: राष्ट्रीय सहारा न्यूज ब्यूरो में किया जा रहा है कर्मचारियों का शोषण : रूहेलखण्ड मण्डल में राष्ट्रीय सहारा न्यूज ब्यूरो में काम कर रहे कर्मचारियों का धड़ल्ले से शोषण किया जा रहा है। दस-दस माह बीतने के बाद भी नहीं मिल पाया है मानदेय। मुख्यालय पर सम्पर्क करने पर कहा जाता है कि हम अपने संवाददाताओं से बात करते हैं कर्मचारियों से नहीं। इस कारण से कई कर्मचारी मानदेय न मिलने के कारण काम छोड़ कर चले जाते हैं।
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ब्रजेश मिश्रा राष्ट्रीय सहारा से जुड़े, अभिषेक का उड़ीसा पोस्ट से इस्तीफा
ब्रजेश मिश्रा ने जनवाणी, लखनऊ के ब्यूरोचीफ पद से इस्तीफा दे दिया है. अब वे राष्ट्रीय सहारा, कानपुर के साथ जुड़ गए हैं. उन्हें यहां पर एक्जीक्यूटिव कैडर में शामिल किया गया है. ब्रजेश आठ सालों तक अमर उजाला के साथ रहे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत अमर उजाला, कानपुर से की थी. इसके बाद वे लम्बे समय तक उन्नाव और हरदोई के ब्यूरोचीफ के रूप में जिम्मेदारी संभाली. अमर उजाला, हरदोई से इस्तीफा देकर उन्होंने दैनिक जनवाणी का दामन थाम लिया था.
एक आईपीएस को निपटाने में जुटा राष्ट्रीय सहारा अखबार
लायजनिंग के लिए कुख्यात सहारा समूह के हिंदी अखबार राष्ट्रीय सहारा में जब किसी अधिकारी, जज या नेता के खिलाफ कोई सीरिज शुरू हो जाए, कोई बड़ी खबर एक्सक्लूसिव तरीके से छापी जाए तो यकीन मानिए, यह सब इसलिए होगा क्योंकि उस अधिकारी या उस अधिकारी के परिवार से जुड़े व किसी बड़े ओहदे पर आसीन व्यक्ति से सहारा का काम नहीं निकल सका होगा. लखनऊ के एसएसपी और डीआईजी रह चुके आईपीएस अधिकारी राजीव कृष्ण के खिलाफ खबर छपी है.
बेसहारा होने की राह पर चल पड़ा है सहारा समूह!
भर पेट विज्ञापन दे देकर मीडिया हाउसों का मुंह बंद करने में अब तक सफल रहे सहारा समूह के खिलाफ न जाने क्यों एचटी ग्रुप के अखबार सच्चाई का प्रकाशन करने में लग गए हैं. यह सुखद आश्चर्य की बात है. हो सकता है हिंदुस्तान को सहारा समूह से नए विज्ञापन दर पर बारगेन करना हो या फिर शोभना भरतिया व सुब्रत राय में किसी बात को लेकर तलवारें खिंच गई हों.
राष्ट्रीय सहारा लखनऊ की 19वीं वर्षगांठ मनाई गई
: किसी पीड़ित की मदद करना ही सही पत्रकारिता : हिन्दी दैनिक राष्ट्रीय सहारा लखनऊ संस्करण की 19 वीं वर्षगांठ बुधवार को धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर सहारा न्यूज नेटवर्क के एडिटर एवं न्यूज डायरेक्टर उपेंद्र राय ने कहा कि रास्ता ही मंजिल बन जाता है और राष्ट्रीय सहारा ने एक सही रास्ता अपनाकर प्रिंट मीडिया जगत में एक अलग पहचान बनाई है। राष्ट्रीय सहारा आज बीसवें साल में प्रवेश कर रहा है।
बनारस में हिन्दुस्तान ने फेंका चवन्नी का पासा
: हॉकरों की कमीशन बढ़ाई, पाठकों को भी लेमनचूस थमाई : बनारस में राष्ट्रीय सहारा के दिए झटके से उबरने की कोशिशें जारी हैं. बनारस में चल रहे प्राइस वार में नया पासा हिन्दुस्तान ने फेंका है. हिन्दुस्तान ने पाठकों के बजाय हॉकरों पर भरोसा किया है. अखबार का सर्कुलेशन बढ़ाने के लिए उनके कमीशन में चवन्नी की बढ़ोत्तरी कर दी गई है. यानी इस पच्चीस पैसे की बढ़ोत्तरी के बाद हिन्दुस्तान हॉकरों को एक रूपये तीस पैसा कमीशन देगा. अखबार ने पाठकों को भी कूपन का लेमनचूस थमाया है. कूपन जोड़ने वाले पाठक को पुरस्कार मिलेगा.
प्रतिद्वंद्वी अखबारों को राष्ट्रीय सहारा ने दिया झटका
बनारस में अपने प्रतिद्वंद्वी अखबारों को राष्ट्रीय सहारा ने जोर का झटका जोर से दिया है. सहारा ने आज एक पेज का विज्ञापन छाप कर ऐलान कर दिया है कि अब सहारा के पाठकों को यह अखबार मात्र साठ रूपये महीने में मिलेगा. सहारा के इस कदम से बनारस में चल रही प्राइस वार में नए रंग देखने को मिल सकते हैं. सहारा ने कुछ शर्तों पर हॉकरों को साइकिल देने का वादा करके इस लड़ाई को और धार दे दी है.
समर बहादुर और आशाराम राष्ट्रीय सहारा से जुड़े
समर बहादुर यादव ने युनाइटेड भारत, चंदौली से इस्तीफा दे दिया है. उन्होंने अपनी नई पारी की शुरुआत राष्ट्रीय सहारा, चंदौली के साथ की है. उन्हें रिपोर्टर बनाया गया है. समर पिछले तीन सालों से युनाइटेड भारत के साथ जुड़े हुए थे. उन्होंने अपने करियर की शुरुआत 1999 में वर्ल्ड न्यूज एजेंसी की पत्रिका समाचार ब्यूरो के साथ की थी. इसके बाद काशीवार्ता से जुड़ गए थे.