देश का नम्बर एक अखबार दैनिक जागरण अब भगवान भी हो गया है. जिंदा को मार देना और मरे को जिंदा कर देना अब इस अखबार के बांये हाथ का खेल हो गया है! यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जागरण में छपी खबर ही इसको पुख्ता कर रही है.
बीते 25 दिसम्बर को जागरण ने कानपुर-बिल्हौर पेज पर ‘ट्रक ने साइकिल सवार को रौंदा, चालक हिरासत में’ शीर्षक से दो कॉलम की खबर प्रकाशित की है. जिसमें गोपाल गुप्ता के 16 वर्षीय पुत्र की मौके पर ही मौत हो गई बताया गया है. बाकायदा उसका पोस्टमार्टम भी करा दिया गया है. इसमें पुलिस चौकी के प्रभारी का बयान भी दिया गया है. इस खबर को लेकर 25 को दूसरे अखबार के संवाददाताओं की क्लास भी लगी. जब दूसरे अखबारों के लोगों ने इस खबर के बारे में चौकी इंचार्ज से बात की तो उन्होंने ऐसा कोई भी हादसा होने से इनकार कर दिया. उन्होंने जागरण द्वारा बात किए जाने की बात से भी साफ इनकार कर दिया.
पर दूसरे दिन जागरण ने एक और खबर प्रकाशित की. जिसका शीर्षक है ‘सड़क हादसे में जख्मी मोहन भर्ती.’ इस खबर में बताया गया है कि गोपाल गुप्ता का पुत्र मोहन ट्रक की चपेट में आने से घायल हो गया, उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है. यह वही मोहन था जिसे एक दिन पहले अखबार ने मार डाला था. अखबार के इस रवैये से मोहन के परिवार के लोगों पर क्या गुजरी होगी ये तो वही बता सकते हैं लेकिन जागरण के इस कारगुजारी से उसकी विश्वसनीयता जरूर प्रभावित हुई है. अब ऐसा लग रहा है कि दैनिक जागरण प्रतिद्वंद्वी अखबारों के बाद न्यूज चैनलों से भी टक्कर लेने लगा है.
कानपुर से एक पत्रकार द्वारा भेजे गए मेल पर आधारित.
Comments on “मोहन को मारकर जख्मी कर दिया जागरण ने!”
आप तो जिंदा व्यक्ति को मारने की बात करते है। हालहि में दैनिक जागरण लुधियाना संस्कार में एक मरी हुई लड़की को इन्होंने जिंदा कर दिया। उसकी फोटो छाप दी और उसके साथ उसका ब्यान भी डाल दिया। इस बात का पता जब मरी हुई लड़की के परिवार वालों को चला तो बहुत दुखी हुई। दो दिन बाद अखबार ने दोबारा उसकी खबर छापी की स्वर्ग में उसकी आत्मा को शांति मिली होगी। यह तो हाल है दैनिक जागरण का।
galti-galti hai, use sweekar kiya jana chahiye, lekin doosaron ki ankhon ka marha dekh lkhan karne wale patrakar mahoday ko kabhi apni ankh ki fooli nahin dikhi
ye hai bharat ka nomber one akhbar
ye hai bharat ka Nomber one akhbar
् जागरण की क्या कहे तकरीबन सभी अखबारों की रिपोर्टिंग इसी तरह की है। गया में जागरण , हिन्दुस्तान , प्रभात खबर ,आज जैसे तकरीबन सभी अखबार आते हैं , निर्भिकता की तो बात हीं न करें , निष्पक्षता भी नही है इनमें। इन अखबारों के रिपोर्टरों को देखकर शोले का डायलाग याद आता है। ठाकुर ने हिजडों की फ़ौज बना रखी है।
Aisa pahli baar nahi hua hai…Jalandhar Jagran me, Kamlesh Raghuvanshi ki news editori mein Ek Patrakaar ke bete ke janam per Shoke Samachar prakashit kiya gya tha…Shame! Shame!