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हिंदुस्तान, बदायूं के एक खबर की हेडिंग देखिये

हिंदुस्‍तान वैसे तो लगातार ऐसे ऐसे कार्य करने के लिए जाना जाता है जिसे कोई नहीं कर पाता है. दशहरा पर भी हिंदुस्‍तान ने सदियों पुरानी परम्‍परा को बदलकर एक नए परम्‍परा का आगाज किया. अभी तक छोटी-मोटी गलतियों के लिए अपनी पहचान बनाने वाला अखबार अब बड़ी गलतियों से अपनी पहचान बनाने में जुटा है. और उसके इस कार्य को अंजाम दिया है हिंदुस्‍तान का बदायूं संस्‍करण.

हिंदुस्‍तान वैसे तो लगातार ऐसे ऐसे कार्य करने के लिए जाना जाता है जिसे कोई नहीं कर पाता है. दशहरा पर भी हिंदुस्‍तान ने सदियों पुरानी परम्‍परा को बदलकर एक नए परम्‍परा का आगाज किया. अभी तक छोटी-मोटी गलतियों के लिए अपनी पहचान बनाने वाला अखबार अब बड़ी गलतियों से अपनी पहचान बनाने में जुटा है. और उसके इस कार्य को अंजाम दिया है हिंदुस्‍तान का बदायूं संस्‍करण.

लगातार अनोखे कारनामें करने वाला हिंदुस्तान, बदायूं  अपनी गलतियों से कोई सबक नहीं ले रहा है. यही वजह है कि अखबार में गलतियां रुक नहीं पा रही है. बरेली में बैठे अधिकारी भी न जाने क्या कर रहे हैं. हिंदुस्तान ने अपने 11 अक्टूबर के अंक में एक खबर छापी है, जिसका हेडिंग लगाया गया है ”सत्य पर असत्य की जीत का प्रतीक है रामलीला” यानि हिंदुस्तान ने वो कर दिखाया जो कोई नहीं कर पाया. चूंकि ये हेडिंग पांच कालम में लगी है सो सभी का ध्यान इस पर जाना स्वाभाविक था. इस हेडिंग पर हिंदुस्तान की जमकर हंसी उड़ी आप भी देखिये कि हिंदुस्तान, बदायूं  की रामलीला.

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0 Comments

  1. rajesh

    October 12, 2011 at 8:56 am

    बेहद ही लापरवाही भरा कदम हैं. हिन्दुस्तान के प्रबंधन को इस ओर कुछ ध्यान देना चाहिए नहीं तो उनकी बनी बनाई साख ख़तम हो जाएगी

  2. abdul sattar

    October 12, 2011 at 1:48 pm

    bilkul yeh ptr aur ptrkaron pr sawaaliya nishaan zaroor lag raha hai aur aise sansthaan is bhasha ka pryog karenge to log kya kahenge. abdul sattar

  3. ravinder

    October 12, 2011 at 8:07 am

    hahahah vaise bura kya likha hai aajkal satya par astya ki hi jeet ho rahi hai. aise galityun aaye din ho rahe hain. aise galti ho ti rahengi. aaj na jane kyun sabhi akbar copy editor ko paginator banane me amada hain. agar copy editor apna kaam kare aur paginator apne hisse ka to aise galtiyan kabhi nahi hongi. lekin kya karen ek tay samay seema me editing bhi karni hai aur page bhi banana hai dead line bhi hai. dekheye ye andhi daud kya kya beda gark karti hai.

  4. kavi khurafati

    October 12, 2011 at 10:06 am

    सत्य पर असत्य की
    विजय करायी !

    शशि शेखर की
    पत्रकारिता पर
    आंख भर आई !

    दिल्ली से बदायूं तक
    भाषाई गंध फैलाई
    शशि तूने यह पत्रकारिता
    पहले क्यों नहीं सिखाई ?

    शशि की लीलाओं का असर होने लगा है

    ‘हिंदुस्तान’ मूर्खाना गलतियों के खांचे में

    ढलने-सजने लगा है

    जिस दिन मास्ट हेड में ‘हिंदुस्तान’ की जगह

    ‘पाकिस्तान’ लिखा जायेगा

    शशि पत्रकारिता के इतिहास में

    महान, अमर और भगवान कहा जायेगा !

    – कवि खुराफाती

  5. ROHIT KRISHNA NANDAN

    October 12, 2011 at 9:02 am

    aajkal akhbaar vyapaar krne me lage hain patrkaarita karne me nahi…maanvta k bhaav mar rahe hain aur kalushit soch pragati kar rahi h…aakhir ye kab tak chalega

  6. aazad rajeev

    October 15, 2011 at 12:12 am

    had kar di aapne…

  7. एक पत्रकार

    October 16, 2011 at 9:10 am

    पत्रकारिता नही ये ठलुआई है।
    बेवकूफ,मुर्खो की चुनाई है।
    और की बदायूं में बहुत कमाई है।
    ‘हिन्दूस्तान’ ने वाकई बहुत लजाई है।

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