आगंतुकों को बैठने का इशारा किया और पत्नी को चाय बनाने को कहा। बरामदे में रखी कुर्सी पर हम चारो बैठ गए। हमने उनके आने का प्रायोजन पूछा लेकिन वे जबाव देने के बजाए हमारी गृहस्थी और साधारण जीवन शैली को निहार रहे थे। कोई पांच मिनट बाद तीन में से एक ने अपने छोटे साथी को कहा कि साफ साफ बात करो। छोटे ने हमसे पूछा क्या आपने कोई आरटीआई डाला है? छोटे ने इसके साथ ही यह भी बताया कि वह दैनिक हिन्दुस्तान में काम करता है। इस सवाल के बाद हमें लगा कि कल आरटीआई की तरफ से जो पत्र आया है उसके बारे में यह आदमी कुछ जानना चाह रहा है। हमने कहा कि कामनवेल्थ खेल के दौरान पत्रकारों को जूते, कपडे, बैग आदि बांटे गए थे और उसी बांटे गए किट के बारे में हमने जानकारी मांगी थी, जो कल ही आई है। हमने वह पत्र भी सामने रख दिया।
इसके बाद हमने उन लोगों से पूरा परिचय देने को कहा। छोटे आदमी ने अपना नाम प्रमोद पंत बताया और हिन्दुस्तान अखबार के दिल्ली कार्यालय में अपनी तैनाती बतायी। शेष दोनों लोगों ने अपना परिचय सिर्फ प्रोपर्टी डीलर के रूप में दिया। अभी तक मैं कुछ समझ नहीं पाया था। हमने पूछा आखिर बात क्या है और आप लोग सीधे मेरे घर पर कैसे आ गए। फिर पंत ने कहा कि आपने एक और आरटीआई डाल रखा है। हमने स्वीकारा। उसने कहा कि हमलोग नचिकेता कपूर के आदमी हैं और बेहतर होगा कि आप अपना आरटीआई वापस ले लें। वे बडे़ लोग हैं और उनका राजनीतिक भविष्य खराब हो सकता है आपके आरटीआई से। इसके बाद आईने की तरह सारी बातें साफ हो गई मेरे सामने।
दरअसल जनवरी माह में मैंने नचिकेता कपूर के बारे में आयोजन समिति से जानकारी मांगी थी। नचिकेता के बारे में हमें जो जानकारी मिली थी उसके अनुसार वह एक शातिर आदमी है जो युवा कांग्रेस में रहकर कई कारनामें किए। 38 साल का यह आदमी 38 से ज्यादा देशों में जा चुका है और विदेश में एक कुकर्म के आरोप लगने के बाद युवा कांग्रेस से निकाला जा चुका है। इसके बारे में
हमने पत्रकार पंत को काफी समझाया और यह भी कहा कि उसे इस मामले में नहीं पड़ना चाहिए। फिर उसी गिरोह के एक आदमी ने कहा कि आपका लड़का जिस स्कूल में पढ़ता है वह जानता है। उसके इस सवाल का अर्थ हम समझ गए। हम जान गए कि नचिकेता को आरटीआई वालों ने इसकी जानकारी दे दी है और ये लोग उसके भेजे गए गुंडे हैं। हमें अब बेकार की बातें लगने लगी। हमने कहा कि आपलोगों को सब पहले से ही जानकारी है और आप लोग मंडावली की गली में मेरे इस मकान पर बेधड़क पहुंच सकते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं। फिर आरटीआई वाले तो आपको सूचना दे ही रहे हैं। अब आप जा सकते हैं। जाते-जाते पंत कह रहे थे वे लोग जैन टीवी वालों को जानते हैं। दरअसल ये सारी बातें पंत हमें दबाव में डालने के लिए कह रहे थे। पंत ने अपना मोबाइल नम्बर भी लिखवाया था… 9873096406। वे लोग चले गए। सीढ़ी के नीचे झांका तो तीन आदमी और खडे़ थे।
मैं जैन टीवी में काम करता हूं। जैसे ही करीब 12 बजे अपने दफ्तर पहुंचा प्रमोद पंत का फोन आया। भाई साहब आपसे फिर मुलाकात करनी है। शाम को आप कहां मिलेंगे। क्या आप प्रेस क्लब आ सकते हैं? मैंने मना कर दिया। फिर उसका फोन आया तब मैंने कहा कि आप जैन टीवी के दफ्तर मे ही आ जाएं। शाम को करीब 7 बजे वह जैन टीवी के दरवाजे पर आकर हमें बाहर आने को कहा। हमने उसे भीतर बुलाया। वह दो आदमी थे। एक आदमी अपने को बैंक का कर्मचारी बताया। तीन पत्रकार मित्रों के बीच उनसे बातचीत हो रही थी। वे बार-बार कह रहे थे आप अगला कोई कदम ना उठाएं और आरटीआई वापस कर लें। और आपकी क्या सेवा की जा सकती है बताएं। हमने एक ही बात कही सबसे पहले आपलोग आरटीआई का जबाव भेजवा दें। और यहां से चले जाएं नहीं तो पुलिस को बुलाया जाएगा।
रात करीब 9 बजे वे लोग लौट गए। कुछ दिनों के बाद ही हमें आरटीआई का पत्र हमें मिला, जिसमें नचिकेता कपूर का बायोडाटा लगा था। इसके अलावा जानकारी दी गई कि कामनवेल्थ आयोजन समिति में यह डीजी प्रोटोकाल था और हर माह इसे 60 हजार की राशि मिलती थी। आरटाआई से हमें जो जानकारी मिली उसमें वह जानकारी नहीं थी जिसकी हम चाह रखते थे। हमने इस सिलसिले में अपने कई सूत्रों से पटना, काठमांडू और नचिकेता के विरोधी लोगों से जानकारी लेने की कोशिश की और टुकड़ों-टुकड़ों में जो बाते सामने आईं वह चौंकाने वाली थी। इस सिलसिले में हमने दिल्ली के दो अखबारों को भी जानकारी देने की कोशिश की। इसी सिलसिले में अगले सोमवार को हम पटना जाने की तैयारी भी कर रहे थे कि विकीलीक्स का खुलासा हुआ और नचिकेता जैसे प्राणी का नाम उभर कर आया। आइए नचिकेता पर डाले एक नजर.
विकिलीक्स के खुलासे के बाद अचानक एक कपूर कांग्रेस और यूपीए सरकार के लिए काल बन जाता है। दोनों इससे पीछा छुड़ाने लगते है। लेकिन क्या कोई अपनों से पीछा छुड़ा पाता है भला! और पीछा छुड़ाए भी तो कैसे। जब अतीत का भूत वर्तमान में भी कदमताल कर रहा हो। विकीलिक्स केबल की रुहानी ताकत नचिकेता कपूर का भूत ही तो है। कांग्रेस इसके साए से कैसे बच सकती है! क्योकि नचिकेता नाम का भूत अचानक कांग्रेस और यूपीए की रुह में नहीं समाया। विश्वास न हो तो जरा इस भूत यानी नचिकेता के अतीत और वर्तमान पर नजर डाले। कहानी खुद ब खुद समझ में आ जाएगी- साल 1972 में जन्मे 39 बसंत देख चुके नचिकेता कपूर कम वक्त छोटी क्वालीफिकेशन लेकिन बड़ी कामयाबी के रोल मॉडल जैसे है।
देश की शार्ट-कर्ट राजनीतिक सिस्टम में लंबी पहुंच की बदौलत कब और कैसे अपने मुफीद मोहरे चलकर बुलंदियों को छू लिया जाए कोई इनसे सीखे। भ्रष्टाचार के दलदल में सनी राजनीति को हथियार बनाकर खुद को इस कदर खड़ा किया कि शिखर तक पहुंचने में जनाब को इतना कम वक्त कैसे लगा खुद उन्हें नहीं मालूम। बिल्कुल वैसे ही जैसे दाहिने हाथ को पता ही नही कि बाए हाथ में क्या है। 1991 में डीपीएस से स्कूली शिक्षा और 1994 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से बैचलर डिग्री लेने के बाद नचिकेता ने कभी पीछे मुड़कर नही देखा। 39 साल के छोटे से जीवन में जनाब को 17 सालों का राजनीतिक और इससे जुडे़ कई अनुभव है।
जारी…
वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश अखिल बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के निवासी हैं. पटना-दिल्ली समेत कई जगहों पर कई मीडिया हाउसों के साथ कार्यरत रहे. इन दिनों जैन टीवी से जुड़े हुए हैं. मिशनरी पत्रकारिता के पक्षधर अखिलेश अखिल से संपर्क mukheeya@gmail.com के जरिए किया जा सकता है.
Comments on “नचिकेता कपूर और उनके कारनामे (एक)”
ye sabhi gali ke kutte hai Bhai,congress rupi gutter ke suar….
papi ka pet bahut bada hota hai.
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