सिरसा : दैनिक समाचार पत्र आज समाज के प्रधान संपादक राहुल देव ने कहा कि यदि भारत को बचाना है तो हिंदी को भी बचान पड़ेगा। अंग्रेजी के गुलाम होते समाज में अपना वर्चस्व कायम करने के लिए हिंदी भाषी पत्रकारों को भाषा की गुणवत्ता का ध्यान रखना होगा। इसके अलावा उन्होंने कहा कि पत्रकारिता के बदलते दौर में पत्रकार कंटेंट और क्वालिटी पर विशेष ध्यान दें और विश्वसनीयता को जिंदा रखने के लिए स्वच्छ पत्रकारिता का सहारा लें।
श्री देव आज हरियाणा जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन द्वारा पंचायत भवन में हिंदी पत्रकारिता दिवस के अवसर पर बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रह थे। उन्होंने कहा कि हिंदी पत्रकारिता का लंबा इतिहास है और देश की आजादी और उसके बाद जनमानस की भावनाओं को अभिव्यक्त करने का महत्वपूर्ण माध्यम भी। उन्होंने हिंदी पत्रकारिता के विषय में कई महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी।
कार्यक्रम की शुरुआत मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्जवलित करके की गई। इसके बाद न्यू सतलूज स्कूल की छात्राओं ने मां सरस्वती की वंदना की। कार्यक्रम में पहुंचे मुख्यअतिथियों का बुके देकर स्वागत किया गया। इस मौके पर हजकां के वरिष्ठ नेता, पूर्व मंत्री एवं पूर्व सांसद धर्मपाल मलिक, पूर्व सांसद रामजी लाल, पूर्व सांसद डॉ. सुशील इंदौरा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि होशियारी लाल शर्मा, भाजपा महिला मोर्चा की प्रदेशाध्यक्ष रेणू शर्मा, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रतिनिधि गोबिंद कांडा, कांग्रेस ब्लाक कमेटी प्रधान भूपेश मेहता, देविवि के जनसंचार व पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष वीरेंद्र सिंह चौहान, कुलदीप भांभू, गोकुल सेतिया, डॉ. आरएस सांगवान, पार्षद रमेश मेहता, अमरपाल खोसा, अधिवक्ता सुरेश मेहता, विशिष्ट अतिथियों के तौर पर पहुंचे।
कार्यक्रम में शिरकत करने जालंधर से आए वरिष्ठ पत्रकार अर्जुन शर्मा ने समाज व सियासत पर बोलते हुए कहा कि पत्रकार भी अब पेशेवर हो गए हैं। जिस प्रकार पैसे के बिना एक राजनेता राजनीति नहीं कर सकता वैसे ही आधुनिक पत्रकारिता भी पेड न्यूज में घिर चुकी है। उन्होंने कहा कि आज खबरों की मानिटरिंग खत्म हो चुकी है जिससे छोटे शहरों की समस्याएं बड़े शहरों में बैठे उच्च अधिकारियों तक नहीं पहुंच पाती। उन्होंने कहा कि नैतिक चिंतन का भी होना जरूरी है।
वीरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि हिंदी पत्रकारिता का उदभव पहले हिंदी समाचार उदंत मार्तंड के जरिये हुआ। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी की दास्ता से छुटकारा पाने के लिए हिंदी पत्रकारों को अपने काम में गुणवत्ता लाने की जरूरत है। इस मौके पर मंच संचालन प्राध्यापक हरभगवान चावला ने किया। कार्यक्रम के अंत में आए हुए गणमान्य व्यक्तियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए गए। कार्यक्रम में हरियाणा जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन के जिलाध्यक्ष नवदीप सेतिया, महासचिव अमित तिवाड़ी, कोषाध्यक्ष अंशुल छत्रपति, सत सिंह, राजकमल कटारिया, राजेंद्र ढाबा, इंद्रजीत अधिकारी, विकास तनेजा, रवि बंसल, कमल सिंगला, प्रवीण दुआ, भास्कर मुखर्जी, कुलदीप शर्मा, रविंद्र सिंह, विकास तनेजा, राम महेश्वरी, हितेश चतुर्वेदी, विजय जसूजा, प्रवीण कोशिक, संदीप चायल, अमरजीत सिंह, संदीप गाट, संजीव शर्मा ,अरिदमन छत्र पति, सहित अनेक पत्रकार साथी व लोग मौजूद थे।
रविंद्र सिंह की रिपोर्ट
manisha
May 30, 2011 at 1:36 pm
hindi patrakarita ko sabse bada khatra angregida sampadkon se hai
विनय कुमार झा
May 30, 2011 at 4:58 pm
जो हिंदी नहीं जानता, वह हिंदुस्तान को नहीं जान सकता—–मार्क टुली, वरिष्ठ पत्रकार
विनय कुमार झा
May 30, 2011 at 5:08 pm
हिंदी पत्रकारिता को सबसे बड़ा खतरा वैसे ‘युवाओं’ से है जो हिंदी से कटते जा रहे हैं. वे हिंदी भाषा को निम्न कोटि की भाषा समझते हैं.
विनय कुमार झा
May 30, 2011 at 5:17 pm
‘हिंदी में पूछो, अंग्रेजी में जवाब मिलता है यहां’——–मार्क टली
(साभार-http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/7246133.cms)
विनय कुमार झा
May 30, 2011 at 5:33 pm
मै तो सुझाव दूंगा कि फिलहाल हिन्दी वालों को अपनी भाषा से संबंधित दूसरे काम छोड़ देना चाहिए और लंका दहन के कार्यक्रम में शामिल हो जाना चाहिए। भेड़िया एकदम दरवाजे तक आ चुका है।———राजकिशोर
(हिंदी के क्रियोलीकरण के संदर्भ में, साभार- राष्ट्रीय सहारा, २६ /९ /२०१०)
anil pande
May 30, 2011 at 7:11 pm
(MANU SHARMA) नहीं बचा तो भारत भी नहीं बचेगा : राहुल देव
ajit gupta
June 3, 2011 at 4:45 am
राहुल देव इस दिशा में प्रशंसनीय कार्य कर रहे हैं।