सिरसा। सच को छापने के लिए केवल जोश का होना ही नहीं पावर का होना भी जरूरी है। पंजाब केसरी सिरसा में कार्य करने वाले एक युवा पत्रकार को शायद यह बात तब समझ आई होगी जब उसने एक खबर को छापने की हिमाकत तो की लेकिन अपने जिला प्रभारी व प्रबंधकों के पावर तले दबकर उसकी वह खबर रह गई। बाद में उसे मानसिक रूप से ऐसा प्रताडि़त किया गया कि वह खुद-ब-खुद अखबार छोड़कर चला गया।
कॉलेज में पत्रकारिता की पढ़ाई पूरी करने के बाद कुछ कर गुजरने की चाहत लेकर पत्रकारिता में कूदा सिरसा का कुलदीप शर्मा शायद अखबार के उन पुराने घुन कहे जाने वाले वरिष्ठ पत्रकारों को नहीं जान पाया था, जो कि अपनी पावर का इस्तेमाल करके किसी भी युवा पत्रकार को कुचल देते हैं। कुलदीप शर्मा पंजाब केसरी सिरसा में पिछले एक साल से मेहनत व लगन के साथ काम कर रहा था। अखबार में काफी समय तक ब्यूरो चीफ के पद पर कार्य कर चुके संजय अरोड़ा ने दोबारा सिरसा, फतेहाबाद व हिसार के प्रभारी के रूप में कार्यभार संभाला। वैसे तो पंजाब केसरी के पत्रकारों को मानदेय के नाम पर कुछ खास नहीं मिलता लेकिन संजय अरोड़ा आए तो सभी रिपोर्टरों को आस जगी की वे उनके लिए जरूर कुछ करेंगे। कुलदीप शर्मा भी पूरी तरह आश्वस्त था। लेकिन जिससे उम्मीद थी की वे उनके लिए कुछ करेंगे उन्हीं ने उसे अखबार के बाहर का रास्ता दिखा दिया।
कुलदीप शर्मा ने अपने साथ हुए व्यवहार को साझा करते हुए बताया कि सिरसा की मलीन बस्ती कही जाने वाली जे-जे बस्ती में सरकारी क्लीनिक में फार्मासिस्ट डॉ. विशाल बिश्रोई को लगाया गया था। लेकिन डॉ. साहब क्लीनिक में न जाकर अपने निजी अस्पताल को चलाने में ज्यादा मशगूल रहा करते थे। इस बात की भनक पाकर मैंने स्टोरी फाइल कर दी। इस दौरान मैंने अपने हरियाणा प्रभारी रविंद्र पांडे से भी बात कर ली थी। उनकी स्वीकृति मिलने पर स्टोरी को जालंधर भेज दिया गया। इसके बाद डॉ. बिश्रोई ने जिला प्रभारी संजय अरोड़ा को फोन किया, लंबे समय तक बातचीत के बाद उन्होंने मुझे बुलाया और कहा कि तेरी डाक्टर से क्या पर्सनल दुश्मनी है। तू क्यों उसके पीछे पड़ा है। खबर को रोक दे।
इस पर मैंने कहा कि मेरी उससे कोई दुश्मनी नहीं हैं। जनहित की खबर है इसलिए भेज रहा हूं। इसके बाद मैं ने उस खबर को हेड ऑफिस भेज दिया। बाद में मुझे पता चला कि संजय अरोड़ा की उस डॉ. के साथ शायद कोई डील हो गई, जिसके बाद उन्होंने उस खबर को छपने से रूकवा दिया। बाद में मेरी इस हरकत को वे गुस्ताखी मान बैठे और मुझे मानसिक रूप से त्याग पत्र देने के लिए मजबूर किया जाने लगा। अब पता चला है कि कुलदीप पंजाब केसरी अखबार छोड़ चुका है। इस वाकये के बाद पत्रकारिता में सच छापने के बाद जो इनाम मिलता है वह पता चलने के बावजूद भी वह ऐसे प्लेटफार्म की तलाश में है, जहां पर सच को केवल सच कहने वाले ही नहीं बल्कि छापने वाले भी हों।
सिरसा से रविंद्र सिंह की रिपोर्ट
Comments on “पंजाब केसरी के रिपोर्टर कुलदीप को मिली सच लिखने की सजा”
पूरी हिन्दी पट्टी में मीडिया की यही स्थिति है . इसमें फैली गंदगी को दूर करने के लिए भी एक अन्ना की जरुरत है .
Aise Beuro Chief ka kya karen………Sanja Arora ka pahle bhi aise kamon me naam suna tha……lekin sach kabhi nahi jhukega……
bahut galat hua
pb kesari ke andar dheor kahaniyan hain
patrakar ko paisa wasulne wali machine bana diya jata hai
paid news ka data yahi punjab kesari hai
yeh akbhar ajadi se pehle se chal raha hai
lekin iske employee ajad nahi hain
What is this ?
Is it right with a reporter?
Kya kaho aap khud samaj gaya hai……………………………
mathadhish to bane he kuchalne ke liye he yeh yuva patarkaro ke liye bada khatra ha magar darne ke bajay samna kare kayonki matadhish to sirf satuti ki khabar lagate ha janta ke mang par leader ya adhikari ko thokne ka kam nahi karte kare bhe kayon kayonki namastey to chamchgiri se milti ha
aise beuro chife ko bhr niklo..jo khbr k deal krta hai
BHAI KULDEEP AAP AKLE NAHI HO JIS KE SAATH AISA HUA HAI. IN JAGAT MIAN AAJ BHEE BHAUT SE LOG AISE HAIN JO SACH KO PACHA NAHI SACKTE. LAKIN AAP KO BADHAI KI AAP PICHE NAHI HATE
वाह रविन्द्र सिंह तुमने तो कमाल ही कर दिया. तुमने कुलदीप के जख्मों पर तो मरहम लगाया ही साथ ही संजय अरोड़ा (sanjay arora sirsa bureau chief punjab kesri ) का भी हकीकत सबको बता दिए.
वाह कुलदीपके जख्मों पर मरहम भी लगा दिया और संजय अरोरा का हकीकत भी सामने ला दिया….वाह रविन्द्र
Truth would prevail by all means; personally I feel we should help this reporter in getting a good job with a good print media……..
मीडिया में कुछ मठाधीश कुंडली मारकर बैठे हुए हैं। वे अपने तुच्छ स्वार्थ की खातिर उन खबरों को भी प्रकाशित होने से रूकवा देते हैं जो जनहित से जुड़ी होती है। ऐसे स्वार्थी पत्रकारों की पोल खोलने के लिए युवा पत्रकारों को आगे आना होगा।