: एक पत्रकार को बुखारी के साथ रूद्रपुर जाने की जरूरत क्या थी : उत्तराखंड की घटना पर यूपी पुलिस आखिर क्यों करेगी कार्रवाई : लखनऊ: अपनी हरकतों के चलते हाल ही एक महीने की फोर्स लीव पर भेजे गये राष्ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक के ग्रुप एडीटर अजीज बर्नी का खुद के बारे में किया गया खुलासा लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रहा है।
सवाल उठ रहे हैं कि ऐसे वक्त में जबकि भाजपा, बसपा और कांग्रेस के बीच खासी तनातनी का दौर चल रहा है, यूपी पुलिस उत्तराखंड की घटना पर बर्नी में यूपी पर क्यों कार्रवाई करेगी। जाहिर है कि अजीज बर्नी सफेद झूठ बोल रहे हैं। रविवार को अजीज बर्नी ने अपने अखबार में भारत का इतिहास नाम से अपने कालम में छापा है कि उन्हें रूद्रपुर न जाने देने के लिए यूपी पुलिस ने उनके घर में तीन दिनों तक हाउस अरेस्ट किये रखा। खबर के मुताबिक अजीज बर्नी रूद्रपुर में हुए सांप्रदायिक दंगे का जायजा लेने के लिए जाना चाहते थे, लेकिन पुलिस की इस कार्रवाई के चलते वे अपने अभियान में सफल नहीं हो सके।
इस बारे में अपने अखबार में बर्नी ने जानकारी दी है। खबर में साफ लिखा गया है कि वे उस घटना को लेकर दिल्ली के शाही ईमाम मौलाना बुखारी के साथ रूद्रपुर जाना चाहते थे। लेकिन यूपी में रामपुर की पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। उन्होंने लिखा है कि रामपुर के एसपी से जब उन्होंने रूद्रपुर जाने की बात कही, तो उन्होंने ऐसी यात्रा से मना किया और कहा कि अभी वहां के हालात ऐसे नहीं है कि आपको इसकी इजाजत दी जाए। बाद में यूपी की पुलिस ने उन्हें एनसीआर स्थित उनके आवास पर तीन दिनों तक हाउस-अरेस्ट किये रखा।
बर्नी का यह बयान खासा विवादास्पद है और इसे लेकर विवाद खड़े होने लगे हैं। सवाल कई उठ खड़े हुए हैं। पहला तो कि वे वहां जाने के लिए रामपुर पुलिस की मदद क्यों चाहते थे। उन्हें जाना था तो सीधे उत्तराखंड के इस जिले में जा सकते थे। दूसरा सवाल- वे एक पत्रकार के तौर पर वहां जाना चाहते थे अथवा एक मुस्लिम नुमाइंदे के तौर पर। अगर पत्रकार के तौर पर वहां जाना चाहते थे तो मौलाना बुखारी जैसे आग-उगलू शख्स का साथ उन्होंने क्यों थामा, जिसे आग बुझाने के बजाय, उसे भड़काने में ही महारत है। और अपनी इस खूबी का इस्तेमाल वह अपनी दूकान चलाने में करते हैं। मौलाना बुखारी वही शख्स है जिसने कुछ ही महीना पहले लखनऊ में अपनी एक प्रेस-कांफ्रेंस में सवाल पूछने वाले एक मुस्लिम पत्रकार की दाढ़ी नोंच कर उसे भरी प्रेस-कांफ्रेंस में बुरी तरह पीटा था। यह खबर भड़ास पर छपी थी:- बुखारी ने सवाल पूछने वाले पत्रकार की दाढ़ी नोंची.
तीसरा सवाल- बर्नी के पास इस बात के क्या तर्क हैं कि उन्हें गाजियाबाद के मकान में तीन दिन तक यूपी की पुलिस ने आखिर क्यों नजरबंद किये रखा। आखिर अपनी धुर विरोधी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की सरकार वाले उत्तराखंड में हुई किसी घटना पर जाने से रोकने के लिए यूपी की पुलिस ऐसा क्यों करेगी। और अगर ऐसा हुआ भी तो बर्नी ने अपने मोबाइल, फोन या इंटरनेट के जरिये समय रहते अपने दोस्तों, संस्थान या पड़ोसी जैसे दीगर लोगों को यह खबर क्यों नहीं दी। आखिर वे इस बात की प्रतीक्षा क्यों करते रहे कि वे पुलिस की नजरबंदी से रिहा हों और फिर अपने अखबार के माध्यम से ही इस बारे में लोगों को बतायें। यानी, अगर ऐसा हुआ भी तो, बर्नी शायद खुद भी यही चाहते रहे होंगे कि पहले वे अपनी नजरबंदी करा लें उसके बाद उसे मुद्दा बनायें। चौथा सवाल- अपने स्थानीय संवाददाता के होते हुए भी आखिर बर्नी रूद्रपुर क्यों जाना चाहते थे। हैरत की बात तो यह है कि बर्नी ने अपने अखबार में अपने विरोधी अखबार की तारीफ तक छाप ली कि इंकलाब ने रूद्रपुर की घटना का बहुत बढिया कवरेज किया।
लेखक कुमार सौवीर लखनऊ के जाने-माने और बेबाक पत्रकार हैं. कई अखबारों और न्यूज चैनलों में काम करने के बाद इन दिनों एस टीवी में यूपी ब्यूरो प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. उनसे संपर्क 09415302520 के जरिए किया जा सकता है.
Comments on “तीन दिन की नजरबंदी, सफेद झूठ है बर्नी साहब”
U R extremely right sauvir ji.
इस व्यक्ति का कथन अविश्वसनीय लगता है.