वाराणसी। दैनिक जागरण के वाराणसी संस्करण में दो दशक बाद रिपोर्टरों की बीटों में भारी फेरबदल किया गया है। क्राइम बीट पर लंबे समय से डटे हुए दिनेश कुमार को बीएचयू की कमान दे दी गयी है। क्राइम बीट पर चुपचाप काम करने वाले कैलाश यादव को आर्थिक बीट की जिम्मेदारी सौंपी गयी है। वहीं एक दशक से भी अधिक समय तक शिक्षा बीट देखने वाले राकेश चतुर्वेदी को प्रशासन बीट सौंपा गया है। शिक्षा बीट पर ही काम करने वाले प्रमोद कुमार यादव को म्यूजिक व कल्चर का देखने का काम सौंपा गया है।
शिक्षा बीट पर काम करने वाले धनंजय कुमार वर्मा को क्राइम बीट पर भेजा गया है। प्रशासन पर लंबे समय से काम करने वाले विकास ओझा अब शिक्षा बीट देखेंगे। म्यूजिक कल्चर बीट पर पंद्रह वर्षों से काम करने वाले रवींद्र मिश्र को डेस्क पर भेज दिया गया है। अभी हाल ही में सभी रिपोर्टरों ने अपने कामकाज की प्रगति रिपोर्ट खुद बनाकर मैनेजमेंट को सौंपी थी। लगता है कि उसकी समीक्षा के बाद ही मैनेजमेंट ने इतने बड़े पैमाने पर बदलाव करने का मन बनाया। कुछ रिपोर्टरों को जनपदों की कमान संभालने के लिए भविष्य में भेजा जा सकता है और ऐसा संकेत भी उन्हें दिया गया है। दो माह पहले ही मनोज कुमार को डेस्क से गाजीपुर भेजा गया था और उन्होंने असंतुष्ट होकर इस्तीफा दे दिया। उनका इस्तीफा स्वीकृत भी हो गया। हाल ही में असंतुष्ट होकर राजेंद्र रंगप्पा जो पहले पेज पर की कमान संभाल रहे थे, इस्तीफा देने को बाध्य हुए। हालांकि उन्होंने इसका कारण व्यक्तिगत बताया है। चर्चा है कि जिन रिपोर्टरों की बीट बदली गयी है वे 21 अक्टूबर से अपनी नयी बीट पर काम शुरू कर देंगे।
ये सूचना एक मेल के जरिए मिली है. अगर यहां प्रकाशित तथ्यों में ऊंच-नीच है तो कृपया इसकी ओर ध्यान आकृष्ट कराने की कृपा करें. आप अपनी बात नीचे कमेंट बाक्स के जरिए कह सकते हैं.
Comments on “जागरण, वाराणसी में दो दशक बाद बीट बदलाव”
माननीय जी
जागरण अंधों की बस्ती का शहंशाह बनता जा रहा है। नीचे की बात डायरेक्टर तक पहुच ही नहीं पाती। काम करने वालो को परेशान करना और तेल लगाने वालों को प्रोन्नति देना यहां की परंपरा सी बनती जा रही है। वाराणसी जागरण में बीट में बदलाव कोई बडा कारण नहीं होना चाहिए लेकिन अगर इसके मूल में जाए तो पता चलेगा कि इधर से उधर करने की पूरी प्रक्रिया अपने-अपने चहेतों को एडजस्ट करने के लिए की गयी है जिसका नाम बदलाव दिया जाएगा। यह जागरण में हर यूनिट की परंपरा बन चुक है। संपादक उन्हें ही प्रमोट करते है जो आफिस में प्रवेश के पहले उनका चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेने की पहली डयूटी निभाते है। अब तो जागरण में संपादक देव भरों की परंपरा चल पडी है, यह जहाज में छेद के समान है और मै तो कहूंगा कि आने वाले कुछ वर्षो में जागरण रुपी यह जहाज डूब जाये तो कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
Bure din ke suruwat hai jagran ki………….ye to hona hi tha.
vikas auor rakesh ji ko shubhkamnaye. Aap log es parivartan me bhi hamesha ki tarah utkrisht sabit honge.