सुप्रीम कोर्ट बुधवार से शुरू करेगा मजीठिया वेतन बोर्ड पर सुनवाई

Spread the love

उच्चतम न्यायालय ने बुधवार से पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों के लिए गठित मजीठिया वेतनबोर्ड को लागू करने के मुद्दे पर सुनवाई करने का निर्णय किया. न्यायमूर्ति दलवीर भंडारी और दीपक वर्मा की पीठ ने कहा कि मुकदमा लड़ रहे पक्षों की सुनवाई के बाद वह ‘कोई निर्णय’ करेंगे. संक्षिप्त सुनवाई में अतिरिक्त सालीसिटर जनरल पराग त्रिपाठी ने कहा कि वेतनबोर्ड लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करने के मामले में केन्द्र इसलिए कोई निर्णय नहीं कर पा रहा है क्योंकि मामला शीर्ष न्यायालय में विचाराधीन है.

उन्होंने पीठ से कहा कि वेतनबोर्ड का मुद्दा कैबिनेट बैठक के एजेंडा में शामिल था लेकिन उसे टालना पड़ा क्योंकि मामला शीर्ष न्यायालय में विचाराधीन है. शीर्ष न्यायालय ने 18 जुलाई को सरकार को दो हफ्ते तक वेतनबोर्ड को लागू करने के मामले में कोई भी निर्णय करने से रोक दिया था. इंडियन न्यूजपेपर सोसाइटी (आईएनएस) की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील के के वेणुगोपाल ने कहा कि वह आईएनएस की ओर से एक याचिका पेश कर रहे हैं और मुख्य दलीलें वरिष्ठ वकील एफ एस नारिमन द्वारा पेश की जायेंगी. नारिमन आनंद बाजार पत्रिका की ओर से पेश होंगे. पत्रिका ने ही पहली बार वेतनबोर्ड की सिफारिशों को चुनौती दी थी.

पत्रिका के बाद टाइम्स आफ इंडिया के प्रकाशक बेनेट कोलमैन कं. लि. और समाचार एजेंसी यूएनआई सहित विभिन्न मीडिया समूहों ने वेतनबोर्ड की सिफारिशों के खिलाफ याचिका दायर की. इन याचिकाओं के आधार पर न्यायालय ने नोटिस जारी किये. आनंद बाजार पत्रिका की ओर से पेश एक वकील ने कहा कि उनके द्वारा दायर याचिका के गुण दोष के बारे में सरकार ने कोई जवाब नहीं दिया. बहरहाल, इस दलील का अतिरिक्त सालीसिटर जनरल ने विरोध किया और कहा कि केन्द्र ने अपना जवाब गुण दोष के आधार पर दाखिल किया है और उन्होंने आनंद बाजार पत्रिका की याचिका को पूरी तरह से समयपूर्व करार दिया.

त्रिपाठी ने कहा कि वेतनबोर्ड को लागू करने के बारे में कोई अधिसूचना नहीं जारी की गयी है लिहाजा वेतनबोर्ड सिफारिशों के विरोध करने का कोई कारण नहीं बनता. उन्होंने कहा कि याचिका सुनवाई योग्य नहीं है लिहाजा सरकार को इसे लागू करने के लिए अधिसूचना जारी करने की मंजूरी दी जानी चाहिए. त्रिपाठी की दलील का समर्थन करते हुए वरिष्ठ वकील कॉलिन गोनसाल्वेज ने कहा कि आनंद बाजार पत्रिका और अन्य द्वारा वेतनबोर्ड को लागू करने के खिलाफ जिन आधार पर याचिकाएं दायर की गयी हैं, वे गलत हैं. गोनसाल्वेज पत्रकारों एवं गैर पत्रकारों का प्रतिनिधित्व करने वाली पांच फेडरेशनों की ओर से दलीलें दे रहे थे.

उन्होंने कहा कि पूर्व में भी वेतनबोर्ड की सिफारिशों के आधार पर वेतनमान तय होते रहे हैं. कानून के दायरे में आने वाले लोग नयी सिफारिशों के आधार पर वेतन पाने के हकदार हैं. बेनेट कोलमैन एंड कंपनी लि. की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने वेतनबोर्ड की सिफारिशों का विरोध करते हुए कहा कि यह कानून पुराना पड़ चुका है और इसमें इलेक्ट्रानिक मीडिया को शामिल नहीं किया गया. पिछली सुनवाई के दौरान सरकार ने मामले के विचाराधीन रहने के दौरान सिफारिशों को लागू करने के बारे में जोर दिया था.

त्रिपाठी ने कहा था कि रिपोर्ट को लागू करने की इजाजत दी जाये जो मामले के अंतिम निर्णय पर निर्भर करेगी. शीर्ष न्यायालय ने मई में मजीठिया वेतनबोर्ड की सिफारिशों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर कोई स्थगनादेश दिये बिना केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया था. आनंद बाजार पत्रिकार की याचिका में अनुरोध किया गया था कि वेतनबोर्ड और पिछले साल दिसंबर में सौंपी गयी इसकी सिफारिशों को गैरकानूनी और मनमानापूर्ण घोषित किया जाये.

याचिकाकर्ता ने यह भी अनुरोध किया था कि वेतनबोर्ड के गठन को कानून विरूद्ध घोषित किया जाये. साथ एक स्थगनादेश के जरिये केन्द्र सरकार और अन्य को इस बात से रोक दिया जाये कि वे उसकी सिफारिशों को लागू कर सकें.

बहरहाल, शीर्ष न्यायालय ने केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया. उसके बाद न्यायालय को सूचित किया गया कि सरकार ने सिफारिशों को लागू करने के लिए अधिसूचना जारी नहीं की है. आनंद बाजार पत्रिकार ने इंडियन फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट, नेशनल यूनियन आफ जर्नलिस्ट, इंडियन जर्नलिस्ट यूनियन, आल इंडिया न्यूजपेपर एम्पलाइज फेडरेशन और नेशनल फेडरेशन आफ न्यूजपेपर एम्लाइज को प्रतिवादी बनाया था. साभार : आजतक

अपने मोबाइल पर भड़ास की खबरें पाएं. इसके लिए Telegram एप्प इंस्टाल कर यहां क्लिक करें : https://t.me/BhadasMedia

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *