देने का सुख
‘देने का सुख’ इस पांच अक्षर का मर्म तो दाता के मन की अनुभूति है। जैसे ढाई अक्षर के प्रेम की अनुभूति दिल वाला ही कर सकता है। ऐसा ही कुछ दान के मामले में है। मैं कोई दानदाता या पूंजीपति नहीं हूं। हां, अन्नदाता किसान का बेटा होने का गर्व है मुझे। शिक्षा-दीक्षा पूरी करने के बाद मेरा पत्रकार बनना भी महज एक संयोग है क्योंकि इस क्षेत्र से हमारे खानदान का दूर-दूर तक कोई नाता नहीं रहा है। लिखने-पढ़ने के शौक ने कलम थामने का मार्ग प्रशस्त किया। और मैं बीते 12 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं। मेरा ऐसा मानना है कि पत्रकारिता जीविकोपार्जन का साधन मात्र नहीं होना चाहिए। ऐसा होने पर हम निष्पक्ष और निर्भीक पत्रकार का दायित्व बखूबी निभा सकते हैं। पत्रकार की भूमिका समाज में प्रहरी का है। आज जब चहुंओर भ्रष्टाचार और बेईमानों का बोलबाला है, तब पत्रकारों की जिम्मेदारी और भी बढ़ी है। पहरेदार की भूमिका क्या होती है, सभी जानते हैं। मैं विचारों की उधेड़बुन में मुख्य बात से भटक रहा हूं। हम मुद्दे की बात पर आते हैं।
आज 11.1.11 है। इस शताब्दी का अनूठा संयोग। 1.1.11 से जब इस साल की शुरुआत हुई, तब मैंने अपनी हैसियत के मुताबिक इस साल यथासंभव ज्यादा से ज्यादा दान करने का संकल्प लिया। इस बीच भड़ास4मीडिया पर यशवंतजी की अपील पर नजर गई। पहले तो लगा कि 1111 रुपए देकर 1.1.11 को ही अपने संकल्प की शुरुआत करूं। फिर ठिठक गया। मुझे लगा यह राशि कम है। इतना कम देने से मुझे देने का सुख नहीं मिलेगा। मैं 11 जनवरी का बेसब्री से इंतजार करने लगा।
आज वह घड़ी भी आई। 11.1.11 को 11 बजकर 1 मिनट और 11 सेकंड में 11111 रुपए देकर अपनी अभिलाषा पूरी कर रहा हूं। यह महज एक संयोग है कि मैं इस साल के अपने संकल्प को पूरा करने की शुरुआत नंबर-1 इंडियन मीडिया न्यूज पोर्टल भड़ास4मीडिया से कर रहा हूं। तब देने का सुख की अनुभूति हो रही है। मैं तो बस यही कहूंगा कि जिसे आप अपना मानते हैं, उसे कुछ देकर देखिए निश्चय ही आप देने का सुख प्राप्त करेंगे।
आनंद साहू
पत्रकार
महासमुंद
रायपुर
छत्तीसगढ़
यशवंत
January 13, 2011 at 3:25 am
सूर्यकांत जी, कौव्वा कान ले गया की कहावत चरितार्थ न करें. बहुत लोग बहुत कुछ कहते रहते हैं. रवींद्र जैन जी से पूछें कि उन्होंने कितने रुपये भड़ास को दिए हैं. और, जो अखबार मालिक दुनिया को ब्लैकमेल करते हैं, उन्हें अगर यशवंत ब्लैकमेल कर लेता है तो मैं सचमुच सुपरमैन हूं. सूर्य भाई, सिर्फ ईमानदारी ही वो पैमाना है जिसके कारण भड़ास4मीडिया टिका हुआ है, वरना अगर कोई ब्लैकमेल करता तो मगरमच्छ जाने कबके उसे खा जाते.
फिर भी, आपकी कमेंट रूपी भड़ास को इसलिए प्रकाशित किया ताकि भड़ास की पारदर्शिता बनी रहे. मुझे निजी तौर पर दुख है कि आप किन्हीं लोगों के बहकावे में आकर गलत धारणा बना चुके हैं.
आभार
यशवंत
suryakant sharma
January 12, 2011 at 5:24 pm
Ye ravindra jain ke haat bike hue hai, wo khud kehta hai ke mai Yeshwant ko paise detabhu wo mare news nahee de sakta. Yeshwant ek no. ka blackmailer aur chor hai ise 11, 111/- kyo de diye. jo sampadako aur Akhbaar maliko se paise khaye wo patrakaro ka hitashai nahee ho sakta. SAALA CHOR HAI.
gopal sharma
January 12, 2011 at 4:54 pm
आनंद जी, आपकी पत्रकारिता के प्रति पावन भावना और आपके ह्रदय की विशालता आपके इस बहूमूल्य सहयोग से झलकती है। वास्तव में मीडिया जिस दौर से गुजर रहा है उसकी वास्तविक पीड़ा अब पत्रकार विरादरी भी भुलाने लगी है। पत्रकार वर्ग ने गर्त में जाती पत्रकारिता को ही नियति मान लिया है। यशवंत जी जैसे लोग भ्रष्ट होते इस सिस्टम के खिलाफ आवाज बुलंद किए हुए हैं। भ्रष्ट मीडिया हाउस इनको भी तरह-तरह से प्रताड़ित करने का समय-समय पर प्रयास करते हैं, जब भी उनकी दुखती रग पर हाथ लगता है। वास्तव में आज पत्रकारिता पूंजी-पतियों की गुलाम हो कर रह गई है और यशवंत जी जैसे लोग पत्रकारिता को आजाद कराने की जंग लड़ रहे हैं। आपने यह योगदान दिया मैं समस्त हिमाचल प्रदेश के पत्रकारों की ओर से आपका आभार व्यक्त करता हूं। कोटि-कोटि धन्यवाद।
मदन कुमार तिवारी
January 12, 2011 at 12:32 pm
आनंद जी बहुत खुशी हुई आपका योगदान देखकर । भडास सिर्फ़ एक पोर्ट्ल नही है बल्कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का आंदोलन है। यह अब यशवंत का हीं नही रहा , आपका , हमारा और वैसे सभी लोग जो विचारो की स्वतंत्रता के पक्षधर हैं , उनका हो चुका है यह ।
AN Shibli
January 12, 2011 at 8:48 am
आनंद साहू को बहुत बहुत मुबारकबाद। भड़ास को आप जैसे लोगों की आवशयकता है जो ईमानदार पत्रकारिता का साथ दें। आप उन लोगों के लिए एक मिसाल हैं जो भड़ास पढ़ते तो खूब हैं, उसे पसंद भी करते हैं, मगर लाखों कमाने के बावजूद भड़ास की मदद के लिए आगे नहीं आ रहें हैं।
यशवंत
January 12, 2011 at 8:40 am
आनंद जी,
आज ही मैं आपका मेल पढ़ पाया. सो, आपकी इच्छानुसार 11.1.11 पर 11.1.11 के विरल संयोग पर यह पोस्ट नहीं प्रकाशित करा पाया. इसका मुझे खेद है.
अपने जिस खुले दिल और आदर्शवादी भावना के साथ ये मदद दी है, उससे मैं उत्साहित हूं. उम्मीद है आप भड़ास4मीडिया पर समय-समय पर ज्वलंत मुद्दों पर लिखते रहेंगे.
आभार
यशवंत
rajesh sharma
May 29, 2011 at 10:57 am
anandji, bhadas4media ko aapke dwara kiye gaye madad ko mai kafi vilamb se padh paya. mai aapke ujjaval bhavisya aur udar jivan ki kamna karta hu.mujhe lagta hai ki bhadas ko aapke dwara diya gya yogdan ab tak bhadas ko patrakaro dwara kiye gaye madad me sarvadhik hai.mai janta hu ki aapke pas mahasamund me rahne ke liye khud ka ghar nhi, lekin aapke liye to ye sara jhan hamara h.khushi se aankhe bhar aayi hai. jyada kya likhu?_rajesh bhai
MANISH DUBEY
August 17, 2011 at 10:56 am
thanks anand ji