अखबारों की आजादी पर आघात या लूटने की आजादी पर आघात

: ये झुट्ठे सरकार को नहीं, अपने पत्रकारों को डराना चाहते हैं : कुतर्कों के महान राजा और दैनिक जागरण के कार्यकारी अध्यक्ष संदीप की भाषा किसी पत्रकार की खून चूसने वाले उद्योगपति की ही है। वह आंगन की मुर्गी हैं, कलेजा चूजे का है, उड़ना बाज की तरह चाहते हैं….. सो, दौड़-दौड़ कर आंगम में ही धमाचौकड़ी मचा रहे हैं। संदीप भी जानते हैं कि लोकमान्य तिलक व गांधी जी धन्ना सेठ नहीं थे।

ऐसे अखबार के मालिकान को कुछ तो शर्म आनी चाहिए

[caption id="attachment_20667" align="alignleft" width="122"]योगेश कुमार गुप्त ''पप्पू''योगेश कुमार गुप्त ”पप्पू”[/caption]: आप एक-एक साल में करोड़ों के वाहन खरीद डालते हैं… हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का सालाना कारोबार करने वाले जागरण के देशभर में कितने संस्करण हैं, यह बताने की जरूरत नहीं… आपने अन्य कितने क्षेत्रों में पैर पसार रखे हैं, यह सच्चाई किसी से छुपी नहीं है… अब तो आपने अन्य अखबारों को भी खरीदना शुरू कर दिया है…  एक ही कर्मचारी से अखबार, वेबसाइट, मोबाइल तक के लिए खबरें लिखवा रहे हैं… फिर भी आप नहीं चाहते कि… :

सूप तो सूप बोले, अब संदीप गुप्त भी बोलें

दैनिक जागरण के एक मालिक हैं संदीप गुप्त. कानपुर में बैठते रहे हैं और अब भी बैठते हैं. वे खुद को संपादकीय से लेकर प्रोडक्शन, प्रिंटिंग, बिजनेस… सबका मास्टर मानते हैं. छोटे से छोटा और बड़े से बड़ा काम कर गुजरने में माहिर मानते हैं अपने आपको. अब चूंकि वे मालिक हैं तो उनके सौ दोष माफ. उनके साथ काम करने वाले उनकी सोच, मेंटलिटी और कार्यप्रणाली के बारे अच्छे से जानते हैं लेकिन कोई कैसे कुछ बोल सकता है.

शाबास मदन मौर्या, जुग-जुग जियो

[caption id="attachment_20168" align="alignleft" width="170"]मदन मौर्यामदन मौर्या[/caption]एक फोटोग्राफर हैं. मदन मौर्या. दैनिक जागरण, मेरठ में हैं. वरिष्ठ हैं. कानपुर के रहने वाले हैं लेकिन जमाना हो गया उन्हें मेरठ में रहते और दैनिक जागरण के लिए फोटोग्राफरी करते. इस शख्स के साथ अगर आप दो-चार दिन गुजार लें तो आपको समझ में आ जाएगा कि मिशनर जर्नलिस्ट या मिशनरी फोटोग्राफर किसे कहते हैं. इतना खरा और साफ बोलता है कि सुनने वालों को डर लगने लगता है.

जागरण, सिलीगुड़ी को विक्रांत और रमोला ने बॉय बोला

दैनिक जागरण, सिलीगुड़ी से विक्रांत घोष ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे जनरल डेस्‍क पर काम कर रहे थे. विक्रांत अपनी नई पारी कहां से शुरू कर रहे हैं इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है. वे कुछ ही समय से जागरण के साथ जुड़े थे. दैनिक जागरण, सिलीगुड़ी से रमोला राय भी चली गई हैं. रमोला तीन जनवरी से दस दिन की छुट्टी पर थीं. छुट्टी समाप्‍त होने के बाद भी वो कार्यालय वापस नहीं लौटीं.

आर्थिक रफ्तार नापने में बीता साध्‍य 2011 का दूसरा दिन

दैनिक जागरण का सूरजकुंड में आयोजित चार दिवसीय वार्षिक मीट के दूसरे दिन आर्थिक मसलों पर भाषणबाजी हुई. आर्थिक विकास की रफ्तार नापी गई. देश में ढांचागत सुविधाओं को बढ़ाने की बात की गई. यानी जागरण के साध्‍य 2011 में बस देश के तरक्‍की की स्‍पीड पर चर्चा हुई. कोई नीतिगत फैसला नहीं लिया जा सका.

नाराज दविंदर ने जागरण, लुधियाना से इस्‍तीफा दिया

दस साल की सेवा के बाद दैनिक जागरण, लुधियाना से दविंदर डीके ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे यहां सीनियर रिपोर्टर थे. दविंदर ने जागरण से इस्‍तीफा यहां के खराब माहौल और शिकायतों की सुनवाई ना होने के चलते दिया है. वे कहीं और ज्‍वाइन करने के बजाय फ्रीलांसिंग करेंगे.

मोहन को मारकर जख्‍मी कर दिया जागरण ने!

दैनिक देश का नम्‍बर एक अखबार दैनिक जागरण अब भगवान भी हो गया है. जिंदा को मार देना और मरे को जिंदा कर देना अब इस अखबार के बांये हाथ का खेल हो गया है! यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि जागरण में छपी खबर ही इसको पुख्‍ता कर रही है.

पंकज ने दैनिक जागरण ज्‍वाइन किया

पंकज के सिंह ने दैनिक जागरण, नोएडा ज्‍वाइन किया है. उन्‍हें रिपोर्टर बनाया गया है. उन्‍हें साहिबाबाद में रिपोर्टिंग की जिम्‍मेदारी दी गई है. वे कमलेश रघुवंशी को रिपोर्ट करेंगे. पंकज ने अपने करियर की शुरुआत 2006 में टीवी100 के साथ की थी. वे भोजपुरी न्‍यूज चैनल हमार टीवी को भी रिपोर्टर के रूप में …

बिहार में भास्‍कर के आहट से जागरण परेशान!

जागरणबिहार में दैनिक भास्‍कर के आहट की खबर से ही यहां जमे जमाए अखबार नई रणनीतियां बनाने में जुट गए हैं. दैनिक भास्‍कर जल्‍द ही बिहार से भी अपने प्रकाशन की तैयारी कर रहा है. इसकी जिम्‍मेदारी भास्‍कर प्रबंधन ने झारखंड में अखबार की लांचिंग कराने वाले डीजीएम प्रोडक्‍शन अजय छाबड़ा को सौंपी है.

दैनिक जागरण की है यह खेल भावना!

काशी पत्रकार संघ और प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में सिगरा स्टेडियम में विगत 23 सालों से दिवंगत पत्रकार कनिष्क देव गोरावाला की स्मृति में एक टूर्नामेंट कराया जाता है जिसका नाम है ‘कनिष्क देव गोरावाला स्मृति मीडिया क्रिकेट।’ यह मीडिया क्रिकेट के नाम से ही प्रसिद्ध है। इसमें सभी मीडियाकर्मी हिस्सा लेते हैं। पर, लगता है दैनिक जागरण, वाराणसी को काशी पत्रकार संघ के नाम ही एलर्जी है। तभी जब समस्त अखबार इस खबर को तीन से चार कालम में फोटो सहित छाप रहे हैं, जागरण में इस बाबत एक लाइन खबर नहीं छप रही है।

दैनिक जागरण, सिलीगुड़ी से लक्ष्‍मीकांत का इस्‍तीफा

दैनिक जागरण, सिलीगुड़ी से लक्ष्‍मीकांत दुबे ने इस्‍तीफा दे दिया है. वे प्रादे‍शिक डेस्‍क के इंचार्ज थे. पहले ही पत्रकारों की कमी से जुझ रहे दैनिक जागरण को लक्ष्‍मीकांत के जाने से गहरा झटका लगा है. लक्ष्‍मीकांत अपनी नई पारी कहां से शुरू कर रहे हैं, इसकी जानकारी नहीं मिल पाई है.

पत्रकारों के सम्‍मान की धज्जियां उड़ाई दैनिक जागरण ने!

हमेशा दूसरे की हक और हुकूक की लड़ाई लड़ने वाली मीडिया आज कहां पहुंच गई है, इसकी बानगी देखने को मिला गाजीपुर में, जहां अपनी बेइज्‍जती और संगठन की लड़ाई में सहयोग देने के बजाय कुछ अखबार अधिकारियों के तलवे चाटने से बाज नहीं आ रहे हैं. जिला पंचायत अध्‍यक्ष पद के लिए नामांकन गाजीपुर कलेक्‍ट्रेट परिसर में हो रहा था. नामांकन को कवर करने के लिए कुछ मीडियाकर्मियों ने अंदर प्रवेश करने की कोशिश की तो वहां तैनात दरोगा ने सीडीओ के आदेश पर किसी को अंदर नहीं जाने दिया. यह बात मीडियाकर्मियों को नागवार लगी. जिसके बाद सभी मीडियाकर्मियों ने उक्‍त नामांकन का बहिष्‍कार करने का निर्णय ले लिया.

नितिन जागरण से जुड़े, अमित ने इस्‍तीफा दिया

नितिन सबरंगी ने दिल्‍ली प्रेस की पत्रिका मनोहर कहानियां और सत्‍यकथा से इस्‍तीफा दे दिया है. वे दिल्‍ली प्रेस की पत्रिकाओं के लिए पश्चिमी यूपी और उत्‍तराखंड से अपराध लेखन की कमान संभाल रहे थे. उन्‍होंने अपनी नई पारी की शुरुआत दैनिक जागरण के साथ की है. उन्‍हें उप संपादक बनाया गया है. जागरण के साथ ये उनकी दूसरी पारी है.

दैनिक जागरण, सिरसा से तीन का इस्‍तीफा

: शशिकांत ने भास्‍कर, ग्‍वालियर से ली विदाई : दैनिक जागरण, सिरसा में अंदरूनी राजनीति से परेशान तीन पत्रकारों ने संस्‍थान को बॉय बोल दिया है. तीनों सिरसा में अखबार की अंदरूनी राजनीति से परेशान बताये जा रहे थे. खबरों पर विज्ञापन के हावी होने से तीनों परेशान चल रहे थे. दबाव के चलते तीनों ने अपना इस्‍तीफा सौंप दिया.

यह सफाई हिन्दुस्तान की है या दैनिक जागरण की

14 सितम्बर को भड़ास4मीडिया पर मेरे द्वारा लिखित ‘हिन्दुस्तान और दैनिक जागरण ने छोटी खबर को बनाया बड़ी’ शीर्षक से एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी। उस रिपोर्ट पर 26 सितम्बर को ‘मेरठ की शान’ नाम से कमेंट के रूप में किसी सज्जन की ओर से ‘सफाई’ पेश की गयी है। बहुत ही हैरत की बात है कि सफाई देने वाला शख्स या संस्थान अपनी पहचान छुपाकर सफाई पेश कर रहा है।

रिपोर्टरों को निर्देश- वसूली करो या नौकरी छोड़ो!

जागरण प्रबंधन नाम-नंबर छापने के लिए ग्राम प्रधान उर्फ मुखिया से पांच हजार रुपए मांग रहा : बिहार में दैनिक जागरण के स्ट्रिंगर और रिपोर्टर इन दिनों हलाकान हैं. उन्हें प्रत्येक ग्राम पंचायत से पांच हजार रुपये वसूलने के निर्देश दिए गए हैं. जो इस निर्देश का पालन नहीं कर रहा है, उसकी नौकरी चली जा रही है. जो लोग आनाकानी कर रहे हैं, उन पर जबर्दस्त दबाव बनाया जा रहा है. नौकरी से हटाने की खुली धमकियां दी जा रही हैं. यह सब काम हो रहा है पांच हजार रुपये वसूलने के लिए. जागरण की तरफ से ‘दैनिक जागरण पंचायत दर्शिका 2010’ नाम से एक बुकलेट छपवाया जा रहा है जिसमें ग्राम पंचायत सदस्य से लेकर सांसद तक का नाम और फोन नंबर होगा. इस काम के लिए पंचायतों, विशेषकर मुखिया से पांच हजार रुपये वसूले जा रहे हैं. वसूली लीगल दिखे, इसके लिए बाकायदा फार्म भी छपवाया गया है. इस फार्म पर काफी नैतिक बातें की गई हैं. एक फार्म भड़ास4मीडिया के पास भी है, जिसे नीचे प्रकाशित किया गया है.

इन अखबारों पर थूकें ना तो क्या करें!

दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसे मीडिया हाउसों ने इमान-धर्म बेचा : देवत्व छोड़ दैत्याकार बने : पैसे के लिए बिक गए और बेच डाला : पैसे के लिए पत्रकारीय परंपराओं की हत्या कर दी : हरियाणा विधानसभा चुनाव में दैनिक जागरण और दैनिक भास्कर जैसे देश के सबसे बड़े अखबारों ने फिर अपने सारे कपड़े उतार दिए हैं। जी हां, बिलकुल नंगे हो गए हैं। पत्रकारिता की आत्मा मरती हो, मरती रहे। खबरें बिकती हों, बिकती रहे। मीडिया की मैया वेश्या बन रही हो, बनती रहे। पर इन दोनों अखबारों के लालाओं उर्फ बनियों उर्फ धंधेबाजों की तिजोरी में भरपूर धन पहुंचना चाहिए। वो पहुंच रहा है। इसलिए जो कुछ हो रहा है, इनकी नजर में सब सही हो रहा है। और इस काम में तन-मन से जुटे हुए हैं पगार के लालच में पत्रकारिता कर रहे ढेर सारे बकचोदी करने वाले पुरोधा, ढेर सारे कलम के ढेर हो चुके सिपाही, संपादकीय विभाग के सैकड़ों कनिष्ठ-वरिष्ठ-गरिष्ठ संपादक।

हिस्सेदारी बेच यारी खत्म करने की बारी

[caption id="attachment_15160" align="alignleft"]जेपीएन-आईएनएमअब साथ-साथ नहीं : जागरण प्रकाशन के सीएमडी महेंद्र मोहन गुप्ता और इंडिपेंडेंट न्यज एंड मीडिया के सीओओ गेविन ओ रेली.[/caption]जागरण प्रकाशन लिमिटेड और इंडिपेंडेंट मीडिया एंड न्यूज के बीच गठजोड़ खत्म होने की ओर : प्रसार और पाठक संख्या के मामले में देश का नंबर वन अखबार दैनिक जागरण प्रकाशित करने वाली कंपनी जागरण प्रकाशन लिमिटेड (जेपीएल) इन दिनों बेहद दबाव में है। जेपीएल में 20 फीसदी हिस्सेदारी रखने वाली आयरिश मीडिया कंपनी इंडिपेंडेंट न्यूज एंड मीडिया (आईएनएम) अब अपने सभी शेयरों को बेचने पर उतारू हो गई है। इसके पीछे वजह इंडिडेंटेड ग्रुप का कर्ज के बोझ से दबे होना है।

राष्ट्रीय संस्करण उर्फ जागरण का बड़ा भाई

[caption id="attachment_14990" align="alignnone"]डमीऱाष्ट्रीय संस्करण : लांचिंग से ठीक एक दिन पहले की डमी[/caption]

जागरण समूह का बहुप्रतीक्षित राष्ट्रीय संस्करण आज लांच कर दिया गया लेकिन यह देखने और पढ़ने के लिए सभी लोगों के लिए उपलब्ध नहीं है। अगर आप अपने हाकर से जागरण के राष्ट्रीय संस्करण के बारे में पूछेंगे तो वो कुछ नहीं बताएगा क्योंकि उसे इस बारे में न तो कुछ पता है और न ही बताया गया है। दरअसल, इस ‘प्रीमियम प्रोडक्ट’ को बेचने की अभी स्ट्रेटजी नहीं बनी है।

पैसे लेकर चुनावी खबर छापने में जागरण फंसा

[caption id="attachment_14681" align="alignnone"]घोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी राम इकबाल सिंहघोसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ रहे भाजपा प्रत्याशी राम इकबाल सिंह[/caption]
खास खबर :
प्रत्याशियों से पैसे लेकर इकतरफा चुनावी खबरें, विश्लेषण और रिपोर्ट छापने के मामले ने नया मोड़ तब ले लिया जब उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के घोसी लोकसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी राम इकबाल सिंह ने दैनिक जागरण के खिलाफ प्रेस काउंसिल आफ इंडिया से लिखित शिकायत कर दी। इस शिकायत में उन्होंने विस्तार से बताया है कि दैनिक जागरण किस तरह से कांग्रेस प्रत्याशी डा. सुधा राय को विजयी बना रहा है और उनके कवरेज का बायकाट किया हुआ है। लिखित शिकायत में राम इकबाल सिंह ने उन खबरों की हेडिंग भी गिनाई है, जो डा. सुधा राय के पक्ष में प्रकाशित की गई हैं। राम इकबाल का कहना है कि उनके समर्थन में जब भाजपा के राष्ट्रीय नेताओं की सभा होती है, तो वो खबरें भी प्रकाशित नहीं की जातीं। उल्टे उन्हें हराने के लिए नकारात्मक खबरें ‘न नेता न संगठन, रिश्तेदारों के भरोसे चुनावी प्रबन्धन’ शीर्षक से प्रकाशित की जाती हैं।

एक अन्य पत्र घोसी लोकसभा सीट के एक निर्वाचन अभिकर्ता संतोष सिंह ने चुनाव आयोग के घोसी सीट के चुनाव पर्यवेक्षक को लिखा है। इसमें उन्होंने दैनिक जागरण के अलावा दैनिक हिंदुस्तान पर भी प्रत्याशी विशेष से प्रभावित होकर पक्षपातपूर्ण तरीके से चुनावी खबरें प्रकाशित करने का आरोप लगाया है।

ये दोनों पत्र नीचे हू-ब-हू प्रकाशित किए जा रहे हैं…