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बहुत बड़े कलाकार हैं केडी सिंह

अमर सिंहसमाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद कई क्षत्रिय भाई मुझसे मिले. भाई हरिवंश सिंह मुंबई में रहते है और संपत्ति का काम करते है. बाबा हरदेव पूर्व अधिकारी है. ये सब इकट्ठे थे. सबने मिल कर क्षत्रिय चेतना रथ निकाला और खूब भीड़ हुई. परन्तु बाबा चौधरी अजीत सिंह के उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष बन बैठे.

अमर सिंह

अमर सिंहसमाजवादी पार्टी से निकाले जाने के बाद कई क्षत्रिय भाई मुझसे मिले. भाई हरिवंश सिंह मुंबई में रहते है और संपत्ति का काम करते है. बाबा हरदेव पूर्व अधिकारी है. ये सब इकट्ठे थे. सबने मिल कर क्षत्रिय चेतना रथ निकाला और खूब भीड़ हुई. परन्तु बाबा चौधरी अजीत सिंह के उत्तर प्रदेश के प्रांतीय अध्यक्ष बन बैठे.

दूसरी तरफ, भाई हरिवंश जो पहले कांग्रेस में थे, फिर सपा से चुनाव लड़े और अब जौनपुर से अपने पुत्र को बसपा से चुनाव लड़ाने को व्याकुल है. लखनऊ में भाई हरिवंश ने झारखण्ड से निर्वाचित एक निर्दलीय सांसद श्री केडी सिंह का सार्वजनिक स्वागत और सम्मान किया.

श्री केडी सिंह संभवतः जाट समाज से सम्बन्ध रखते हैं और हाल में ही तृणमूल कांग्रेस के नजदीक हुए हैं और सुश्री ममता बनर्जी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी जगह रेलमंत्री बनंगे, ऐसा उनके हनुमानों का प्रचार है. अभी हाल में ही केडी जी लाखों रुपए की नगदी के साथ एक हवाई अड्डे पर पकडे गए.

श्री प्रकाश कारात का बयान आया. मैं ममता को वर्षों से जानता हूँ. छवि के मामले में वह काफी सावधान हैं. उनकी हैसियत के साथ उनका रहन-सहन और मकान का आकार और संपत्ति अन्य नेताओं की तरह नहीं बढे. टाटा ऐसे पूंजीपति से न वह दबी और न ही झुकीं. ये केडी सिंह कहाँ से आए? ये कौन है? पहली बार इनकी वजह से आर्थिक मामले का आरोप किसी ने ममता पर लगाया है.

बदला नहीं बदलाव, माँ, माटी, मानव और सत्ता की हनक से पहले केडी सिंह, उनका दस हज़ार करोड़ का अल्केमिस्ट ग्रुप और हवाई अड्डे पर पकड़ा गया नोटों का बण्डल चर्चा में है. केडी सिंह कलाकार हैं, रहते हैं चंडीगढ़ में, जन्मे हैं जाट परिवार में, रैली हरिवंश के साथ लखनऊ में करते हैं, सांसद झारखंड से हैं, पकडे असम में जाते है और सरकार बंगाल में बनाने का दावा करते हैं, इच्छा दिल्ली में रेल मंत्री बनने की है.

मेरी चिंता बहन ममता के बेदाग़ चरित्र को लेकर है, जिसे इनके बंडलों का ग्रहण ना लग जाए और अनायास लोग ये ना कहने लगे-

लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे,
जाके जनता से नजरें मिलाऊं कैसे.

मुझे उम्मीद है कि समय रहते ममता खुद सोचेंगी या नोटों का बण्डल इधर-उधर करते हुए झारखंडी सांसद केडी सिंह, मधु कोड़ा के इतिहास से सबक लेते हुए सावधान रहेंगे.

अमर सिंह के ब्‍लाग से साभार.

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