नई दिल्ली। मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को अधिसूचित करने में सरकार की ओर से की जा रही लेट लतीफी से नाराज संवाद समितियों और समाचार पत्रों के पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों ने शुक्रवार को देश भर में जोरदार प्रदर्शन कर अपनी नाराजगी व्यक्त की और वेतनबोर्ड की अधिसूचना जल्द से जल्द लागू करने की मांग की. पत्रकारों ने विभिन्न राज्यों के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्षों और वरिष्ठ नेताओं को ज्ञापन सौंपा.
देश भर में अखबार और संवाद समितियों के कर्मचारियों ने दिल्ली सहित विभिन्न राज्यों के प्रदेश कांग्रेस मुख्यालयों के समक्ष हजारों की संख्या में एकजुट होकर प्रदर्शन किया. दिल्ली में भी हजारों पत्रकार और गैर पत्रकार कर्मचारियों ने कांग्रेस मुख्यालय के समक्ष जमकर नारेबाजी की और धरने पर बैठे. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर वेतनबोर्ड को तत्काल अधिसूचित नहीं किया गया तो देश भर में इस आंदोलन को और तेज किया जाएगा. इस प्रदर्शन का आह्वान कन्फेडरेशन आफ न्यूजपेपर्स एंड न्यूज एजेंसी एम्प्लाइज आर्गेनाइजेशन्स के तत्वावधान में किया गया था.
दिल्ली में कन्फेडरेशन के महासचिव कामरेड एमएस यादव के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल कांग्रेस महासचिव जनार्दन द्विवेदी से मिला और उन्हें अपनी मांग के समर्थन में ज्ञापन सौंपा. राजस्थान में मीडियाकर्मियों ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डा. चन्द्रभान को अपना ज्ञापन सौंपा जबकि उत्तर प्रदेश के लखनऊ में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रीता बहुगुणा, पटना में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष महबूब अली कैसर, पंजाब की राजधानी चंडीगढ़ में कांग्रेस के सांसद और केंद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल को ज्ञापन सौंपे गए.
पटना : बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन, द टाइम्स ऑफ़ इंडिया न्यूज़ पेपर इम्प्लाइज यूनियन और पीटीआई इम्प्लाइज यूनियन के संयुक्त तत्वावधान में बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के मुख्यालय सदाकत आश्रम पर कांग्रेस के नेतृत्व में चल रही यूपीए सरकार पर जस्टिस मजीठिया वेज बोर्ड की अनुशंसाओं को यथावत जल्द से जल्द अधिसूचित करने तथा कांग्रेस पार्टी पर दवाब बनाने के लिए बिहार के पत्रकारों और गैर-पत्रकार मीडिया कर्मियों ने एक प्रभावशाली जुलूस निकाला.
उल्लेखनीय है कि यह मामला अखबार मालिक सुप्रीम कोर्ट में ले गए, जिसकी वजह से 31 दिसंबर 2010 को वेज बोर्ड द्वारा अपनी रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद भी आज 10 महीने गुजर जाने पर भी इसकी अधिसूचना तक जारी नहीं की जा सकी है. जबकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में कैबिनेट को फैसला लेने के लिए स्वतंत्र कर दिया है. भारतीय प्रेस परिषद सदस्य सह बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव, अरुण कुमार के नेतृत्व में मीडिया कर्मियों ने कांग्रेस पार्टी और यूपीए सरकार के केंद्रीय नेतृत्व के खिलाफ अपना गुस्सा जाहिर करने के लिए “अख़बार मालिकों के दवाब में आना बंद करो” जैसे नारे सदाकत आश्रम के सामने लगाये.
बाद में मीडिया कर्मियों का एक प्रतिनिधि मंडल, जिसमें बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के अरुण कुमार, कमलेश कुमार सिंह, अमर मोहन प्रसाद, ब्रजनंदन (आज), अजय त्रिपाठी (पीटीआई), अशोक कुमार (टाइम्स ऑफ़ इंडिया) शामिल थे, बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के अध्यक्ष चौधरी महबूब अली कैसर से मिलने गया. परन्तु श्री कैसर दिल्ली में थे. बिहार
श्रमजीवी पत्रकार यूनियन के महासचिव ने उनसे प्रतिनिधिमंडल की तरफ से फोन पर सीधी बातें की और उन्हें बताया कि बिहार के मीडिया कर्मियों की प्रतिनिधि यूनियनों के प्रतिनिधि उनसे मिलने पहुंचे हुए हैं और उनको अपना एक ज्ञापन देना चाहते हैं.
इस पर कांग्रेस अध्यक्ष ने जानकारी ली कि ज्ञापन किस मुताल्लिक है. बिहार श्रमजीवी पत्रकार यूनियन महासचिव ने उन्हें जानकारी दी कि बिहार के पत्रकारों की मान्यता है कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व का एक हिस्सा और यूपीए सरकार के मंत्रियों के एक बड़े हिस्से पर अख़बार मालिकों का दवाब काम करता दिखाई पड़ रहा है. और इसी मुतल्लिक वे अपनी भावनाएं, अपना क्षोभ और अपना गुस्सा कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुँचाना चाहते हैं.
इस पर श्री कैसर ने प्रतिनिधिमंडल कि भावनाओं को अपने केंद्रीय नेतृत्व तक पहुँचाने का वादा करते हुए ज्ञापन सदाक़त आश्रम में मौजूद कांग्रेस नेता एचके वर्मा को ज्ञापन देने और तत्काल उस ज्ञापन की प्रति उन नेताओं को फैक्स के माध्यम से अविलम्ब उनके दिल्ली स्थित प्रवास स्थल पर भेजने का निर्देश दिया. उन्होंने वादा किया कि वे बिहार के पत्रकारों की भावनाओं को कांग्रेस के केंद्रीय नेतृत्व तक पहुंचाएंगे.
गुवाहाटी : मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने की अधिसूचना जारी करने की मांग को लेकर गुवाहाटी में भी सैकड़ों पत्रकारों ने धरना दिया. प्रदर्शन कर रहे पत्रकारों का कहना था कि केन्द्र सरकार मजीठिया वेतन बोर्ड की सिफारिशों को लागू करने के लिए शीघ्र अधिसूचना जारी करे. उनका कहना था कि सुप्रिम कोर्ट ने मामले को केन्द्र की सरकार पर छोड़ दिया
है और सरकार को चाहिए कि वे कुछ अखबार मालिकों व न्यूज एजेंसियों के संचालकों के दबाव में आए बिना जनहित में अधिसूचना जारी करे.गुवाहाटी प्रेस क्लब में आयोजित इस धरना प्रदर्शन में जर्नलिस्ट यूनियन आफ असम, असम यूनियन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट तथा पीटीआई कर्मचारी संघ के सदस्यों के साथ कई अन्य वरिष्ठ पत्रकारों और अखबारों में काम करने वाले गैर पत्रकार कर्मचारियों ने भाग लिया.
manoj soni
October 15, 2011 at 11:07 am
patrakaro ke hit me majithiya vetan board jaldi lagu ho ye hamari bhi mang he…. hum he chittorgarh disst. ke samast patrakar
vishalkumar
October 15, 2011 at 1:12 pm
kongres president soniya gandi apne mantriyo ka bratachar to rok nahi saki unhe ab patkaro ke hit main kadam utakar ise jald ho me angithiya vetan board ki sirarish karwana chahiye iake patkaro ki nager main unka kad bdega.
PRAYAG PANDE
October 15, 2011 at 3:27 pm
Yashwant Ji ! esmaen koi do ray nahi ki majeethiya wage board ki recommendation jaldi langu hona chahiye .lekin lage hath main ek sawal puchhana chahata hun ki es wage board ki pardhi main desh ke kitane journalists aate hain ? aaj india ke media gharanon main kitane percent journalists ko permanent job mila hai ? mere andaj se desh ke 90% se jyada journalists STRINGER namak jeev ki shrene main aate hain .STRINGER ek aisa prani hai jisake aane ka na appointment letter, na jane ka resignation.STRINGERS ke liye to samany labour kanoon bhi lagu nahi hai .meri ray main desh ke sabhi media houses main labour law ko sakti ke sath lagu kiya jana chahiye ,STRINGERS ke kam ke ghante or salary tay karane ke liye ek national commition ka gathan hona chahiye ,Yashwant ji jabtak STRINGERS ko jinda rahane layak salary nahi milagi tabtak patrakarita ke patan ko nahi roka ja sakata hai .media houses davara stringers ka shosan ko roka jana jaroori hai ,eskeliye wage board ka labh uta rahe journalists ko bhi aage aana chahiye.
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rajesh kumar
December 3, 2011 at 5:39 pm
jagran jamshedpur me agreement sign kara liya gaya hai. dist walon se 5 dec ko sign karaya jayega.. kisi me iska virodh karane ki himmat nahi hai. sbko dhamkay ja raha hai. ya to sign karo ya fir jawo………
ab kon sa ayog bachayega chor malikon aur unke dalal sampadakon se……….