे.
jagran ko sales aur marketing ke saath editorial me bhi bade badlao karne chaiye,,khaskar unpadh meerut ke baba ko.. jise kuch ni ata
bhai jagran me saroj avaste ka aag bhe sikka chal raha hi lala lago me aapne dukan ko chalane ke padte hi iske alava or kuch nahi.mere hisab se to dhaka mar kar mathadeeso ko bhar ka rasta dekha dena chaiya
दैनिक जागरण की क्या बात करनी साहब। जागरण तो जागरण है। मेरठ को ही ले। यह केवल एक उदाहरण है। आजकल संपादकीय में नए चेहरों की भरमार है। एक भी चेहरा ऐसा नहीं जिसे कुछ ज्ञान हो। सब के सब गधे भर लिए हैं। पैसा देने में जागरण प्रबंधन की मां मरती है। केवल कुछ गिने चुने चेहरे बचे हैं, जो अखबार चला रहे है। कंटेट नाम की चीज अखबार से बिल्कुल गायब है। बस कुछ पुराने लोगों के सहारे इज्जत बची हुई है। गुटबाजी चरम पर है। लेकिन, यह दुनिया के सबसे ज्यादा पढे जाने वाले अखबार है। एक आदमी काम करने वाला मिला था, वो भी छोडकर चला गया। रामेश्वर पांडेय के आने की चर्चा चली, लेकिन अभी तक तो आए नहीं। क्या छपेगा क्या नहीं, किसी को कुछ पता ही नहीं। डफर लोगों के हवाले जनरल डेस्क दे दी गई है। वरिष्ठ मौजूद है, लेकिन कल के लौंडे लपाडे जनरल डेस्क ऑपरेट कर रहे हैं। जो ननौता को मुजफ्फरनगर जनपद का हिस्सा बताते है। या फिर जिनको यह नहीं पता कि अमरोहा का नाम जनपद के तौर पर ज्योतिबाफूलेनगर है। लेकिन मठाधीशों का बरहस्त प्राप्त होने के कारण उनको कोई असर नहीं है। मजे से नौकरी कर रहे है। जो कोई ढंग का आदमी आना चाहता है, उसका पहले से ही इतना विरोध कर दिया जाता है कि वह संस्थान में आ ही नहीं पाता। इसलिए तो कहा है कि जागरण की महिमा जागरण ही जाने।
AUR GORAKHPUR UNIT KE BARE ME KYA VICHAR HAI.