नई दिल्ली : संसद की एक स्थायी समिति ने प्रस्तावित न्यायिक मानदंड और जवाबदेही कानून के तहत शिकायतों की जांच के दौरान सूचनाओं को सार्वजनिक करने में मीडिया की जवाबदेही सुनिश्चित कराने की भी सिफारिश की है. हालांकि, समिति के अध्यक्ष अभिषेक मनु सिंघवी ने स्पष्ट किया है कि यह सिफारिश मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश नहीं है.
सिंघवी ने संकेत दिए कि न्यायिक जवाबदेही विधेयक संबंधी समिति की रिपोर्ट संसद में पेश होने से पहले ही कथित तौर पर मीडिया में आ जाने के मामले की जांच की जा सकती है. संसद के दोनों सदनों में मंगलवार को न्यायिक मानदंड और जवाबदेही विधेयक 2010 पर कार्मिक, जन शिकायत, विधि और न्याय मामलों की स्थायी समिति की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद सिंघवी ने प्रेस कांफ्रेंस में यह बात कही. रिपोर्ट में कहा गया है कि किसी भी न्यायाधीश के खिलाफ शिकायतों की जांच के दौरान सूचनाओं का खुलासा करने के संबंध में मीडिया की जवाबदेही तय करने के लिए इस विधेयक को संबद्ध प्रावधान को व्यापक किया जाए.
समिति ने कहा है कि जांच के विभिन्न चरणों के दौरान सूचनाओं को सार्वजनिक कर सकने वालों के रूप में विधेयक में जिन लोगों के नामों की चर्चा की गई है, उनके साथ मीडिया को भी शामिल किया जाए. लिहाजा, समिति ने सिफारिश की है कि विधेयक में ऐसा स्पष्टीकरण होना चाहिए, जिससे निषेध के प्रावधान मीडिया पर लागू हो सकें.
रिपोर्ट के अनुसार, इस विधेयक के एक उपबंध के अनुसार जो जांच में गवाह के रूप में या कानूनी पेशेवर या किसी अन्य हैसियत से भाग लेता है, वह जांच समिति के सामने यह हलफनामा देगा कि वह अपने नाम, उस न्यायाधीश का नाम जिसके खिलाफ शिकायत की गई है, शिकायत का विषय, किसी दस्तावेज और किसी भी कार्रवाई को किसी अन्य पक्ष, जिसमें मीडिया शामिल है, के समक्ष खुलासा नहीं करेगा.
हालांकि, सिंघवी ने संवाददाताओं से कहा कि इस सिफारिश को मीडिया की आवाज दबाने की कोशिश नहीं माना जाए. सिंघवी की ओर से बुलाई गई प्रेस कांफ्रेंस में कुछ मीडियाकर्मियों ने उनका ध्यान इस ओर आकर्षित किया कि समिति की रिपोर्ट संसद में दोपहर बारह बजे पेश होने से पहले ही वह मीडिया के एक वर्ग में आ चुकी थी. इस पर सिंघवी ने कहा कि वे इस पर गौर करेंगे. अगर जरूरत हुई तो जांच होगी. अगर उचित महसूस हुआ तो संसदीय समिति का विशेषाधिकार हनन होने के संबंध में कदम उठाए जा सकते हैं. साभार : जनसत्ता
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