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गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर रोक के लिए नियामक ईकाई गठित करेगी सरकार!

गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सरकार टेलीविजन, केबल तथा प्रिंट मीडिया पर आने वाले ऐसे प्रचार पर रोक लगाने के लिए नियामकीय इकाई गठित करने पर विचार कर रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए नियामकीय एजेंसी गठित करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

<p style="text-align: justify;">गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सरकार टेलीविजन, केबल तथा प्रिंट मीडिया पर आने वाले ऐसे प्रचार पर रोक लगाने के लिए नियामकीय इकाई गठित करने पर विचार कर रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए नियामकीय एजेंसी गठित करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।</p> <p style="text-align: justify;" />

गुमराह करने वाले विज्ञापनों को लेकर ग्राहकों की बढ़ती शिकायतों के मद्देनजर सरकार टेलीविजन, केबल तथा प्रिंट मीडिया पर आने वाले ऐसे प्रचार पर रोक लगाने के लिए नियामकीय इकाई गठित करने पर विचार कर रही है। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम गुमराह करने वाले विज्ञापनों पर अंकुश लगाने के लिए नियामकीय एजेंसी गठित करने पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं।

मंत्रालय ने गुमराह करने वाले विज्ञापनों से निपटने के उपायों पर चर्चा के लिए इस साल अगस्त में अंतर-मंत्रालयी समिति गठित की थी। पिछले महीने प्रधानमंत्री कार्यालय ने भी इस प्रकार के विज्ञापनों पर रोक लगाने के लिए मंत्रालय को नियामकीय प्रणाली तैयार करने का निर्देश दिया था। अनुचित व्यापार व्यवहार से उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जिम्मेदारी मंत्रालय के पास है। नियामकीय एजेंसी के अलावा मंत्रालय विशेषज्ञों से इस बात पर भी चर्चा कर रहा है कि क्या गुमराह करने वाले विज्ञापनों को उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत अनैतिक व्यापार व्यवहार के रूप में विश्लेषित किया जा सकता है।

कानून के तहत अनैतिक व्यापार व्यवहार को अपराध माना जाता है। इसका विस्तार करते हुए इसमें गुमराह करने वाले विज्ञापनों को शामिल किया जा सकता है। अधिकारी ने कहा कि मंत्रालय इस बात पर विचार कर रहा है कि क्या उपभोक्ता संरक्षण कानून को संशोधित कर इसके दायरे को बढ़ाया जाए या इस प्रकार के विज्ञापनों की निगरानी के लिए कार्यकारी इकाई गठित करने हेतु नया विधेयक लाया जाए।

उन्‍होंने कहा कि फिलहाल टेलीविजन, रेडियो, केबल तथा प्रिंट मीडिया पर आने वाले विज्ञापनों की नियमन भारतीय विज्ञापन गुणवत्ता परिषद तथा न्यूज ब्राडकास्टिंग एसोसिएशन जैसे निजी निकायों द्वारा किया जाता है। सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि विज्ञापनों के जरिये ग्राहक गुमराह नहीं हो। फिलहाल ऐसी कोई उचित प्रणाली नहीं है जिससे ऐसे विज्ञापनों के जरिये वादा करने वाली कंपनियों की जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।

अधिकारी ने कहा कि फिलहाल खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य तथा सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय अलग-अलग विभिन्न कानूनों के तहत गुमराह करने वाले विज्ञापनों से निपटता है। दुनिया में कम से कम 30 से 40 ऐसे देश हैं जहां स्व-नियमन है। कुछ देशों में कार्यकारी निकाय या व्यापार आयोग है जो गुमराह करने वाले विज्ञापनों से निपटता है। साभार : हिंदुस्‍तान

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0 Comments

  1. prashant

    October 21, 2011 at 12:55 pm

    🙂 😉 ha ha

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