वैसे तो छोटे-मोटे अखबारों में एक दूसरे की खबर कॉपी करने या चोरी करने का खेल चलता ही रहता है. इसके बावजूद लोग इलेक्ट्रानिक मीडिया से ज्यादा विश्वास अखबार पर करते हैं तथा महत्व देते हैं. पर चोरी जैसी हरकत खुद को नम्बर एक कहने वाला बड़ा अखबार दैनिक जागरण करे तो इसे क्या कहा जाए.
हिंदुस्तान अखबार के दिल्ली संस्करण में एक खबर आई, जिसका शीर्षक था ”दो वर्ष के अंदर मानसिक रोगी बना सकता है महानगर का तनाव”. यह खबर हिंदुस्तान में 9 अक्टूबर को सीनियर रिपोर्टर निशी भाट के नाम से प्रकाशित हुई थी. पर लोगों को आश्चर्य तब हुआ जब अगले ही दिन यानी 10 अक्टूबर को दैनिक जागरण ने भी दिल्ली जागरण पेज पर ”बढ़ रही मानसिक मरीजों की संख्या” हेडिंग के साथ खबर लगाई. इस खबर में हिंदुस्तान से आंकड़े एवं जानकारियां चुराकर बस शब्दों का हेरफेर कर दिया गया.
अब आसानी से समझा जा सकता है कि इन बड़े अखबारों के रिपोर्टर किस तरह की और कौन सी पत्रकारिता कर रहे हैं. अब इसे खबरों का दबाव कहें या फिर अपने पाठक को मूर्ख बनाने की कला, पर इस खबर के बाद जागरण की साख तो जरूर गिरी है.
एक पत्रकार द्वारा भेजा गया पत्र.
Comments on “दैनिक जागरण ने चुराई हिंदुस्तान की खबर”
एक पत्रकार ने दूसरे के साथ किया धोखा
एक साथ्ा लाए खबर, एक ने पहले छाप दी तो दूसरे ने बाद में
दरअसल मानसिक दिवस विशेष पर दोनों ने विभाग से खबर निकाली थी
मगर एक ने ब्यूरो प्रमुख के दबाव में एक दिन पहले ही खबर की उल्टी कर दी
अब इसमें दोनों पत्रकार का क्या दोष है
दरअसल यह आंकडा दोनों रिपोर्टर ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य विभाग के प्रवक्ता से इमेल पर मंगाया था
दोनों ने अपने स्तर पर अलग मंगाने के बाद खबर बनाई
हिंदुस्तान व जागरण के पत्रतार कहीं जाते नहीं हैं,
बल्कि इमेल पर ही आंकडे मंगाकर उस पर बाइलाइन की परंपरा पैदा कर देते हैं
मुझे तो उस ब्यूरो प्रमुख पर तरस आती है जिसने बाइलाइन दे दी
dikkat kya hai taau, dainik jagran ke pathko ko kya nahi hak hai is news ko padhne ka?