: किसी पीड़ित की मदद करना ही सही पत्रकारिता : हिन्दी दैनिक राष्ट्रीय सहारा लखनऊ संस्करण की 19 वीं वर्षगांठ बुधवार को धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर सहारा न्यूज नेटवर्क के एडिटर एवं न्यूज डायरेक्टर उपेंद्र राय ने कहा कि रास्ता ही मंजिल बन जाता है और राष्ट्रीय सहारा ने एक सही रास्ता अपनाकर प्रिंट मीडिया जगत में एक अलग पहचान बनाई है। राष्ट्रीय सहारा आज बीसवें साल में प्रवेश कर रहा है।
श्री राय ने पत्रकारिता के दायित्व के निर्वाह का जिक्र करते हुए कहा कि किसी पीड़ित की मदद और मदद का जज्बा रखना ही सही पत्रकारिता है और यही पत्रकार का उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने रहीम के दोहे ‘देनहार कोउ और है भेजत है दिन रैन, लोग भरम हम पर करें तासो नीचो नैन’ का उदाहरण देते हुए सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता एवं चेयरमैन सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा की भावनाओं की र्चचा की। राष्ट्रीय सहारा के 19 सालों के सफर की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह अखबार जब शुरू हुआ तो अखबार नहीं, आंदोलन था। 19 साल पहले जो तेवर, धार और सदाशयता इसमें थी वह समकालीन किसी अखबार में नहीं थी। इसके प्रारंभिक दौर में ‘भारत गुलामी की ओर’ कॉलम लोगों के जेहन में आज भी मौजूद है और यही कारण है कि आज भी राष्ट्रीय सहारा को एक अलग नजरिए से देखा जाता है। आज की जरूरतों के लिहाज से वह उसी परंपरा को आगे बढ़ा रहा है।
इस अवसर पर उन्होंने सहारा इंडिया परिवार के अभिभावक सहाराश्री सुब्रत रॉय सहारा का बधाई संदेश भी पढ़ा। राष्ट्रीय सहारा उर्दू रोजनामा के ग्रुप एडिटर अजीज बर्नी ने अपने संबोधन में इस बात पर खुशी जाहिर की कि इस समय सहारा इंडिया मीडिया की बागडोर युवाओं के हाथों में है। इस अवसर पर सहारा इंडिया परिवार के डिप्टी डायरेक्टर वर्कर अब्दुल दबीर, जनरल मैनेजर वर्कर विवेक सहाय, असिस्टेंट जनरल मैनेजर वर्कर एसबी सिंह, गोरखपुर यूनिट हेड पीयूष बंका व स्थानीय सम्पादक मनोज तिवारी, कानपुर यूनिट हेड रमेश अवस्थी व स्थानीय सम्पादक नवोदित, वाराणसी यूनिट हेड अमर सिंह, पटना यूनिट हेड मृदुल बाली, सहारा टाइम्स मैगजीन के मार्केटिंग हेड मुनीश सक्सेना व उर्दू रोजनामा लखनऊ के स्थानीय हेड कलाम खान समेत अनेक वरिष्ठगण मौजूद रहे। कार्यक्रम की शुरुआत में लखनऊ यूनिट हेड राजेन्द्र द्विवेदी ने सभी आगन्तुकों को पुष्पगुच्छ देकर स्वागत किया। धन्यवाद ज्ञापन लखनऊ यूनिट के स्थानीय सम्पादक दयाशंकर राय ने किया। साभार : सहारा
पीडित
February 17, 2011 at 8:47 am
श्री राय ने पत्रकारिता के दायित्व के निर्वाह का जिक्र करते हुए कहा कि किसी पीड़ित की मदद और मदद का जज्बा रखना ही सही पत्रकारिता है और यही पत्रकार का उद्देश्य होना चाहिए। सर जी पत्रकारिता की परिभाषा यही है पर सर आप भी पीडितो की मदद करो जो लोग छटनी में छन गये वो आपसे मदद की गुहार लगा रहे है
आज भी उन्हे उम्मीद है आप से और सहारा परिवार से
arvind
February 18, 2011 at 2:14 pm
upendra sir , kathni aur karni me bahut fark hota he