एक पत्रकार सम्मेलन में मैंने जब तत्कालीन पट्रोलियम मंत्री सतीश शर्मा से पूछा, मंत्री जी आजकल पेट्रोल पम्प और गैस की एजेन्सी पर कितना प्रीमियम चल रहा है? क्योंकि अंग्रेजी भाषा में छपने वाले बिजनेस संबंधित समाचार पत्रों में प्रीमियम शब्द का वर्णन होता है। मैंने आग्रह किया कि आप निःसंकोच होकर बताइये, यहां तो सभी अपने लोग हैं।
यह बात सुनकर मंत्री महोदय इतने आग बबूला हो गये कि उन्होंने खड़े होकर मेज पर मुक्का मारा और कहा कि आप मुझ पर गैस की एजेंसी और पेट्रोल पम्पों के आबंटन में पैसा ले रहा हूं, आरोप लगा रहे हैं। मैं आपको जवाब नहीं दूंगा। मंत्री महोदय का चेहरा लाल हो गया था। शायद उनको हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी थी। इस बात पर पत्रकारों ने ठहाका लगाकर कहा आज मजा आयेगा, आज यहां पर त्यागी जी हैं। ऐसे सवाल वही कर सकते हैं। पत्रकार सम्मेलन के पश्चात खाने के समय मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव देवी दयाल जी ने आकर मुझसे कहा, आपने मंत्री जी को इतना परेशान कर दिया। अगर ब्लड प्रेशर के कारण वह जमीन पर गिर जाते तो आज गड़बड़ हो जाती। मैंने देवी दयाल जी से कहा, साहब आप नहीं जानते इनकी मोटी चमड़ी है। कहीं गिरने वाले नहीं थे। यह बात दूसरी है कि बाद में पेट्रोल पम्पों और गैस की एजेन्सियों के आबंटन में उन पर कोर्ट ने 50 लाख के करीब जुर्माना किया था।
इसी प्रकार का प्रकरण पत्र सूचना कार्यालय के सभागार में दिखा जब किसी पत्रकार नें सांइस टेक्नोलॉजी मंत्री कपिल सिब्बल से जब सवाल किया तो वह इतना आग बबूला हो गये कि उन्होंने उस पत्रकार को धमकी दी और उसे पत्रकार सम्मेलन से चले जाने का आदेश दे दिया। मंत्री महोदय का चेहरा उक्त पूर्व मंत्री की भांति लाल हो गया था। वह भी आपा खो बैठे थे। क्योकि इनके तार भी सोनिया गांधी से जुड़े हुए थे। मैंने आपात काल यानी इमरजेंसी में एक कविता पढ़ी थी। ”झूमत झूमत चलत है ठकुरा का भैंसा”। कविता भोजपुरी भाषा में थी। कविता का सारांश था कि ठाकुर का भैंसा ठुमक-ठुमक कर चलता है। वह चले भी क्यों नहीं क्योंकि वह तो ठाकुर साहब का भैंसा है। अगर किसी ने ठाकुर साहब के भैंसे को रोका तो ठाकुर साहब के लोग या उनके लठैत उस व्यक्ति को पीट-पीट कर अधमरा बना देंगे। यही दशा आज कल सोनिया गांधी के करीबी कपिल सिब्बल की है।
कपिल सिब्बल पत्रकार सम्मेलन के पश्चात जब जाने लगे तो हिन्दू समाचार पत्र के पत्रकार राजन पद्मानाभन ने मंत्री महोदय से रोक कर पूछा कि मंत्री जी आप यह बताइये कि आप पत्रकारों को इस प्रकार धमकी देकर बात करते हैं, आप समझते हैं कि पत्रकार आपके घरेलू नौकर हैं क्या? आपको पत्रकारों के साथ ऐसा व्यवहार करने का अधिकार किसने दे दिया? आप अपने ऊपर काबू क्यों नहीं रखते। सुन्दर राजन पद्मानाभन का यह कहना था कि फिर तो पत्रकारों से मंत्री महोदय को अपना पीछा छुड़ाना मुश्किल हो गया था। मंत्री महोदय ने सभी पत्रकारों से माफी मांगी और पत्रकार से अपनी टिप्पणी पर नाटकीय खेद व्यक्त किया। मंत्री महोदय फिर अपना मुंह लटकाए पत्रकार सम्मेलन के पश्चात वहां से चले गये थे। पत्रकार तो ऐसे मंत्रियों को वर्षों से देखते आये हैं। मंत्री तो आते-जाते रहते हैं क्योंकि यह तो टेम्परेरी होते हैं।
नेहरू या कथित गांधी परिवार से जो लोग जुड़ते हैं, उन सभी को अपने ऊपर ओवर कांफिडेंस हो जाता है। कपिल सिब्बल साहब के पिता जी पंजाब सरकार के 17 वर्षों तक सोलिसीटर जनरल रहे हैं यानी सरकारी वकील। उन्हें नर्सिंग दास सिब्बल के नाम से जाना जाता था। वह जहां रहते थे वहीं पर एक नर्सिंग होस्टल था। लोग तो जाने क्या-क्या बातें करते हैं कि वह किस प्रकार जजों की सेवा सश्रुषा करते थे। इसलिए सरकार और जजों के इतने दिनों तक चेहेते रहे। यह तो एक शोध का विषय है। क्योंकि वह तो अब दुनिया में नहीं है अगर कोई कुछ उनके कुछ राज जानता है तो करीबी ही बता सकता है।
दरअसल कपिल सिब्बल ने वकालत के सारे गुर अपने पिता से पढ़ते-पढ़ते और उनके आचरण से सीख लिए थे। कपिल सिब्बल वकालत के पेशे में राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू यादव के चारा घोटाला केस में उसके वकील बन कर उभरे। लालू यादव ने उन्हें राजनीति में एक अवसर दिया। उन्होंने कपिल सिब्बल को राज्य सभा का सदस्य पहली बार बनाया। राज्य सभा का सदस्य बनने के पश्चात अब कपिल सिब्बल ने राजनीति के गलियारों में अपनी पैठ बनानी शुरू कर दी थी। थोड़े दिनों के पश्चात कांग्रेस और लालू यादव का गठबंध्न हो गया था।
उधर कांग्रेस पार्टी के जो कानूनी सलाहकार थे, चाहे वह आर.के. आनंद हों, हंसराज भारद्वाज रहे हों उनकी पकड़ इतनी मजबूत नहीं थी जितनी कपिल सिब्बल की। उदाहरण के तौर पर अदालत में एक केस पीएन लेखी बनाम राजीव गांधी फाउंडेशन था, यह केस चलते-चलते लगभग 11 वर्ष हो गये थे, परन्तु 11 वर्षों में किसी भी जज ने राजीव गांधी पफाउंडेशन को एक बार भी कोई नोटिस अदालत की ओर से नहीं भेजा कि वह अदालत में आकर सूट जारी करने पर जवाब दे। केस दायर करने वालों में पी.एन. लेखी और रविन्द्र कुमार थे। पी.एन. लेखी की मृत्यु हो गई। अब मुख्य वकील की मृत्यु के पश्चात केस शुरू करने के लिए उन्हें अपने साथ दूसरे वकील या रविन्द्र कुमार को लें या चुप चाप बैठ जाएं। पिछले 11वर्षो में अभी तक कोई नोटिस सर्व नहीं हुआ तो दोबारा अब केस शुरू किया तो सफलता मिलेगी या नहीं। इसलिए दोबारा केस नहीं किया। अदालत ने केस को खत्म कर दिया।
इस केस में राजीव गांधी फाउंडेशन की ओर से कपिल सिब्बल पैरोकारी करते थे। इसी केस के बाद सोनिया गांधी और कपिल सिब्बल की नजदीकियां बढ़ीं क्योंकि आर.के. आंनद और सरकारी वकील खान को बीएमडब्लू केस में बातचीत के अंश जब टेलीविजन पर दिखाए गये थे तो आर.के. आनंद को मुंह की खानी पड़ी थी। इसी प्रकार दूसरे वकील हंसराज भारद्वाज भी एक्सपोज हो गये थे। उन्होंने भी एक केस में गलत एफीडेविड जमा करवा दिया था। इस कारण से कांग्रेस पार्टी और सोनिया गांधी की किरकिरी हुई थी। हंसराज भारद्वाज को न्याय एवं कानून मंत्री पद से हटाकर कर्नाटक का राज्यपाल बना दिया गया था। हंसराज भारद्वाज ने एक बार एक टेप हुई वार्ता में कहा था, हम सोनिया गांधी को बत्ती लगा देंगे।
अटल विहारी वाजपेयी की एनडीए सरकार की चुनावी हार के पश्चात जब कांग्रेसी सरकार बनाने के लिए संसद के केन्द्रीय कक्ष में सोनिया गांधी को नेता चुन लिया गया था। परन्तु राष्ट्रपति अब्दुल कलाम ने उन्हें प्रधानमंत्री पद की शपथ दिलाने और अपना मंत्रिमंडल गठन करने की इजाजत नहीं दी थी। क्योंकि सोनिया गांधी उस दिन पहले 11 बजे राष्ट्रपति से मिली थी। कारण चाहे जो रहे हों राष्ट्रपति ने उन्हें प्रधनमंत्री पद की शपथ दिलाने से मना कर दिया था। तत्पश्चात सोनिया की जगह मनमोहन सिंह को नेता चुना गया। उसी क्रम में दूसरे दिन फिर कांग्रेसी संसदीय दल की बैठक हुई। इस बैठक से प्रेस और प्रेस फोटोग्राफरों को बाहर रखा गया था। कांग्रेस पार्टी के नीति निर्धारकों ने रातों रात साजिश के तहत जो ब्यूह रचना रची कि सोनिया गांधी की छवि को पर्दे पर कैसे उभारा जाए?
कांग्रेस के नेता पद के लिए जो दूसरे दिन बैठक हुई उस बैठक में 100 पत्रकारों पर भले ही पाबन्दी हो परन्तु उस बैठक की कवरेज अभी टीवी चैनल सहारा टाइम्स पर मैंने देखी है। जिसमें नेता पद की कुर्सी के लिए सोनिया गांधी यह कहती दिखाई दी हैं कि आप लोग अपना कोई दूसरा नेता चुनो इस पर कपिल सिब्बल खड़े होकर टीवी के दृश्य में कह रहे हैं। मैडम हम आपके सिवा किसी को भी नेता नहीं मानते हैं और न ही हम किसी और को नेता बनने देंगे। पता नहीं सोनिया गांधी के विदूषक के रूप में न जाने वहां क्या-क्या कहा? कांग्रेस में जो पहले से नेता चले आ रहे थे उनमें से किसी पर भी सोनिया गांधी का विश्वास नहीं था। इसलिए अमेरिका परस्त घरेलू बिना जनाधर वाले दरबारी मनमोहन सिंह को उन्होंने प्रधनमंत्री पद के लिए चुनवा दिया। तदोपरांत सोनिया गांधी के नाम के नगाड़े बजाए गये कि वह महान त्यागी हैं, उन्होंने प्रधनमंत्री पद का त्याग कर दिया। त्यागी, त्यागी होता है महात्यागी कोई नहीं होता। पौराणिक कथाओं के अनुसार एक महात्यागी दानी दधिचि हुए हैं जिन्होंने जीवित अवस्था में ही स्वयं की हड्डियों से इन्द्र के लिए वज्र (अस्त्र) राक्षसों को मारने के लिए बनवाया था। सोनिया गांधी के नेता पद से इनकार करने पर चमचागीरी में कपिल सिब्बल अग्रणी थे फिर उन्होंने मनमोहन सिंह को कैसे नेता स्वीकार कर लिया क्योंकि वह सोनिया गांधी की नजरों में उसी दिन से चढ़ गये थे।
कपिल सिब्बल का शातिर दिमाग, चेहरे पर आकर्षण, कानून की बारीकियों को पहचानने की क्षमता, सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट में जजों के साथ रिश्तों के कारण कैसे उन्हें सम्बोधित करते हैं और उन्हें सभी प्रकार से खुश करने की कला पैतृक गुणों से मिली है। जिसके कारण उन्हें सोनिया गांधी के सबसे करीबी स्थान पर लाकर खड़ा कर दिया। राजीव गांधी फाउंडेशन पर दायर वाद में 11 साल तक किसी भी जज द्वारा आज तक कोई भी नोटिस सर्व नहीं करने दिया गया। यह क्षमता देश के किसी भी एडवोकेट में नहीं थी जो कपिल सिब्बल ने सोनिया गांधी की नजरों में चढ़ने के लिए कर दिखाया। पूरा देश, प्रशासन, वित्त विभाग, इन्फोर्समेन्ट डाइरेक्ट्रेट कह रहा है कि 2जी स्पेक्ट्रम में अनियमिताएं हुई हैं। परन्तु कपिल सिब्बल कह रहे हैं कि कोई घपला नहीं हुआ क्योंकि मनमोहन सिंह नाम के लिए भले ही प्रधानमंत्री हों परन्तु रिमोट तो सोनिया गांधी के पास है। उन्हें तो हर कीमत पर सरकार चलानी है। देश चाहे रहे, चाहे जाए।
अब कपिल सिब्बल चाहे अपनी गाजियाबाद की फैक्टरी से विदेशी बाजारों के लिए भले ही मीट (जानवरों का गोश्त) सप्लाई करें, चाहे शिक्षा में सुधार के नाम पर अथवा प्राइवेट यूनीवर्सिटी बनवाने के नाम पर शिक्षा व्यवस्था को बर्बाद करके चाहे जो कुछ भी करें। ए.राजा नाम के मंत्री से संचार मंत्रालय छीन जाने पर कपिल सिब्बल को ही इस विभाग का अतिरिक्त चार्ज सोनिया गांधी की ही मेहरबानियों का नतीजा है। कपिल सिब्बल की वजह से ही नीरा राडिया सीबीआई को अन्य अभियुक्तों को बचाने के लिए बयान दे रही हैं जबकि ईडी को पता है कि राडिया के सम्बन्ध पाक समर्थक हिजबुल मुजाहिद्दीन नामक संगठन के आतंकी सलाऊद्दीन से हैं। इस सलाऊद्दीन का नाम आते ही साऊथ ब्लॉक में नेताओं की सीटियां बजने लगती हैं।
लेखक विजेंदर त्यागी देश के जाने-माने फोटोजर्नलिस्ट हैं. पिछले चालीस साल से बतौर फोटोजर्नलिस्ट विभिन्न मीडिया संगठनों के लिए कार्यरत रहे. कई वर्षों तक फ्रीलांस फोटोजर्नलिस्ट के रूप में काम किया और आजकल ये अपनी कंपनी ब्लैक स्टार के बैनर तले फोटोजर्नलिस्ट के रूप में सक्रिय हैं. ”The legend and the legacy : Jawaharlal Nehru to Rahul Gandhi” नामक किताब के लेखक भी हैं विजेंदर त्यागी. यूपी के सहारनपुर जिले में पैदा हुए विजेंदर मेरठ विवि से बीए करने के बाद फोटोजर्नलिस्ट के रूप में सक्रिय हुए. वर्ष 1980 में हुए मुरादाबाद दंगे की एक ऐसी तस्वीर उन्होंने खींची जिसके असली भारत में छपने के बाद पूरे देश में बवाल मच गया. तस्वीर में कुछ सूअर एक मृत मनुष्य के शरीर के हिस्से को खा रहे थे. असली भारत के प्रकाशक व संपादक गिरफ्तार कर लिए गए और खुद विजेंदर त्यागी को कई सप्ताह तक अंडरग्राउंड रहना पड़ा. विजेंदर त्यागी को यह गौरव हासिल है कि उन्होंने जवाहरलाल नेहरू से लेकर अभी के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की तस्वीरें खींची हैं. वे एशिया वीक, इंडिया एब्राड, ट्रिब्यून, पायनियर, डेक्कन हेराल्ड, संडे ब्लिट्ज, करेंट वीकली, अमर उजाला, हिंदू जैसे अखबारों पत्र पत्रिकाओं के लिए काम कर चुके हैं. विजेंदर त्यागी से संपर्क 09810866574 के जरिए किया जा सकता है.
Comments on “सोनिया के सिब्बल यानि ठाकुर का भैंसा”
sir article pd kr maza aya ] aisha laga jisha garmagarm samosha khaker lagata h
chi….chi.chi… sibbal ji ke karkhane se janwaron ka mans vides bheja jata hai.up ke hindu votaron ke liye bjp ke liye isase bara masala kya hoga.sibbal ji sawadhan rahiye uma bharati up me hi kaman sambhal rahi hai.
sir kirpya esa na likhe warna kahi baanki ke neta b sibble sahab wale achran ko kahi vyapak rup anugrahan na kr le…………………………………………………..
विजेंन्दर जी के जय हो!