केंद्रीय हिंदी संस्थान ने एनडीटीवी न्यूज चैनल के मैनेजिंग एडिटर पंकज पचौरी और दैनिक नई दुनिया के राजनीतिक संपादक विनोद अग्निहोत्री सहित 14 लोगों को हिंदी के प्रचार और प्रसार के लिए गणेश शंकर विद्यार्थी पुरस्कार दिये जाने की घोषणा की है. जानकारी देते हुए केंद्रीय हिंदी संस्थान के उपाध्यक्ष अशोक चक्रधर ने बताया कि चुने गए लोगों को राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल एक भव्य समारोह में पुरस्कृत करेंगी.
श्री चक्रधर ने बताया पंकज पचौरी और विनोद अग्निहोत्री को हिंदी पत्रकारिता और रचनात्मक साहित्य के क्षेत्र में योगदान के लिए 2008 का पुरस्कार दिया जाएगा. 2009 के लिए यह पुरस्कार ब्रजमोहन बख्शी और बलराम को दिया जा रहा है. हिंदी के प्रचार और प्रसार और हिंदी प्रशिक्षण के क्षेत्र में उल्लेखनीय काम के लिए 2008 का पुरस्कार अभिनेता गिरीश कर्नाड, माधुरी छेड़ा, प्रो.यशपाल और बल्ली सिंह चीमा को दिया जाएगा.
गौरतलब है कि केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा एक स्वायतशासी संस्था है, जिसकी स्थापना केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा विभाग ने 1961 में की थी. इसका संचालन हिंद शिक्षण मंडल द्वारा किया जाता है तथा हिंदी के क्षेत्र में विशेष योगदान देने वालों को पुरस्कृत किया जाता है.
aniket
October 13, 2011 at 4:17 am
विनोद अग्निहोत्री बहुत दिन से सरकार को तेल लगा रहे थे, चलिए कुछ तो हासिल हुआ. पंकज पचौरी को यह सम्मान मुझे लग रहा है डेटा इकठ्ठा करने के लिए मिला है. बलराम ने साहित्य में आज तक पुस्तक समीझा के आलावा कुछ किया ही नहीं है. कुल मिला अच्छे लोगों को ही चुना गया है.
Girish Mishra
October 12, 2011 at 2:47 pm
It appears that these awards are not given on any objective criteria. Neither the incumbent vice-chairman nor do the members of the jury inspire any confidence. Moreover, literature and journalism have for them very narrow connotations. Then there is a gang up of the mafia-turned-publishers and the cronies of politicians, masquerading as literary writers. Once Sahitya Academy honoured Acharya Narendra Dev, Rahul and Dinkar for their social science books but the same organisation ignored S. C. Dubey. Why?
कुमार सौवीर, लखनऊ
October 12, 2011 at 6:31 pm
काश मुझे भी मिल जाता अशोक चक्रधर का वह यंत्र जो दिल की बात कान में खुलकर कहता।
बताता कि आखिर किस तर्क पर बांट दिये गये यह पुरस्कार।
बताता कि बरखा दत्त जैसी कुल-कलंक पत्रकारिणी को हर कीमत चुका कर भी अपने कलेजे से समेटे रखने वाले एनडीटीवी के पंकज पचौरी को यह पुरस्कार उनकी इसी काबिलियत के चलते दिया गया।
वह यंत्र फौरन बता देता कि आखिर किस गुण के आधार पर यह पुरस्कार उस शख्स को दिया गया जो खुद को तुर्रम-खां का ऐलान करने के हर हथकंडे अपनाता है और अपने कनिष्ठों से बात तक करने से गुरेज करता है। दूसरों का अपमान करना जिसका शगल हो, क्या उसे ही यह पुरस्कार मिलेगा।
आखिर हिन्दी के विकास में कौन सा खास काम कर डाला अभिनेता गिरीश कर्नाड, माधुरी छेड़ा और प्रो.यशपाल ने, जिसके लिए उन्हें पुरस्कार देने पर केंद्रीय हिंदी संस्थान उतावली का तेल लगाये बैठा है। हां, अपने क्रांतिकारी गीत, मसलन,
ले मशालें चल पड़े हैं, लोग मेरे गांव के।
अब अंधेरा जीत लेंगे, लोग मेरे गांव के। नामक जबर्दस्त गीत लिखने वाले बल्ली सिंह चीमा को दिया गया यह पुरस्कार इस सवाल के साथ समझ में आता है कि गीत के तीस साल बाद उन्हें क्यों पुरस्कृत किया गया। और फिर अदम गोंडवी जैसे ऐसे ही महान कवि गोंडा के अस्पताल में बस चंद सांसों पर टिके मौत का इंतजार कर रहे हैं, उनके बारे में यह हिन्दी-सियापा पढने वाले संस्थान ने क्या किया।
तो चक्रधर जी, भावनाओं के साथ तो बलात्कार मत कीजिए। इस तरह तो आप हिन्दी की अवैध संतानों का ही पोषण करेंगे।
आंच तो आप पर भी आयेगी। यकीन न हो तो एनडी तिवारी के जारज पुत्र से पूछ लीजिए जो उनकी डीएनए जांच कराने के लिए खुलेआम कमर कसे खड़ा है।
SHANKAR JALAN
October 13, 2011 at 11:07 am
बधाई हो
rammohan
October 15, 2011 at 1:55 pm
पंकज पचौरी को पुरस्कार देना तो समझ में आता है लेकिन विनोद अग्निहोत्री को किस बात के लिए।नई दुनिया जैसे टुच्चे अखबार में सरकार के समर्थन में खबरें लिखने और आलोक मेहता को तेल लगाए रखने के लिए उन्हें ये अवार्ड मिला है।अवार्ड देने वाले जरा व्यक्ति की पात्रता तो समझें।गणेश शंकर विद्यार्थी के नाम को तो ना डुबाएं।टीवी चैनलों में मैंने विनोद अग्निहोत्री को अपान ज्ञान बांचते हुए देखा है।हर जगह कांग्रेस को मक्खन लगाने से बाज नहीं आता।राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ दो चार विदेश यात्राएं कर लेने से कोई बड़ा पत्रकार नहीं बन जाता..बल्कि अच्छे पत्रकार तो ऐसी यात्राओं को ठुकरा देते हैं..