मुंबई : कई दशकों से लोकमंगल नामक संस्था के माध्यम से हिंदी साहित्य व पत्रकारिता का अलख जगाने वाले साहित्यानुरागी व राजस्थानी समाज के स्तंभ रामनारायण घ. सराफ नहीं रहे।
72 वर्षीय श्री सराफ ने सोमवार, 7 फरवरी, 2011 को सुबह लगभग 8 बजे अपने प्राण त्याग दिए। मारवाड़ी सम्मेलन, राजस्थानी सम्मेलन तथा लायंस प्रह्लाद राय डालमिया कॉलेज ऑफ कॉमर्स के ट्रस्टी और महाराष्ट्र राज्य हिंदी साहित्य अकादमी के कार्यकारी सदस्य श्री सराफ लगभग एक माह से अस्वस्थ थे और दो सप्ताह पहले बांबे हॉस्पिटल में उनका हृदय प्रत्यारोपण किया गया था। शनिवार, 5 फरवरी को उन्हें मालाड स्थित उनके निवास स्थान सराफ अपार्टमेंट में उन्हें लाया गया और अचानक 7 फरवरी को सुबह-सुबह वे अपने पीछे दो पुत्र संजय सराफ और अजय सराफ, पुत्री सुष्मा सराफ तथा पत्नी शकुंतलाबाई सराफ सहित भरा-पूरा परिवार छोड़ गए। शाम 4 बजे जब उनकी शवयात्रा निकली तो शहर के उद्योगपति, व्यापारी वर्ग, परिवार, पत्रकार, साहित्यकार की आंखें नम थी। मालाड पश्चिम स्थित आरामबाग के श्मशानभूमि में उनका दाह संस्कार किया गया।
श्री सराफ के देहांत से न सिर्फ उनके परिवार और मालाड का व्यवसाई वर्ग स्तब्ध था बल्कि साहित्य व पत्रकारिता से जुड़े हुए सभी लोग चिंतित थे। उनके अंतिम संस्कार में पूर्व विधायक श्री पी.यू मेहता, स्थानीय नगरसेवक श्री बलदेव सिंह मानकू उर्फ बिल्ला, सुप्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक डॉ. श्याम अग्रवाल, पूर्व उपमहापौर श्री अरूणदेव, वरिष्ठ पत्रकार व नवनीत हिंदी डाइजेस्ट के संपादक श्री विश्वनाथ सचदेव, राष्ट्रीय सहारा के मुंबई ब्यूरो प्रमुख धीरेंद्र अस्थाना, दोपहर का सामना के पत्रकार श्री राजेश विक्रांत, अभियान संस्था के अध्यक्ष श्री अमरजीत मिश्र, कौमी फरमान के कार्यकारी संपादक श्री अजय भट्टाचार्य, मारवाड़ी सम्मेलन के श्री अश्विनी कुमार जोशी, नूतन सवेरा के श्री राजीव नौटियाल, अंतारिका पत्रिका के संपादक श्री आनंद मिश्र, प्रगतिशील आकल्प के संपादक डॉ. शोभानाथ यादव, एनडी टीवी के वरिष्ठ पत्रकार श्री सुनील तिवारी, सुप्रसिद्ध कवि श्री हृदयेश मयंक, सहित समाज के विविध क्षेत्र की हस्तियाँ मौजूद थी।
राइटर्स एंड जर्नलिस्ट यूनियन के महाराष्ट्र अध्यक्ष व मुंबई मित्र/वृत्त मित्र के समूह संपादक श्री अभिजीत राणे, बाम्बे यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट के मुंबई अध्यक्ष व निर्भय पथिक के संपादक श्री अश्विनी कुमार मिश्र, राष्ट्रभाषा महासंघ, पत्रकारिता कोश परिवार सहित शहर के अनेक संस्थाओं ने श्री सराफ के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है और उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। शहर के साहित्यप्रेमियों की निगाहें अब श्री सराफ के दो भाई श्री महावीर प्रसाद सराफ तथा कन्हैयालाल सराफ पर टिकी हैं। साथ ही, लोगों को इस बात की आशा है कि श्री सराफ के साहित्यिक योगदान को आगे बढ़ाने में उनके पुत्र संजय सराफ और अजय सराफ महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
मुंबई से आफताब आलम की रिपोर्ट