कम से कम शशि शेखर साहब से ऐसी उम्मीद नहीं थी कि वे यह लिखेंगे कि ‘घर में घुसकर उनकी (इस्राइल) नीति ने उनके घर को हमारे मुकाबले ज्यादा सुरक्षित कर दिया है।’ 1948 में इस्राइल नाम का देश जबरदस्ती वजूद में लाया गया था। यह फलस्तीनियों से छीना गया भू-भाग था। तब से आज तक फलस्तीनी आजादी की लड़ाई लड़ते रहे हैं। सवाल यह है कि आतंकवादी फलस्तीन हैं या इस्राइल? बेकसूर लोगों पर बमों से हमला करके उन्हें हलाक करना किस श्रेणी में आता है?
हमने फलस्तीन को हमेशा मान्यता दी। इंदिरा गांधी के जमाने में यासर अराफात को एक राष्ट्राध्यक्ष का दर्जा देकर उनका सम्मान किया जाता रहा। इसकी विपरीत आरएसएस जैसे संगठन इस्राइल के पक्ष में हमेशा खड़े रहे। यदि शशि शेखर आजादी की लड़ाई को आतंकवाद बताते हैं तो मुझे यह कहने दीजिए ब्रिटिश इतिहास में भगत सिंह और उनके साथियों के बारे में जो कुछ लिखा गया है, वह सच है। यह भी नहीं भूलना चाहिए कि इस्राइल और पाकिस्तान का आका अमेरिका ही है। दोनों का वजूद अमेरिका की वजह से ही है। इस्राइल जो कुछ करता रहा है, अमेरिका की शह पर ही करता रहा है। फलस्तीनियों का दमन एक तरह से इस्राइल नहीं, अमेरिका करता है।
पाकिस्तान को आतंकवाद का गढ़ बनाने में भी अमेरिका की अहम भूमिका रही है। उसने ही तालिबान को अपने स्वार्थ के लिए खड़ा किया था। यह भी अजीब बात रही कि शशि शेखर उन लोगों की जमात में शामिल हो गए, जो भारत में होने वाली किसी भी आतंकवादी कार्रवाई को आंखें बंद करके पाकिस्तान को दोषी ठहरा देते हैं। ऐसे लोग यह क्यों भूल जाते हैं कि इस देश में अभिनव भारत और सनातन संस्था जैसे आतंकवादी संगठनों का वजूद भी है। यहां पाकिस्तान को पाक-साफ बताना बिल्कुल मकसद नहीं है, मकसद सिर्फ इतना है कि जब सिर्फ और सिर्फ पाकिस्तान पर ही उंगली उठती हैं तो अभिनव भारत और सनातन संस्था जैसे आतंकवादी संगठन अपना काम कर जाते हैं।
यह संयोग नहीं है कि जब से साध्वी एंड गैंग का पर्दाफाश हुआ है, तब से आतंकवादी गतिविधियों में बेहद कमी आई है। भूलना यह भी नहीं चाहिए कि मालेगांव और समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाकों में भी पाकिस्तान का ही नाम आया था, गिरफ्तारियां भी मुसलमानों की ही हुई थीं। उसके बाद क्या हुआ, सब जानते हैं। मुंबई के हालिया धमाकों में भी अभी स्पष्ट नहीं है कि इनमें किसका हाथ है, इसलिए कोई भी निष्कर्ष निकालना सही नहीं है।
सामयिक मुद्दों पर कलम के जरिए सक्रिय हस्तक्षेप करने वाले सलीम अख्तर सिद्दीकी मेरठ के निवासी हैं। वे ब्लागर भी हैं और ‘हक बात’ नाम के अपने हिंदी ब्लाग में लगातार लिखते रहते हैं. इनदिनों दैनिक जनवाणी से जुड़े हुए हैं.
Comments on “मुंबई धमाके और शशिशेखर की जमात”
saleem akhatar sahab aaj tak 98 % atanki hamlo me muslman hi pakade gayen hain hindu nahi. muslim atankwad ka jawab hai hindu aatankwad. aap muslim hai isliye aap kolagata hai ki musalmano ke khilaf sadayantra ho raha hai.
sadhwi aur asimanand k pakde jaane k baad bhi mumbai par hamla hua tha aur usme hamare “deshbhakt muslim!” bhai manniya sri sri 1008 ajmal kasab ji ko pakda gaya tha. jinhone dhokha dene k liye hath me kalawa bandh rakha tha. Siddiki ji sach kadwa hota hai.
शशिशेखर का ज्ञान सीमित है,भले ही उन्हें पत्रकारिता में 29 साल का अनुभव क्यों न हो।उनके हर लेख को पढ़ें।साफ पता चलेगा कि शब्दों की लफ्फाजी या शब्दजाल के जरिए बड़ा लेखक बनने की कोशिश करते हैं।शशिशेखर के कार्यकाल में हिन्दुस्तान गलतियों का पुलिंदा बन गया है।कुछ लोग तो यहां तक कहते हैं कि शशिशेखर ने हिन्दुस्तान को भी आज अखबार बना डाला है
[b][b]shashi shekhar ne agra me aaj akhabae me ram mandiur andilan ke dauran fajzi news chhapi. aaj ke aisa beda gark kiya ki ab koi naam lewa nahi h. yahi haal hindustan akhbar ka kar rahe h.. amar ujala ka vivad bi unhone hi karaya. sab jante h ke amar uajala ke chairman ashok agrwal se dushmani thi. aaj aye amar ujala me ekdusre ke baare me news chpti rahti thj. usi ka badla amar ujala me vivad karakr liya. jb amar ujala ka zahaj doobanr laga to hindustan me aa gaye. hindustan ka pata nahki kya hoga?[/b][/b]