: आर्थिक गड़बडि़यों के चलते अखबार का काम भी होने लगा प्रभावित : भाई यशवंत जी! यह कहावत कि गेहूं की खेती से धान की उपज नहीं लिया जा सकता, दैनिक जागरण को इसका लग रहा है कि एहसास होने लगा है। 15 अक्टूबर को दैनिक जागरण के पेज नंबर 4 पर एक सूचना प्रकाशित कर यह स्वीकार कर लिया है कि उसके मऊ दफ्तर में अपराधों को अंजाम दिया जाता है।
जी हां, दैनिक जागरण ने सूचना में यह बात सार्वजनिक की है कि उसके कार्यालय को इस बात की जानकारी हुई है कि कुछ पार्टियां उसके कार्यालय के प्रतिनिधियों को बिना रसीद प्राप्त किए विज्ञापनों का नगद भुगतान कर दे रही है, किंतु यह धनराशि अखबार के दफ्तर में नहीं पहुच रही है। जागरण ने अपने सभी पार्टियों से यह अनुरोध किया है कि वे कोई भी नकद भुगतान बिना कार्यालय की पक्की रसीद प्राप्त किए, किसी भी व्यक्ति को न किया जाए, अन्यथा इसके भुगतान की जिम्मेदारी दैनिक जागरण के कार्यालय की नहीं होगी। बताते चले कि यह सूचना दैनिक जागरण मऊ के कार्यालय प्रबंधक के हवाले से प्रकाशित की गई है। यहां यह बताना समीचीन होगा कि प्रबंधक के जिस मोबाइल नंबर का अखबार में उल्लेख किया गया है वह
इस मामले में अखबार के संपादक से यह जानकारी हासिल नहीं हो सकी कि दैनिक जागरण अपने ब्यूरो कार्यालयों पर प्रबंधक की भी नियुक्ति करता है। जहां तक अखबारी परंपराओं की बात है तो जिलों में अखबार के संपादक जिला संवाददाताओं की नियुक्ति करते हैं, जिसके अधीन कई और रिपोर्टरों को तैनाती देते हुए उसे इन सब रिपोर्टरों का बॉस बना दिया जाता है। प्रबंधक की हैसियत से जिस व्यक्ति के द्वारा इस्तेमाल किये जाने वाले मोबाइल नंबर का उल्लेख किया गया है, उसे लोग यहां का जिला संवाददाता मानते हैं, लेकिन इसके नाम का कोई ऐसा सुबूत भी जिलासूचना कार्यालय में मौजूद नहीं है। यहां यह गौर करने वाली बात यह है कि यदि मोबाइल धारक अखबार का प्रबंधक नहीं है तो अखबार के द्वारा जनता और प्रशासन को अंधेरे में रखने की बात साबित होती है। सीधे तौर पर कहा जाए कि यदि यह सूचना स्थानीय दफ्तर से प्रकाशित की गई है तो प्रबंधक लिखकर यहां के जिला संवाददाता ने जनता और जिला प्रशासन को चीट किया है।
बताते चले कि बीत दिनों भड़ास ने दैनिक जागरण के मऊ कार्यालय में अपराधियों के लग रहे जमघट की इशारा करते हुए मऊ से ही प्रकाशित हिंदी दैनिक ब्रह्मखोज के संपादक यानी मेरे हवाले से लिखा था कि जिले के रानीपुर थाने के हार्डकोर अपराधी लालबहादुर यादव और उसका भाई बृजेश यादव आदि को साथ रखकर व्यूरोचीफ बिनय जायसवाल के द्वारा अपराधियों को संरक्षित किया जाता है। इस खबर के बाद दिनांक 15 अक्टूबर 2011 को दैनिक जागरण के मऊ कार्यालय के प्रबंधक के द्वारा इस बात की जानकारी सार्वजनिक की गई है कि अखबार के प्रतिनिधियों के द्वारा ही विज्ञापनदाताओ को अंधेरे में रख विज्ञापन की राशियों पर हाथ साफ कर दिया जा रहा है। इस सूचना से यह बात सामने आ गई है कि दैनिक जागरण के मऊ कार्यालय की करतूत से अब अखबार भी प्रभावित होने लगा है। हालांकि प्रकाशित सूचना में कई गलतियां भी हैं, लेकिन उसका अर्थ सामान्यतया यह साबित हो रहा है कि दैनिक जागरण में काम करने वाले कर्मचारी ही अखबार के विज्ञापनदाताओं को चीट कर उनसे पैसे हड़प ले रहे हैं।
ब्रह्मानंद पांडेय
मऊ