इंदौर की पत्रकारिता में लंबे समय बाद कुछ हलचल होती दिखाई दे रही है। चार-पाँच साल पहले ‘जागरण के आने से इंदौर के अखबारों में भगदड़ मची थी। लेकिन, बदतर मैनेजमेंट के कारण जागरण का यह प्रयोग फेल हो गया था। जो लोग इस अखबार से जुड़े थे, उन्हें भी मायूसी हाथ लगी थी। लेकिन, ‘दबंग दुनिया’ ने यहाँ के पत्रकारों में एक बार फिर उम्मीद जगा दी है।
‘दबंग दुनिया’ की शुरूआत तो अच्छी नहीं कही जा सकती, क्योंकि बहुत चुके और थके लोगों ने यह अखबार शुरू किया था। लेकिन, धीरे-धीरे ‘दबंग दुनिया’ जमीन पकड़ता दिखाई दे रहा है। इस अखबार ने बड़े अखबारों को अपना निशाना बनाया है। पहले दैनिक भास्कर से उनके मैनेजर अवनींद्र जोशी को तोड़ा और अब शिमला के संपादक कीर्ति राणा को इंदौर ले आए। इस बीच राज एक्सप्रेस से कार्पोरेट एडीटर बसंत पाल को तोड़ा, जो कार्पोरेट मामलों के सबसे अच्छे जानकार माने जाते हैं। इसके बाद ‘पत्रिका’ के कुछ जूनियरों को भी मौका दिया है। विनोद शर्मा और गौरीशंकर को भी दबंग की टीम मे शामिल कर लिया गया है, जिन्हें पत्रिका ने निकल दिया था ।
ताजा खबर यह है कि दैनिक भास्कर के कुछ जाने-माने नियमित कॉलमिस्टों को भी ‘दबंग दुनिया’ में लाने की तैयारी है। जानकारी यह भी है कि ‘नईदुनिया’ के तीन-चार वरिष्ठ लोगों से भी बात चल रही है जो कभी भी ‘दबंग दुनिया’ ज्वाइन कर सकते हैं। इन दिनों दैनिक भास्कर, पत्रिका और नईदुनिया तीनों अखबारों में जबरदस्त असंतोष होने की खबर है। इसका सबसे बड़ा कारण असंतुलित वेतन बढ़ोतरी बताया जा रहा है। इसके अलावा नईदुनिया के स्थानीय संपादक जयदीप कर्णिक की अक्षमता, उनका व्यवहार और मराठी प्रेम भी लोगों की आपत्ति का कारण है। मराठी लोगों को नईदुनिया में जिस तरह तरजीह मिल रही है, अन्य वर्ग के लोगों में नाराजी है। वेतन बढ़ोतरी के मामले में भी उनका पलड़ा भारी रहा।
जबकि, दैनिक भास्कर के संपादक अवनीश जैन से स्टॉफ की नाराजी लंबे समय से चल रही है। नेशनल हेड कल्पेश याज्ञनिक के इंदौर आ जाने से मामला और बिगड़ गया है, क्योंकि वे स्टॉफ में बेहद अलोकप्रिय चेहरा रहे हैं। ‘पत्रिका’ में वेतन को लेकर तो असंतोष है ही, मैनेजमेंट का राजस्थान प्रेम काम करने वालों को हमेशा परेशान करता है। पत्रिका में राजस्थान से लाए गए लोगों को ही सबसे ज्यादा योग्य माना जाता है। अरूण चौहान को लेकर भी मामला जरा उखड़ा हुआ सा है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि इंदौर में भागमभाग जैसा माहौल है और ‘दबंग दुनिया’ इसमें फायदा उठा सकता है।
एक पत्रकार द्वारा भेजे गए पत्र पर आधारित.
Comments on “‘दबंग दुनिया’ ने पैदा की इंदौर में हलचल”
Dabang Dunia ko mera salam ummeed hai yah akhbaar sare mp mai
apni puri Dabangta se aage badta raehga
दबंगई करते रहना दबंग दुनिया
hud hud dabang duniya sare begar logo ke sath bajao harmuniya
Yashwant je
Vinod SHARMA ne to ek mehene pehele he Patrika chodne ke suchna editor ko de de the. Vehe Patrika ke top three reporters me tha.uska Petrika chodna to Petrika ke lye zetka hai. Debang Dunia me vo double salary per gay hai or senior position per. Gourishankar ne to Patrika ke news room me dabang me kam kerne ke iCha jetate hui wha nokre kerne ka open alan kya yha
chaploosoon main ghir gaye hai arun chouhan. unki ==Rosni== chali gai hai auy mati mari gai hai.
D-DUNIA MAI KRITESH DUBEY AUR AJY NAWELE CIRCULATION MAI RHENGE
दबंग दुनिया के विषय में भड़ास में पढ़ा.यह अखबार सचमुच एक क्रांति की तरह उभरा है.नईदुनिया की सडांध मारती भास्कर-ग्रंथि ,भास्कर की निरंकुश दादागीरी और पत्रिका की एकतरफा राजनीति के बीच इस अखबार ने तेज़ी से जगह बनानी शुरू की है.कीर्ति रना और अवनींद्र जोशी की टीम कुशलता से काम कर रही है और उन्होंने स्वस्थ,स्तरीय टीम बनाने के क्रम में नईदुनिया,आहा!ज़िन्दगी और नवभारत टाइम्स से सम्बद्ध रह चुके सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट देवेन्द्र शर्मा को भी अनुबंधित किया है.जिनका अगले पृष्ठ पर छपने वाला कार्टून स्तम्भ’ बुलबुला ‘ पाठकों में लोकप्रिय हो रहा है.छपाई,लेआउट ,फोटोग्राफी और सामग्री प्रस्तुतीकरण की दृष्टि से यह अखबार किसी से उन्नीस नहीं है, और पाठकों की ओर से मिलने वाला उत्साहपूर्ण प्रतिसाद इसके लिए शुभ संकेत है.
—चन्द्रगोपाल जेठवानी ,इंदौर [म.प्र.]
dabang duniya is best
mumbai me sabko todkar rakh dega.dabang dunia ne halchal kar diya hai. best editor of NEELKANTH PARATKAR
dabang aur dabang ho bhrashtachaar ko khatm kare yahiaaska hai
दबंग दुनिया ने इंदौर सहित कई शहरों से एक अलग पहचान बनाने का कार्य किया है इसी तरह बैखोफ खबर के साथ बधाई
Kya bat dabang ki ye ak bisbasniy news pepar ha or India my ak kiranti lane bala ha