दुखद खबर है. हमारा महानगर का दिल्ली संस्करण आज से बंद कर दिया गया है. प्रबंधन की तरफ से अचानक और गुपचुप तरीके से उठाए गए इस कदम से इस अखबार में काम करने वाले मीडियाकर्मी सकते में हैं. सूत्रों के मुताबिक आज जब सुबह लोग आफिस पहुंचे तो दिल्ली संस्करण के बंद किए जाने की सूचना चस्पा मिली और गेट पर ताला लगा मिला. बताया जा रहा है कि करीब 25 पत्रकार और करीब 50 अन्य विभागों के लोग बेरोजगार हो गए हैं. इन मीडियाकर्मियों ने हमारा महानगर के मालिकों की इस नीच हरकत की निंदा की और उचित मुआवजा न मिलने तक आंदोलन चलाने का ऐलान किया है.
बताया जाता है कि करीब दो महीने से अखबार के बंद किए जाने की चर्चा जोरों पर थी लेकिन प्रबंधन की तरफ से बार-बार सबको यह आश्वासन दिया जाता रहा कि अखबार बंद नहीं किया जाएगा. कल देर रात तक रुटीन के हिसाब से काम चला. लोगों ने पेज बनाए और अखबार छपने के लिए गया. लेकिन आज जब अखबार मार्केट में नहीं आया तो लोगों को माथा ठनका. फिर जब लोग अखबार के दफ्तर पहुंचने लगे तो पता चला कि यहां तालाबंदी की सूचना चस्पा की जा चुकी है. उल्लेखनीय है कि हमारा महानगर के प्रबंधन ने पिछले महीनों जोरशोर से घोषणा की कि वे कई जगहों से एडिशन निकालेंगे और जाने क्या क्या करेंगे. लेकिन दिल्ली में ही अखबार की बंदी से इनके भविष्य के प्रोजेक्टस पर ग्रहण लग चुका है. हमारा महानगर के मालिक आरपी सिंह हैं जो मुंबई बेस्ड हैं और उनका मूल धंधा सिक्योरिटी एजेंसी का है जिसे वे बड़े पैमाने पर संचालित करते हैं. बाद में उन्होंने मुंबई से हमारा महानगर नाम से हिंदी अखबार का प्रकाशन शुरू किया. पिछले साल की शुरुआत में इस अखबार को दिल्ली से लांच किया गया.
मुंबई में हमारा महानगर में कार्यरत सुधांशु शेखर का दिल्ली एडिशन का संपादक बनाकर भेजा गया और तबसे वही इसके दिल्ली के संपादक थे. सुधांशु शेखर से भड़ास4मीडिया ने जब संपर्क करने का प्रयास किया तो उनका मोबाइल स्विच आफ मिला. अखबार से जुड़े लोग इस बंदी के बारे में जानने के लिए जब मुंबई में बैठे प्रबंधन के लोगों को फोन कर रहे हैं तो कोई भी फोन नहीं उठा रहा है. आज दिन भर अखबार के लोग अखबार के दफ्तर के बाहर ही जमा रहे और भविष्य की रणनीति पर विचार विमर्श करते रहे. रात में भी इन दुखी मीडियाकर्मियों के अखबार के ताला लगे दफ्तर के बाहर बैठे होने की सूचना है. हमारा महानगर के दिल्ली एडिशन के बंद होने से यह तो स्पष्ट है कि दिल्ली में छोटे-मोटे अखबारों के लिए अब कोई खास गुंजाइश नहीं है. यहां वही अखबार चल सकते हैं जिनमें घाटा उठाकर कई साल तक अखबार छापने की हिम्मत हो. हमारा महानगर दिल्ली संस्करण की मौत पहले से तय मानी जा रही थी. पहले प्रबंधन ने सेलरी के अलावा अन्य मदों पर होने वाले खर्चे से हाथ खींचा. ब्यूरो भंग किया. अन्य खर्चों में कटौती की और अब पहली फरवरी के दिन अचानक ताला लगाकर सब कुछ बंद करने की घोषणा कर दी.
Comments on “हमारा महानगर के दिल्ली संस्करण पर ताला”
so sorry…aisa kyo hota hai …jaise maloom deta hai jab tak dukan chal gai to chal gai ..nahi to band ho gai…jin logo ne kam kiya hai ..unka betan nahi rukna chahiye … aise maliko ko kya kaha jay
Hamara mahanagar kay Owner ka naam R.P.Singh nahi R.N.Singh hai…
Hamara Mahanagar kay Owner ka naam R.P.Singh nahi R.N.Singh hai
ye to hona hi tha jis newspaper ke start hone se pahle se hi nana tarah ki bate hawa me thi uska 12-15 chal jana hi 8wa aashcharya h maharaja security ke malik & mumbai me kabhi bmc ke head yani mare jise mumbai me sherif (shayad) kaha jata h ko mumbai me purwanchal ka maharaja mana jata raha h to paper band karna aapka faisla h us par kisi ko aapti nahi but gorakhpur ya gajipur ke maharaja singh saheb ab sare patrakaro ko jo bi bakaya hai de do to sare log aapko nawab hi manege bt politician ka game khelana galat hoga lihaja ab udarata ka parichaya de & sabka bhugtan karke apni maharaja wali Imag rakhe warna ye hai delhi sarkar mumbai nahi
zayada smart log hamesh hi gadla pety hay kya vivek sari hankdi nikal gai agar sharm hay to kahin doob maro. R.N.singh logo kay pet par laat kyya marogy ek din tumhari bhi ph…………… jayegi.
ye to hona hi thaa.. babu agar fase ho to G.M.- vivek prasad 09892886666, Advt manager Stewan 09821314100 ko phone karo.. abhi to hamara mahanagar lucknow se bhi sanskaran nikalne ja raha tha.. nashik pune bhi shuru kiya hai.. Ram jane kya hogaa…?????
Kyo Singh ya ni sher, kya huwa tumhe Delhi jaise bade jangle se Ghyal kar Nikal Deya na lakin tumne Bechare Nirdosh Seva Karmyo ki salary ko Rook di, 3 mahene ka ab muwabja do. Nahi to Mumbai aur UP jaise Jungle se bhi nikal diya jayega aur gate ke aage badh diya jayega. Singh ya ne ghyal sher……….. hahahahhahahahahaaaamaaaraaa Mahahanagr ke Malik…….hahahahahahaha
हमारा महानगर का मुंबई संस्करण में भी पीत पत्रकारिता जम कर चल रही है …. फिल्म के पेज पर ख़ास कर भोजपुरी पेज पर न्यूज़ छपवानी हो तो प्रति न्यूज़ तीन सौ रूपये देने पड़ते हैं…. फिल्म का कोई पत्रकार नहीं है ….. डेस्क पर बैठा एक पत्रकार पेज लगाता है और उसके लिए वसूली भोजपुरी के एक स्टार का पीआरओ जो एक दुसरे अखबार में काम भी करता है वो वसूली का काम करता है…. राजनितिक खबरों में भी ऐसा ही है…. इमानदार पत्रकारों के लिए इस अखबार में कोई जगह नहीं है .;D>:(