: दो महीनों में हो जाएगा दलाल पत्रकारों के नाम का खुलासा : यूपी के सफेदपोश पत्रकारों के नंगे होने का वक्त आ चुका है। आ क्या चुका है, बाकायदा शुरुआत हो चुकी है। लखनऊ में यूपी एक्रेडेटेड जर्नलिस्ट ऐसोसियेशन के बैनर को अण्णा के पक्ष में इस्तेमाल किये जाने को लेकर छिड़े ई-मेलवार का आक्रामक अंदाज तब दिखायी दिया, जब कमेटी के अध्यक्ष हिसामुल इस्लाम सिद्दीकी के अंग्रेजी में लिखे पत्र का मजाक उड़ाते हुए शरत प्रधान ने एक खत लिख मारा।
हिसाम अब ताव खाये हुए हैं। जाहिर है, कुछ अंदरूनी बातों का खुलासा करना ही है। सो, उन्होंने कर ही दिया। बताया कि हजरतगंज को उसकी खूबसूरती दिलाने के नाम पर बनी सरकारी परियोजना में लखनऊ के दो पत्रकारों ने दलाली खायी थी। यह दलाली एकाध लाख या करोड़ नहीं, दसियों करोड़ में थी। बहरहाल, अब लखनऊ में नफीस माने जाने वाले पत्रकारों के पैजामे उतरने के दिन शुरू हो जाने के आसार तो बनने ही लगे हैं।
बहुत कारसाज हैं लखनऊ के पत्रकार। दरअसल, आला दर्जे के दलाल और बेईमान हैं लखनऊ के आला पत्रकार। सरकारी योजनाओं में करोड़ों की दलाली खाते हैं यह पत्रकार। सरकारी अनुदान के घोटाले करते हैं यह पत्रकार। सरकारी कर्जा माफ कराते हैं यह पत्रकार। इसके लिए ईमानदार अफसरों के तबादले तक करा देते हैं लखनऊ के पत्रकार। ब्याज ही नहीं, असल मूल भी माफ करा लेते हैं पत्रकार। इतना ही नहीं, इतनी इनायत के बावजूद इनायत करने वालों को बेईमान तक करार दे देते हैं लखनऊ के पत्रकार।
यह बात हम नहीं, लखनऊ के पत्रकारों के बीच चल रहे ईमेलवार कह रही है। खुलासा हो रहा है नफासत और नजाकत के शहर समझे जाने वाले लखनऊ के पत्रकारों की औकात का। मीर बाकी और जयचंदों की लिस्ट में अपना नाम लिखा चुके यह पत्रकार अब खुद को ईमानदार साबित करने के लिए ईमानदारी का लबादा ओढ़ने लगे हैं। अंदाज है ईमानदारी का झंडा उठाते हुए अपने कुकर्मों की तरफ से लोगों का ध्यान बंटाना। पिछले तीन दिनों से लखनऊ में ईमेल वार छिड़ा हुआ है।
शुरुआत हुई उप्र मान्यताप्राप्त पत्रकार समिति के नाम पर लिए गये तथाकथित उस फैसले से, जिसके तहत समिति के सदस्य पत्रकारों को अण्णा हजारे के समर्थन में प्रेस क्लब से एक मार्च निकालना था। खबर फैलते ही ऐतराज शुरू हो गया। समिति के अध्यक्ष हिसामुल इस्लाम सिद्दीकी ने साफ कहा कि ऐसा फैसला हुआ ही नहीं। उनका कहना था कि जो लोग इस मसले पर मार्च करना चाहें तो वे किसी मजदूर यूनियन के बैनर पर यह काम कर सकते हैं, लेकिन समिति का फैसला न होने पर समिति का बैनर इस्तेमाल करने की इजाजत उन्हें नहीं दी जाएगी।
इसी पर बवाल खड़ा हो गया। इंडियन फेडरेशन आफ वर्किंग जर्नलिस्ट के अध्यक्ष के विक्रम राव ने समिति के फैसले के आधार पर पत्रकारों से इसी बाबत अपील कर दी। लेकिन समिति की ओर से ऐतराज हुआ तो पता चला कि यह मेल उपाध्यक्ष मुदित माथुर ने जारी किया था। समिति का कहना था कि ऐसा कोई फैसला हुए बगैर इसे जारी करने का अधिकार किसी को नहीं। समिति के अध्यक्ष हिसाम ने विक्रम राव को इस बारे में आड़े हाथों लिया और कहा कि ऐसा करना अपराध है। अंग्रेजी में लिखे हिसाम के इस पत्र का माखौल उड़ाते हुए शरत प्रधान ने एक ईमेल जारी कर दिया।
कल तक तो शांति रही। लेकिन आज देर रात हिसाम ने हिंदी में एक पत्र ईमेल करते हुए बेहद गंभीर आरोपों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा कि अण्णा का समर्थन करने वालें पत्रकारों को अपने गिरहबान में झांकना चाहिए जो अरबों की दलाली में लिप्त हैं। अपने पक्ष में हिंदुस्तान के पत्रकार गोलेश स्वामी का नाम लेते हुए हिसाम ने कहा कि दो मास के भीतर वे ऐसे पत्रकारों के नामों का खुलासा कर देंगे जो इस दलाली में जुडे होने के बावजूद अण्णा के ईमानदार आंदोलन का समर्थन कर ईमानदार बनने का ढोंग रच रहे हैं।
इतना ही नहीं, हिसाम ने अपने पत्र में तो यहां तक लिख दिया है कि कई बार निजी और सार्वजनिक मौकों पर शरत प्रधान ने कई बार कहा कि विक्रम राव जैसा बेईमान और लुच्चा इंसान उन्होंने कभी देखा ही नहीं। ऐसे में वे किस मुंह से विक्रम राव के साथ ईमानदारी का परचम उठा सकते हैं। जाहिर है कि हिसाम इस मसले को चोर-चोर मौसेरे भाई के तर्ज पर पत्रकारों के बीच पेश करने पर आमादा है। उधर इस मसले को दबाने की कोशिशें भी शुरू हो चुकी हैं। हिसाम को मनाने के लिए बाकायदा एक टीम बना देने की बात भी चल रही है।
बहरहाल, हिसाम के इस खत के बाद अब पत्रकारों की औकात का खुलासा बस होने ही वाला है। हिसाम ने लखनऊ के पत्रकारों की दागदार ईमानदारी के खिलाफ जेहाद तो छेड़ ही दी है। अब बस देखना तो यह है कि अब तक सफेदपोश बने रहे पत्रकार हिसाम को मैनेज कर पाते हैं या नहीं। लेकिन जानकार बताते हैं कि अगर ऐसा नहीं हो पाया तो लखनऊ के पत्रकारों को नंगा होने से बचाया नहीं जा सकेगा। लेकिन इन सबके बावजूद अभी इस बात का खुलासा तो होना ही है कि हजरतगंज के अरबों रुपयों के सौंदर्यीकरण के सरकारी प्रोजेक्ट में किन पत्रकारों ने दलाली की मलाई चाटी है। सवाल तो सर्वाधिक अहम यह ही है।
लेखक कुमार सौवीर वरिष्ठ पत्रकार हैं. वे दैनिक जागरण, हिंदुस्तान, दैनिक भास्कर समेत कई संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर रहे हैं. पिछले दिनों महुआ यूपी के ब्यूरोचीफ पद से इस्तीफा देकर स्वतंत्र पत्रकारिता में जुटे हुए हैं.
Comments on “हजरतगंज के सौंदर्यीकरण में बड़े पत्रकारों ने ली थी दलाली!”
Kuch bhee nahe hone wala hai…… naa jane kitne ghotale daba diye jate hain….. is desh ko koe neta nahee chala rahe hain kewal bhagwan hee chala rahe hain………… aur unka hee aasara rakho……
Patrakaro se ye ummid nahi ki jati ki kahi par wo dalali khayein, patrkaar ka matlab hota hai jaha par galat ho raha ho usko janata ke samne lana but in longo agar galat koiya hai to unko dand diya jay.
bhai aapne MEER BAQI ka naam kis sandarbh main istemal kiya hai. inka itihas main darj kis dhoke main naam aya tha zara bataye to gyan vardhan hoga
Probably Everything in Excess causes isolation that’s why Swamiji got deviated. Swamiji should conceive the role of Sibbal which has been crystal clear in this whole episode. My Question is why Swamiji didn’t sense the arrogance filled with corruption of Mr Sibbal.
It may be the fact that he was not accomodated in the core committee of India Against Corruption.
Hope it seems logical to everyone. I can’t presume that everyone will agree with my view.
VERY OLD NEWS ,MAX. JOURNALISTS KNOWS THE NAME
Sauveer Ji Jo Beiman Tha Woh Meer Jafar Tha. Meer Baqi To Ek Bare Shayar Ka Naam Hai. Aap Meer Jafar Aur Meer Baqi Ko Ek Tarazoo Par Nahin Taul Sakte.
900 चूहे खा कर बिल्ली हज पर चली …
हिसमुल इस्लाम सिद्दीकी …. कल तक विक्रम राव के साथी थे आज गरिया रहे हैं , इमानदार की दुम बन रहे हैं, मुलायम सिंह यादव से कब कब कितना कितना रुपया लिया , कांग्रेस से कब कब कितना पैसा लिया , अर्जुन से कब क्या क्या लिया ? सब जानते हैं, बाराबंकी के छोटे से कसबे में रहने वाले हिसाम का आलिशान बंगला कैसे बन गया ? कितनी कॉपी छपती हैं इनके अखबार की , दलालों के सरगना है मुसलमानों को बरगला कर अपनी दूकान चला रहे है , दिन में 2 – 2 बार हवाई यात्रा करते है कहाँ से आता है इसके लिए पैसा , कितना विज्ञापन छपता है इनके अख़बार में …
ये साले सब के सब चोर है अब उसमे चाहे हिसाम साहब हों चाहे के.विक्रम राव हों चाहे शरत प्रधान हों सब भो………… वालो की दलाली के जरिये दुकान चलनी चाहिए सच और झूठ जाए माँ………चु………../ साले सब के सब अपने आप को पत्रकार कहते है अधिकारियों के साथ बैठ कर दारू पीते है अधिकारियो को लौंडिया सप्लाई करते है दलाल मादर……..किस मुह से एक दूसरे के ऊपर ऊँगली उठाते है साले ये दोनों शरत और हिसामुल आज आमने सामने है तो एक दूसरे की पोल खोल रहे है मगर कोई इन मादरों से पूछे की आज के पहले इन दोनों ने एक दुसरे की पोल क्यों नहीं खोली इसलिए पोल नहीं खोली क्योंकि ये दोनों साले एक ही थाली के चाट्टे बट्टे है आज आमना सामना हुआ तो एक दुसरे की पोल खोल रहे है आज तक इन मादरो …….. ने कितना पैसा खाया होगा ऊपर वाला ही जाने सेल पूरी पत्रकार कौम को बेच रहे है दलाल साले (ये लेख उन सभी पत्रकारों के लिए है जो दलाल है साले इन दलालों को अपनी बिरादरी से निकाल बाहर करना है भाइयों )
SABSE BADA CHOR TO LUCKNOW KA ETV KA NEWS COORDINATOR BRIJESH MISHRA HAI. APNI AATMA TAK BECH CHUKA HAI PAISE KE CHAKKAR MEIN. POOCHHO USSE KAHA SE AAYA GANJ ME WOODLAND KA SHOW ROOOM.