पंजाब केसरी, शिमला से कार्यमुक्त होने वाले सुशील कुमार ने अपनी नई पारी शुरू कर दी है. सुशील को सुंदरनगर से प्रकाशित दैनिक अखंड हिमाचल का संपादक बनाया गया है. उन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण कर लिया है. वे काफी समय से पंजाब केसरी के ब्यूरोचीफ के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे थे. इसके पहले भी वे कई अखबरों को अपनी सेवाएं दे चुके हैं.
जालौन (उरई) से खबर है कि ब्यूरोचीफ केपी सिंह ने इस्तीफा दे दिया है. वे पिछले चार सालों से दैनिक जागरण को अपनी सेवाएं दे रहे थे. बताया जा रहा है कि संपादकीय प्रभारी विनोद शील के रवैये से नाराज होकर उन्होंने इस्तीफा दिया है. आलोक तोमर के सहपाठी रहे केपी सिंह ने संपादकीय प्रभारी के व्यवहार से नाराजगी जताते हुए अपना इस्तीफा संदीप गुप्ता को मेल कर दिया. पिछले चार दिनों से वे कार्यालय नहीं जा रहे हैं. यह पता नहीं चल पाया है कि उनका इस्तीफा स्वीकार किया गया है अथवा नहीं. केपी सिंह इसके पहले खुद का अखबार निकाल रहे थे. वे तमाम पत्र-पत्रिकाओं में लिखते भी रहते हैं.
NAVJEET SINGH
October 20, 2011 at 12:53 pm
लगता है सिन्दूर की कोई व्यक्तिगत टशन समझ में आती है ,अगर बुद्धिजीवी वर्ग की बात करे तो के .पी सिंह जी के बारे में जिले में नहीं वरन प्रदेश में उनकी विद्धता के बारे में सुनने को मिल जायेगा , वो तो के पी. सिंह का जनपद मोह न होता तो आज किसी बड़े बड़े पेपर या चैनल में किसी महानगर में ब्यूरो बने बैठे होते .लेकिन कुछ व्यक्ति समाज को नयी दिशा को देने के लिए ही इस धरा पर आते है ,ये तो बिलकुल बेवकूफी की बात उपर्युक्त एक बालक बुद्धि सिन्दूर द्वारा जो की गयी वो बात बिलकुल बेबुनियाद है | और जो इंसान खुद रिश्वत लेते पकड़ा गया हो जिसे खुद कुछ समय पहले जागरण से निकाल दिया गया हो वो क्या लोगो को आदर्शवाद का पाठ पढ़ायेगा , सिन्दूर खुद अपने आप में एक रंग हुआ सियार है ,और मुखौटा लगाये इस सियार की हालत ये है की अपने जनपद जालौन में लोगो को ये अपना मुह भी नहीं दिखा सकता तड़ी पार है |
नवजीत सिंह एडवोकेट (Mob:9936054010,9161336688)
उरई जालौन बुंदेलखंड
Anuj Kaushik
October 13, 2011 at 8:33 am
जागरण से केपी सिंह का इस्तीफ़ा देना जालौन में जागरण के लिए नई मुसीबत आना है क्यों कि श्री सिंह ने जागरण को जालौन में नई ऊचइयो पर पहुचाया है|
Pramod kumar jhansi
October 13, 2011 at 11:16 am
ये जान कर बड़ा दुःख हुआ क़ी जनपद जालौन में जागरण को एक नए मुकाम पर लाने के बाद जागरण प्रबंधन के अड़ियल रबैये का कोप भाजन बनना पड़ा है ये तो मैं नहीं जानता क़ी परिस्थितियां क्या बनी ै|
vinod kumar gautamjhansi
October 13, 2011 at 11:39 am
अमर उजाला जम्मू कश्मीर के संपादक रविन्द्र श्रीवास्तव के सानिध्य में पत्रकारिता के गुर सीखने वाले जनपद जालौन के ब्यूरो चीफ के पी सिंह को दैनिक जागरण कानपूर के प्रबंधन के अड़ियल रबैये का शिकार होना पड़ा है वास्तव में ये जागरण को एक बड़ा नुक्सान है| एक समय जनसत्ता के संपादक घनश्याम पंकज भी अपने सम्पादकीय पेज पर इनके लेख प्रमुखता से छापा करते थे और राजकिशोर जैसे लेखक ने भी अपनी मैगजीन दूसरा शनिवार के लिए चुना था जबकि ये प्रेस क्लब लखनऊ के अध्यक्ष रविन्द्र सिंह चौहान के छोटे भाई है|हलाकि हमको ये पता नहीं कि इस्तीफे का कारन क्या है लेकिन जिस प्रकार से के पी सिंह ने जागरण को पिछले चार साल में बुलंदियों पर पहुँचाया है वो काम और किसी के भी बस का नहीं है मेरी जानकारी में के पी सिंह के पत्रकारिता के दौर कई बड़े संस्थानों ने ऑफ़र किया है लेकिन जनपद मोह के ये सभी बड़े ऑफ़र भी उन्हें छते ही लगे |
Hari om mishra
October 13, 2011 at 6:05 pm
भड़ास पर पड़कर मुझे गहरा झटका लगा कि जागरण उरई के ब्यूरो चीएफ़ के पी सिंह ने इस्तीफा दे दिया . परिस्थितया कुछ भी हो लेकिन इससे उरई जिले में अब जागरण का पतन निश्चित है . क्योकि जिस व्यक्ति से सीख कर आज लोग पत्रिकारिता जगत के बड़े बड़े बैनरों में संपादक, समाचार संपादक , उपसंपादक पद पर है वह सख्स केवल अपने जनपद मोह में रहकर उरई जिले में जागरण के ब्यूरो चीएफ़ रहे. उनसे सीखने वालों कि फेहिरिस्त में इस समय के जममु सस्करण के संपादक रविन्द्र श्रीवास्तव, ग्वालियर के प्रतिष्ठित पत्रकार देव श्री माली, में खुद एक बड़े बैनर का उपसंपादक आदि है . जबकि उन्हें कई बड़े बैनरों से ऑफर आये लेकिन उन्होंने सब ठुकरा दिए . आई ए अस, पिसिअस की लाबी भी के पी सिंह की पत्रकारिता से अच्छी तरह से वाकिफ है. इतना ही नहीं अनुसूचित जाति, जनजाति के उत्थान के लिए भी इन्होने कई प्रयास किए. ऐसे सखस का इस्तीफा देना कोई न कोई बड़ी वजह है. इतना तो तह है कि शायद जागरण को अछे लिखने वालो कि कद्र ही नहीं है.
Sanjay Gupta ( Journalist)
October 13, 2011 at 6:21 pm
के.पी. सिंह जी का इस्तीफा देना , निश्चित ही जनपद में जागरण के पाठको के लिए बुरी खबर है | क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल जों उपलब्धियां जागरण को दी है वह शायद ही कोई पूरा कर पाए…
संजय गुप्ता
उरई ( जालौन)
Anil Sindoor
October 14, 2011 at 7:24 am
Jalaun me dainik jagran ke kanpur sanskaran se K.P.Singh ne tyag patra de kar jagran per ahsan kiya ho ya na kiya ho lekin unhone jagran ke pathako pe jarur ahsan kiya hai…..jagran office unke rahtey ek dalali ka adda ban gaya tha…….jisse use nizat mil gayi hai….office ka staff unke tanasahi ravaiye se aaziz aagaya tha…apne ko mahima mandit karne wale K.P.Singh ki asliyat kya hai…….sub log jante hai….yahan tek ki unka parivar bhi unke amanviye vayvahar se dukhi rahta hai…..patkarita ki jhandabardari karne wale K.P.Singh uske saath bhi nayey nahi kar sake…..jagran me kaam kar rahe they…lekin likh rahe they…..ek local paper agni charan ke liye……jo koi bhi lok priya samachar patra bardasth nahi kar sakta hai……kai samachar aisey they….jo hubbahu jagran thatha agnicharan me chaapey gaye……unhone is kahawat ko charitarth kiya ki “KHAYE KHSAM KO……….,K.P.ke bare ye kahna bhi galat hai ke wo bade samachar patro me sampadak rahe…wo hamesa local paper me gutbaji kar sampadak ke pad pe tainat rahe………….wo patrakar ALOK TOMAR ke mitra hai….iska matlab ye nahi ki wo bhi ek mahan patrakar ho gaye….DARU KE NASE ME DUTH RAHNE WALA AADMNI apni samajik pratistha tabhi kho chuka hai….jub usne apni PATNI per tamam aarop laga ke ghar se bedakhal kar diya………
Sameer Srinastava
October 15, 2011 at 7:43 am
Dainik Jagran ni apni ORAI ki mala ka Sabse anmol moti kho diya , Sri K.P. Singh jo ki atulya pritbhashali hote hue bhi sirf varn vyawastha per tikhe prahar karne ki wajah se nationa ana state label per muka pane se vanchit reh gaye , last 4 salo se vo jagran paper ko apni sevay de rahe the or jagran ko din pritidin nayi bulandiyo per pahucha rahe the to samajik parivarten virodhiyo ki nazar unko lag gaye or unki roti ka bhi sahara chin liya lekin chatryia hone ke wavjood varn wyawastha ki itni bedag mukhalphat karne ki karan unki alag pehchaan kayam rahegi
NAVJEET SINGH
October 15, 2011 at 2:24 pm
के .पी. सिंह जी का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा का धनी है . एवं एक प्रकाश पुंज के रूप में समाज और लोगो दिशा देने का काम उनके द्वारा किया जाता है ..,जैसा कि उपर्युक्त एक लेखक का आलोचनात्मक रवाया रहा जो बिलकुल बेबुनियाद है लगता है ….और श्री सिंह जैसे व्यक्तित्व और प्रतिभा के धनी व्यक्तियों कि जागरण जैसे संस्थानों को जरुरत रहती है ,,और आत्मसम्मानी और स्वाभिमानी पुरुष कभी झुककर कार्य नहीं करते हो सकता है यही मतभेद के कारण रहे हो …जागरण उरई को इससे काफी नुक्सान पहुचेगा … नवजीत सिंह उरई( बुन्देखंड )
NAVJEET SINGH
October 20, 2011 at 12:54 pm
लगता है सिन्दूर की कोई व्यक्तिगत टशन समझ में आती है ,अगर बुद्धिजीवी वर्ग की बात करे तो के .पी सिंह जी के बारे में जिले में नहीं वरन प्रदेश में उनकी विद्धता के बारे में सुनने को मिल जायेगा , वो तो के पी. सिंह का जनपद मोह न होता तो आज किसी बड़े बड़े पेपर या चैनल में किसी महानगर में ब्यूरो बने बैठे होते .लेकिन कुछ व्यक्ति समाज को नयी दिशा को देने के लिए ही इस धरा पर आते है ,ये तो बिलकुल बेवकूफी की बात उपर्युक्त एक बालक बुद्धि सिन्दूर द्वारा जो की गयी वो बात बिलकुल बेबुनियाद है | और जो इंसान खुद रिश्वत लेते पकड़ा गया हो जिसे खुद कुछ समय पहले जागरण से निकाल दिया गया हो वो क्या लोगो को आदर्शवाद का पाठ पढ़ायेगा , सिन्दूर खुद अपने आप में एक रंग हुआ सियार है ,और मुखौटा लगाये इस सियार की हालत ये है की अपने जनपद जालौन में लोगो को ये अपना मुह भी नहीं दिखा सकता तड़ी पार है |
नवजीत सिंह एडवोकेट (Mob:9936054010,9161336688)
उरई जालौन बुंदेलखंड
NAVJEET SINGH
October 16, 2011 at 5:15 am
के .पी. सिंह जी का व्यक्तित्व बहुमुखी प्रतिभा का धनी है . एवं एक प्रकाश पुंज के रूप में समाज और लोगो दिशा देने का काम उनके द्वारा किया जाता है ..,जैसा कि उपर्युक्त एक लेखक का आलोचनात्मक रवाया रहा जो बिलकुल बेबुनियाद है लगता है ….और श्री सिंह जैसे व्यक्तित्व और प्रतिभा के धनी व्यक्तियों कि जागरण जैसे संस्थानों को जरुरत रहती है ,,और आत्मसम्मानी और स्वाभिमानी पुरुष कभी झुककर कार्य नहीं करते हो सकता है यही मतभेद के कारण रहे हो …जागरण उरई को इससे काफी नुक्सान पहुचेगा … नवजीत सिंह उरई( बुन्देखंड )
krishna kumar ORAI
October 16, 2011 at 3:41 pm
shri k p singh ki badolat jagran ne apne jile jaloun me jo jagah logo k dil me banai he wo sayad ab jagran aisa dobara na kar paye . aaj jis unchi mazil pe unhone pahuchaya he ye bat jagran ko nahi bhulni chahiye…. hum unki vapis hone ka intzaar karege…
Anil Sindoor
October 19, 2011 at 11:04 am
jagran se tyag patra dene ke bad kp singh ko 4 din ke andar hi apni aukad malum pad gayi aur wo sampadak se gigidane ko pahuch gaye . wo sampadak ke samne gigadaye hi nhin roye bhi mafi mangte huye dobara galti na karne ki tauba ki . jab ki tyag patra dene ke bad prachaar kar rahe dhe ki swabhiman ke age wo nahin jhuke.
Dukhiya
October 21, 2011 at 11:25 am
स्ंापादक जी अपनी सेलरी बचाने के लिये तरह तरह के रोज फार्मूले ला रहे हैं लेकिन डेस्क के लोगों को तीन महीने की पगार नहीं मिली है; यह कैसी व्यवस्था खुद संपादक होटलों में ऐष करे; व दूसरों को अंगूठा; खून चूस कर किसी का भला नहीं होगा; सुशील कुमार पहले पैसा दो पिफर करो अगली बात हमें भी दीवाली मनानी है;
चंदन