एक महिला की प्राईवेट नर्सिंग होम में डाक्टर की लापरवाही के कारण ईलाज के दौरान मौत हो गई। महिला के परिजन लाश के साथ आज 24 जनवरी को जिलाधिकारी के कार्यालय के समक्ष डाक्टर की लापरवाही की जांच की मांग करते हुये प्रदर्शन कर रहे थे। जिलाधिकारी ने प्रदर्शन कर रहे परिजनों से मुलाकात कर उनकी बात सुनने की बजाय पुलिस को बुलाकर उन्हें हटाने का निर्देश दिया। किसी पुलिस अधिकारी को कलक्टर कहे और वह न माने। डीएसपी एसएस ठाकुर ने स्वयं परिजनों को मारना शुरु कर दिया। पुलिस वालों ने लाश के साथ भी बदसलूकी की और डंडे से महिला की लाश को ठेलना शुरु किया। बाद में यह देखकर की पत्रकार फ़ोटो ले रहा है, डैमेज कंट्रोल करने हेतु एंबुलेंस बुलाकर लाश को उसके गांव भेजवाने की व्यवस्था की।
सबसे दुखद रहा राज्य मानव आयोग के सदस्य झा का बयान। उन्होंने पत्रकारों के पूछने पर कहा कि जब तक कोई डाक्यूमेंटस उनके समक्ष नही आयेगा, आयोग कोई कारवाई नहीं कर सकता। प्रश्न यह है कि सुशासन का दावा करनेवाले नीतीश के शासन में हर जगह अधिकारियों की गुंडागर्दी और भ्रष्टाचार नजर आ रहा है। पुलिस की यह हरकत एक प्रश्न भी छोड़ रही है जिसका उतर हमें और आपको देना है। अगर मृत महिला का कोई परिजन बदले की आग में नक्सलवाद की राह पकड़ ले और ठोंक दे गोली डीएसपी के सीने में तो क्या कहेंगे आप। नीतीश और लालू के शासन में मात्र एक ही फ़र्क है। लालू के राज्य में उनके दल के गुंडे लोगों से गुंडागर्दी करते थे और लूटपाट मचाते थे, नीतीश के शासन में यह काम प्रशासन कर रहा है। रुपम पाठक, नवलेश पाठक और अब यह घटना। इस घटना की लाइव रिकार्डिंग आप नीचे दिए लिंक पर क्लिक करके देख सकते हैं.
http://mediamusic.bhadas4media.com/home/viewvideo/233/–news-incident-event/–.html
लेखक मदन कुमार तिवारी बिहार के गया जिले के निवासी हैं. पेशे से अधिवक्ता हैं. 1997 से वे वकालत कर रहे हैं. अखबारों में लिखते रहते हैं. ब्लागिंग का शौक है. अपने आसपास के परिवेश पर संवेदनशील और सतर्क निगाह रखने वाले मदन अक्सर मीडिया और समाज से जुड़े घटनाओं-विषयों पर बेबाक टिप्पणी करते रहते हैं.
Comments on “सुशासन बाबू के शासन में डीएसपी की गुंडागर्दी”
बेहद दुखद है. पुलिस – प्रशासन का चेहरा कभी नहीं बदलता..
bilkul sahi kiya lash per rajniti nahi honi chahiye..docter ki laperwahi yadi hai to oski janch ke aur bhi tareeke hai..FIR likh kar karwai baad mei bhi ho sakti hai lash leker shor sharaba theek nahi..
दिनेश मनसेरा जी , वहां कोई राजनेता नही था बल्कि मर्तक महिला के परिजन थें। एफ़ आइ आर दर्ज करने से पुलिस ने इंकार कर दिया था । मौत कैसे हुई यह भी आपको पता नही होगा , नसबंदी के लिये गलत नस काट दी डाक्टर ने । कानून की बात भी बताता हूं । लाश अगर जला कर विरोध प्रकट करते तो कुछ नही हो सकता था । डेथ बाडी का पोस्टमार्टम जरुरी है । मैं नही जानता आप कौन हैं , लेकिन कभी आपके साथ या आपके परिचित के साथ इस तरह की कोई घटना हो जब आप कुछ भी कर पाने में असमर्थ हों और जिस अधिकारी के पास फ़रियाद लेकर जायें वह आपको मारे या अपमानित करे तब मेरी बात याद रखियेगा , विरोध नही किजियेगा ।