लखनऊ में अरविंद केजरीवाल पर चप्पल फेंकने वाला युवक जालौन निवासी जितेंद्र पाठक है

फिर हुआ टीम-अण्‍णा पर हमला। प्रशांत भूषण के बाद अब अरविंद केजरीवाल पर हमला हो गया है। लखनऊ के झूलेलाल पार्क में चल रही एक जनसभा में उन पर चप्‍पल से हमला हुआ। हमलावर जालौन का निवासी जितेंद्र पाठक है। हमलावर जितेंद्र पाठक को पकड़कर लोगों ने धुना और पुलिस के हवाले कर दिया। अरविंद केजरीवाल लखनऊ में देर शाम एक जनसभा में आये थे।

तीन दिन की नजरबंदी, सफेद झूठ है बर्नी साहब

: एक पत्रकार को बुखारी के साथ रूद्रपुर जाने की जरूरत क्‍या थी : उत्‍तराखंड की घटना पर यूपी पुलिस आखिर क्‍यों करेगी कार्रवाई : लखनऊ: अपनी हरकतों के चलते हाल ही एक महीने की फोर्स लीव पर भेजे गये राष्‍ट्रीय सहारा उर्दू दैनिक के ग्रुप एडीटर अजीज बर्नी का खुद के बारे में किया गया खुलासा लोगों के गले से नीचे नहीं उतर रहा है।

यूपी प्रेस क्‍लब यानी धंधा ठगी और बटमारी का

: के. विक्रमराव के दस्‍तखत से जारी प्रेसनोट पर छिड़ा विवाद : राव बोले- मेरी छवि धूमिल करने के लिए जारी हुआ फर्जी पत्र : मायावती से प्रेसक्‍लब पर रिसीवर बिठाये जाने की मांग : प्रेसनोट में वही तथ्‍य हैं जो विक्रमराव के पत्र में थे : लखनऊ : यूपी प्रेस क्‍लब लगातार विवादों में घिरता जा रहा है। अब तो इसके वर्चस्‍व को लेकर ठगी और बटमारी का धंधा भी खूब फलने-फूलने लगा है।

नोबल पुरस्‍कार विजेता की मौत बनाम पत्रकारिता के झंडाबरदार

: एक ने कैंसर जीता तो दूसरे ने दायित्‍वों की कमर तोड़ी : लखनऊ: कैंसर जैसी भयावह बीमारी का इलाज खोजने में महान मानव शरीर व औषधि वैज्ञानिक डॉ. राल्‍फ स्‍टेनमैन की तीन दिन पहले हुई मौत को बीबीसी ने तीन साल पहले बता दिया है।

टाइम्स नाऊ पर सौ करोड़ के जुर्माने की खबर पढ़कर दिल दहल गया

: मीडिया बेअंदाज है तो न्‍यायपालिका भी कम नहीं : गलती और अपराध में फर्क को समझे न्‍यायपालिका : योर ऑनर, आप ईश्‍वर नहीं है : लखनऊ : सौ करोड़ रुपयों का जुर्माना। सुन कर ही दिल दहल गया। पुणे की एक अदालत ने न्‍यूज चैनल टाइम्‍स नाऊ के खिलाफ दायर एक याचिका पर फैसला देते हुए इस चैनल को सौ करोड़ रुपये रुपये मानहानि का जुर्माना लगाया है।

चार साल बाद मायावती को पता चला कि जितेंद्र सिंह समाजविरोधी हैं

कुमार सौवीर: अपराधी सुधारने की बसपाई फैक्‍ट्री फेल : रीता का घर फूंकने वाले को सम्‍मानित कर चुकी है बसपा : पीस पार्टी की कलंगी पर सजे बीकापुर के एमएलए जीतेंद्र सिंह : धनंजय की कोशिशों पर पानी फेर थामा पीस पार्टी का झंडा : अपनी पार्टी के डेढ दर्जन के करीब जनप्रतिनिधियों की कारण-बेकारण हत्‍या करने वाली बसपा को आज पार्टी के ही एक विधायक जितेंद्र सिंह ने करारा झटका देते हुए पीस पार्टी ज्वाइन कर लिया।

हिन्‍दी को बिन्‍दी नहीं, सर्वस्‍व बनाइये

वीरेंद्र जैन ने हिन्‍दी पर जो सवालात उठाये हैं, मैं पूरी तरह सहमत हूं और जानता हूं कि हिंग्लिश के चक्‍कर में हिन्‍दी के साथ व्‍यभिचार तूफानी तर्ज पर जारी है। यही हालत रही तो वह दिन दूर नहीं कि यह केवल बिन्‍दी के तौर पर जिन्‍दा रहेगी। कहने की जरूरत नहीं कि हिन्‍दी समाचार संस्‍थानों के पत्रकारों ने ही यह हालत पैदा कर दी है।

विक्रमराव के खत पर सुलगने लगी आग, आरोपों के खिलाफ कमर-कसी शुरू

कुमार सौवीरके. विक्रमराव का आरोप है कि यूपी प्रेस क्‍लब और वहां यूपी वर्किंग जर्नलिस्‍ट एसोसियेशन के कार्यालय पर कुछ लोगों ने कब्‍जा करने की साजिशें रची थी। विक्रमराव के मुताबिक यह करीब तीस साल पहले की बात है। उनका आरोप है कि इसके लिए कुछ लोग फर्जी तौर पर यूपी डब्‍ल्‍यूजेए के पदाधिकारी भी बन गये थे।

लखनऊ के मठाधीश पत्रकारों! बताओ तुम्‍हारी औकात क्‍या है

कुमार सौवीर: के. विक्रमराव ने खोली दलालों-मठाधीशों की पोल-पट्टी : माफिया जैसी हरकतें है जोखू और रवींद्र सिंह की : फुटपाथ पर रेस्‍ट्रां का ठेका देकर होती है भारी उगाही : न वेतन और न कोई संस्‍थान, फिर ये लोग कैसे पत्रकार बन कर बैठे हैं प्रेस क्‍लब में : बीस सालों से क्यों नहीं कराया गया प्रेस क्‍लब का नवीनीकरण : लाइब्रेरी की जगह में की जाती है शराबखोरी :

आईआरएस कंवल तनुज ने भी ठुकराया करोड़ों के दहेज का ऑफर

: बोले- यह रिश्‍ता बेच दिया, फिर बिना बिके कुछ नहीं बचेगा : लखनऊ : एक दिन बस यूं ही भाई के घर पर था। भतीजा आया हुआ था नागपुर से। वहीं आयकर अधिकारियों के ट्रेनिंग इंस्‍टीच्‍यूट में ट्रेनिंग पर था। स्‍वाभाविक सी खुशी की बात थी कि वह दूसरे अटेम्‍प्‍ट में आईआरएस हो गया। नाम है कंवल तनुज। पूरे खानदान में सरकारी ओहदे के हिसाब से यह अब तक की सबसे बड़ी पारिवारिक उप‍लब्धि थी।

पहले तो जमकर धुना, फिर बोली गलती हो गयी पत्रकार जी

: नर्सिंग होम में हंगामा काटने पर लेडी डॉक्‍टर ने जूतियों से पीटा : जौनपुर में अपनी आबादी के हिसाब से पत्रकारों की बेहिसाब बढ़ी तादात की अभद्रता को एक महिला डॉक्‍टर ने बहुत नायाब तोहफे से नवाज दिया। अपने नर्सिंग होम में हंगामा कर रहे इस पत्रकार को पहले तो डॉक्‍टर ने जूतियों से पीटा, फिर डण्‍डों से धुना। बाद में पत्रकार की ही तर्ज पर माफी मांग ली। बोली :- गलती हो गयी पत्रकार जी।

दारू और ऐयाशी का अड्डा बने प्रेसरूम को लेकर फिर विवाद : हेमंत करेंगे दावा

[caption id="attachment_21079" align="alignleft" width="80"]सौवीरकुमार सौवीर[/caption]: पत्रकारों का एक धड़ा अपनी धाक जमाने की फिराक में : मुदित माथुर को बनाया गया प्रेसरूम का प्रभारी : लखनऊ स्थित जीपीओ के प्रेस रूप पर पत्रकारों को आखिरकार कब्‍जा वापस मिल ही गया। खासा विवाद हुआ इस बीच। बीएसएनएल और डाक विभाग के कर्मचारियों-अधिकारियों के बीच तीखी मगर जुबानी तकरार भी हुई, लेकिन फैसला पत्रकारों के पक्ष में ही रहा।

अफसर की पत्नी और पत्रकार की बीवी के बीच हुई गालीवार्ता सुनें

कुमार सौवीर: एक-दूसरे को सरेआम मां-बहन से तौल डाला, झोंटा-नुचव्‍वल की नौबत : सरकारी कालोनी में मर्दाना गालियों से लैस भिड़ीं दो आधुनिकायें : लखनऊ : यूपी के बदलते माहौल का अंदाजा लगाना हो तो यह टेप सुन लीजिए। यहां राजनीतिक तौर पर तो हालात सड़कछाप हो ही चुके हैं, प्रबुद्ध और जिम्‍मेदार माने जाने वाले वर्ग भी अब सड़कछाप होते जा रहे हैं।

असद लारी का वेतन बढ़ा पौने बारह रुपये, वह भी सालाना

वाराणसी : असद लारी। यह नाम बनारस के पत्रकारों में खासा पहचाना नाम है। यह साहब पत्रकार हैं, धाकड़ हैं और अपनी धाक की नुमाइश करने के लिए वे लगातार अपनी मूछों में हमेशा कुछ न कुछ खोजते ही रहते हैं। अंदाज ठीक वैसा ही जैसे नैनीताल के थारू मजदूर, जो खाली वक्‍त में अपना लबादा उतारकर चीलर-जूं खोजते रहते हैं।

खूब बिछायीं गोटियां, बधाई हो बृजलाल

: एक महीने के लिए मानद डीजीपी बने आरके‍ तिवारी : तो आखिरकार मुख्‍यमंत्री मायावती के किचन-कैबिनट की मायावी चालों ने वह स्‍तम्‍भ भी ध्‍वस्‍त कर दिया जो समाज की सुरक्षा का सबसे पुराना हथियार माना जाता है। यानी पुलिस। करमवीर सिंह के रिटायर होने के बाद अब यह कमान किसी को नहीं सौंपी गयी है। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि यह पद खाली ही पड़ा रहेगा, बल्कि पीएसी के महानिदेशक आरके तिवारी इस पद का काम तदर्थ तौर पर देखेंगे। आखिर एक महीने तक तो किसी जुगाड़ से डीजीपी का पद किसी खास के लिए रोके रखना भी तो मौजूदा सरकार के लिए जरूरी ही है।

लखनवी पत्रकार पुराण : पुरोधा चिखुरी जब चिचिया उठे

कुमार सौवीर: परदेसी से भिड़े चिखुरी ने भांजी आरोपों की गदा : चिखुरी के चीथड़े उधेड़े परदेसी ने : नारद ने झगड़े की दाल में मारा तड़का : मजबूर कनपुरिया रंगबाज ने मामला निपटाया :  लखनऊ : रणभेरी के लिए पिपिहरी की आवाज में शुरुआत चिखुरी ने की:- काहे, बेइमानों के खिलाफ लड़ रहे अण्‍णा के समर्थन में अगर पत्रकार भी आंदोलन करें, तो इसमें गलत क्‍या है।

हजरतगंज के सौंदर्यीकरण में बड़े पत्रकारों ने ली थी दलाली!

: दो महीनों में हो जाएगा दलाल पत्रकारों के नाम का खुलासा :  यूपी के सफेदपोश पत्रकारों के नंगे होने का वक्‍त आ चुका है। आ क्‍या चुका है, बाकायदा शुरुआत हो चुकी है। लखनऊ में यूपी एक्रेडेटेड जर्नलिस्‍ट ऐसोसियेशन के बैनर को अण्‍णा के पक्ष में इस्‍तेमाल किये जाने को लेकर छिड़े ई-मेलवार का आक्रामक अंदाज तब दिखायी दिया, जब कमेटी के अध्‍यक्ष हिसामुल इस्‍लाम सिद्दीकी के अंग्रेजी में लिखे पत्र का मजाक उड़ाते हुए शरत प्रधान ने एक खत लिख मारा।

भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर लखनऊ के पत्रकारों में ईमेल-वार

: कमेटी के कथित फैसले पर मचा हंगामा, आरोपों का दौर : विरोध और समर्थन जुटाने में भिड़े आला पत्रकार नेता : भ्रष्‍टाचार पर अण्‍णा हजारे के समर्थन में रैली निकालने के सवाल पर लखनऊ के बड़े कहे जाने वाले पत्रकारों में घमासान शुरू हो गया है। उप्र राज्‍य मुख्‍यालय पर मान्‍यता प्राप्‍त पत्रकारों की कमेटी के इस कथित फैसले को खुद कमेटी के अध्‍यक्ष ने ही खारिज कर दिया है।

घूसखोर आईजी, ऐय्याश एडीजी, हत्यारा डीजीपी… लंबी है ये कहानी, सुनो कुमार सौवीर की जुबानी

दिल्ली में आलोक तोमर के होने को मैं एक विलक्षण परिघटना मानता रहा, क्योंकि आलोक तोमर अप्रत्याशित थे, अनमैनेजबल थे, वे वो लिख देते थे, जिसे कहने भर में कई लोगों को पसीने छूट जाते थे. वो वह कर देते थे, जिसके बारे में सोचने में कई लोगों की थूक सरक जाती थी. वो केवल प्यार से जीते जा सकते थे, प्रलोभन और दबंगई से नहीं.

महिला उत्पीड़न का आरोपी और मानवाधिकार जांच में फंसे आईपीएस लोकू को माया सरकार देगी श्रेष्‍ठता पुरस्‍कार!

केवल प्रताड़ना के लिए निर्दोष महिलाओं को रात भर थाने पर बिठाये रखने वाले पुलिस अफसर को प्रदेश की माया-सरकार ने उसकी हरकतों को उत्‍कृष्‍ट और सराहनीय माना है। कल सोमवार 15 अगस्‍त को मुख्‍यमंत्री मायावती खुद उसके गले में मेरीटोरियस सर्विस का मेडल टांगेंगी। यह अफसर अब लखनऊ में डीआईजी के तौर पर बिराजमान है।

यूपी के अफसरों की खुली पोल, एक फोन पर हराम की रकम हाजिर

: दो ठगों ने दर्जनों अफसरों को चूना लगाया : ग्‍वालियर के डीएम ने भी दिए दो लाख रुपये : यूपी में यह एसटीएफ की अक्‍लमंदी है, अफसरों की औकात या फिर अफसरशाही में उगाही की प्रवृत्ति का भंडाफोड़। जो भी हो, मगर गुरुवार की एक घटना ने बता दिया है कि यूपी के अफसरों को टुच्‍चे किस्‍म के धोखेबाज ब्लैकमेल कर सकते हैं।

पत्रकारिता में पेड न्‍यूज व प्रायोजित इंटरव्यू चिंता का विषय

: लखनऊ में आयोजित कार्यशाला का दूसरा दिन : राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक मीडिया कार्यशाला के दूसरे दिन प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए एक्सप्रेस न्यूज डेली के ग्रुप एडिटर प्रो. बलदेव राज गुप्ता ने अपनी तीन घण्टे के लम्बे परन्तु रोचक सत्र में पत्रकारिता जगत की प्राथमिक किन्तु महत्वपूर्ण जानकारियों के साथ मीडिया के सामाजिक सरोकार पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज पत्रकार वही व्यक्ति बन सकता है जिसके पास शब्दों का अथाह भण्डार हो।

बुखारी ने सवाल पूछने वाले पत्रकार की दाढ़ी नोंची

मौलाना अहमद बुखारी अब अवाम की जुबान कुचलने पर आमादा हो गये हैं। लखनऊ में आज उन्होंने एक पत्रकार को भरी प्रेस कांफ्रेंस में जमकर पीटा। हाईकोर्ट के फैसले पर मौलानाओं से बात करने यहां आये दिल्ली की जामा मस्जिद के ईमाम अहमद बुखारी ने सवाल पूछने की हिमाकत करने पर भरी प्रेस कांफ्रेंस में दास्तान-ए-अवध के सम्पादक मोहम्मद वहीद चिश्ती की दाढी नोंची, टोपी उछाली और थप्पड़ों की बौछार कर दी।

कृष्ण का जन्म और कन्या भ्रूण हत्या

विडम्बना देखिए। एक ओर महान शख्स का आज हम प्रतीकात्मक जन्म दिन मना रहे हैं। वहीं, उसकी उंचाइयों तक पहुंचाने वाली नारियों को हम नेपथ्य में भेज देते हैं। उन जैसी बनने वाली लाखों कन्याओं को जन्मने से पहले मार देते हैं।

कटघरे में पांच घंटे तक खड़े रहे कुमार सौवीर

महुआ न्यूज के यूपी ब्यूरो चीफ कुमार सौवीर को पांच घंटे तक कटघरे में खड़ा रहना पड़ा. ऐसा चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) के आदेश पर हुआ. घटनाक्रम यूपी के रामपुर से जुड़ा है. पता चला है कि महुआ न्यूज पर प्रसारित किसी खबर को लेकर किसी सज्जन ने रामपुर में मुकदमा कर दिया था.

अब देवता को गाली, मैग्जीन पर पाबंदी

‘अंबेडकर टुडे’ मैग्जीन में ब्रह्मा को ‘बेटीचोद’ लिखा : बसपा के बड़े नेता हैं पत्रिका के संरक्षक : प्रतियों को जब्त करने के आदेश : टाइटिल निरस्त करने की कार्यवाही : सीबीसीआईडी जांच कराई जाएगी : तो लीजिये जनाब। देख लीजिए कि खरबूजे को देखकर खरबूजा किस तरह गिरगिट जैसा रंग बदलता है। संदर्भ है प्रिंट मीडिया। राष्ट्रीय सहारा ने जिस भाषावली का इस्तेमाल शुरू किया है उससे सबक लेकर और भी पत्र-पत्रिकाएं अपने कदम कई मील आगे तक बढा चुकी हैं।

तो यह है इस देश में अदालतों का सच!

[caption id="attachment_15698" align="alignleft"]कुमार सौवीरकुमार सौवीर[/caption]मुझे लगता है कि अब अदालतों के कामकाज को लेकर भी समीक्षा का काम सम्भालने का मौका समाचारकर्मियों को सम्भाल लेना चाहिए। दरअसल, अदालतों के कामकाज में हस्तक्षेप न करने की एक परम्परा सी चली आ रही है। कब से? शायद शुरू से ही। और इसे बनाया है वकीलों ने। मुअक्किलों को भयभीत करने के लिए इससे बेहतर और क्या हो सकता है कि वादी को चुप रहने को कहा जाए और जो कुछ कहना है वकील ही कहे। लहजा कुछ ऐसा हो ताकि एक भौकाल बना रहे कि जज साहब का मिजाज जरा भी गड़बड़ाया तो सब किया धरा चौपट हो जाएगा, और अदालत की अवमानना अलग से कहर की तरह टूटेगी और अदालत का कहर खुदा के कहर से कम नहीं होता…. यह सब बातें अदालतों के बारे में लोगों के दिमाग में ठूंस-ठूंस कर भरी जा चुकी हैं। किसी भी अदालत में पहुंच जाइये। डायस पर बैठे हमारे-आपके जैसे शख्स को काला कोट पहने वकील लोगों द्वारा आनरेबुल कह कर सम्बोधित किया जाता है और काला कोट पहन कर जिरह करते व्यक्ति को वही आनरेबुल लोग लरनेड कहते हैं। यानी आनरेबुल व्यक्ति के लिए यह जरूरी नहीं कि वह लरनेड हो, जबकि इसके ठीक उलट यह जरूरी नहीं होता कि लरनेड व्यक्ति आनरेबुल हो।

एक घटना को पत्रकारिता का चरित्र न करार दें

[caption id="attachment_15698" align="alignleft"]कुमार सौवीरकुमार सौवीर[/caption]हो सकता है कि पायल की बात सच हो। और अगर ऐसा है तो, कहने की जरूरत नहीं कि उनके साथ हुआ हादसा बेहद शर्मनाक है। लेकिन इतना भी शर्मनाक नहीं कि पूरी पत्रकारिता के चेहरे पर कालिख पोत कर उसे सरेआम चौराहे पर दिनदहाडे़ सिर पर चौराहा बनाकर महीनों तक घुमाते रहा जाए। जरा सोचिये कि क्या इसके पहले इस पेशे से जुड़ी महिलाओं के साथ ऐसा नहीं होता रहा है। हमेशा ही हुआ है और उतना ही हुआ है जितना हमारे समाज ही नहीं, बल्कि उसके किसी भी अंग से जुड़ी महिलाओं के साथ। और तो और, जो महिलाएं केवल घर तक पर ही सिमट कर रह जाती हैं, उनमें से कुछ के साथ भी तो यही सब होता रहता है।

हांडी के हर चावल की जांच करना संभव नहीं

[caption id="attachment_15698" align="alignleft"]कुमार सौवीरकुमार सौवीर[/caption]यशवंत भाई, पत्रकार ही नहीं, भारत का जागरूकता के स्तर तक हर पढ़ा-लिखा और मीडिया फ्रेंडली आदमी यह जरूर जानना चाहता है कि आखिर हिन्दुस्तान, मृणाल पांडे और शशिशेखर के मामले में ताजा अपडेट क्या हैं और मृणाल जी द्वारा छोड़ी गयी हिन्दुस्तान की टीम का अब क्या रवैया होगा, बावजूद इसके कि मृणाल जी उन्हें इस्तीफा न देने का निर्देश जैसा सुझाव दे चुकी हैं। भड़ास4मीडिया में यह विषय खूब लिखा-पढ़ा जा चुका है। कुछ लेखकों की निगाह में मृणाल पांडे जी ललिता पवार जैसी खलनायिका दिखायी पड़ती हैं तो कुछ लोग उनमें गुण भी देख रहे हैं। कुछ बातें मैं भी कहना चाहता हूं। मृणाल जी के बारे में मैंने बहुत सुना था। एक बार जोधपुर में अपनी तैनाती के दौरान मैंने उन्हें दीदी कहते हुए एक खत लिखा।