इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे सहारा ग्रुप को कोर्ट ने आदेश दिया है कि वो ओएफसीडी (ऑप्शनली फुली कंवर्टिबल डिबेंचर्स) की पूरी जानकारी दे. प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने 12 मई तक ओएफसीडी स्कीम की जानकारी और एजेंट्स की सूची कोर्ट में जमा करने का निर्देश दिया है. इसके बाद कोर्ट अपना फैसला सुनाएगी.
यह मामला सहारा रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड से जुड़ा है, जो परिवर्तनीय ऋण पत्रों की सार्वजनिक बिक्री करके पैसा जुटा रही थीं. दो मई की सुनवाई पर सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन ने मामले में न्यायालय द्वारा तलब किए गए दस्तावेज पेश करने हेतु कुछ समय मांगा था. इससे पहले इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मामले में पहले आदेश को निरस्त करने वाली समूह की याचिका खारिज की थी.
सेबी ने पहले ही निवेशकों को सहारा ग्रुप के दोनों कंपनियों में ओएफसीडी इश्यू में निवेश करते समय निवेशकों से सावधानी बरतने को कहा था. सहारा इंडिया रियल एस्टेट और सहारा हाउसिंग इंवेस्टमेंट के बिना मंजूरी के इश्यू लाने की वजह से सेबी ने निवेशकों की समस्याओं को हल न कर सकने की बात कही थी. सेबी ने डीआरएचपी में गड़बड़ियों की वजह से सहारा की दोनो कंपनियों के आईपीओ पर रोक लगाई थी. साथ ही, सहारा ग्रुप के प्रोमोटर सुब्रत रॉय पर भी बाजार से पैसा जुटाने पर रोक लगाई गई थी.
जिसके बाद सहारा ग्रुप इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में इस संबंध में याचिका दायर करके स्टे ले लिया था. स्टे के दौरान कंपनी ने बाजार से काफी पैसा जुटाया. इसके बाद इलाहाबाद कोर्ट ने अपने स्टे आर्डर को निरस्त कर दिया था, जिसके बाद सहारा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जहां सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए सहारा को दोनों कंपनियों से जुड़े कागजात प्रस्तुत करने के लिए समय मांगा था.