यशवंतजी, आलोक तोमर की याद में आयोजित प्रोग्राम ”यादों में आलोक” काबिले तारीफ था. हॉल तक मुझे ले जाने में आप के अनुरोध से अधिक आलोक तोमर के नाम-काम ने प्रेरित किया. बोलना मैं भी चाहता था लेकिन सिर्फ एक वजह से रुक गया. वजह थी आलोक भाई की एक नसीहत जो उन्होंने मुझे दी थी. कर नहीं सकते तो बोलो मत. लोग गंभीरता से नहीं लेंगे.