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2जी स्‍पेक्‍ट्रम घोटाला : जांच के घेरे में कलइगनार टीवी

2जी लाइसेंस के आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही एजेंसियां इन दिनों उस ट्रांजैक्शन की तफ्तीश कर रही हैं, जिसमें 200 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम मुंबई स्थित डीबी गुप से कलइगनार टीवी के पास भेजी गई। इस चैनल में बहुमत हिस्सेदारी डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के पारिवारिक सदस्यों के पास है। इस ट्रांजैक्शन में कारोबारी साल 2009-10 में डीबी रियल्टी की एक सब्सिडियरी की ओर से 214 करोड़ रुपए दो अन्य कंपनियों के जरिए कलइगनार टीवी को भेजे गए।

<p style="text-align: justify;">2जी लाइसेंस के आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही एजेंसियां इन दिनों उस ट्रांजैक्शन की तफ्तीश कर रही हैं, जिसमें 200 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम मुंबई स्थित डीबी गुप से कलइगनार टीवी के पास भेजी गई। इस चैनल में बहुमत हिस्सेदारी डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के पारिवारिक सदस्यों के पास है। इस ट्रांजैक्शन में कारोबारी साल 2009-10 में डीबी रियल्टी की एक सब्सिडियरी की ओर से 214 करोड़ रुपए दो अन्य कंपनियों के जरिए कलइगनार टीवी को भेजे गए।</p> <p style="text-align: justify;" />

2जी लाइसेंस के आवंटन में कथित अनियमितताओं की जांच कर रही एजेंसियां इन दिनों उस ट्रांजैक्शन की तफ्तीश कर रही हैं, जिसमें 200 करोड़ रुपए से ज्यादा रकम मुंबई स्थित डीबी गुप से कलइगनार टीवी के पास भेजी गई। इस चैनल में बहुमत हिस्सेदारी डीएमके प्रमुख एम करुणानिधि के पारिवारिक सदस्यों के पास है। इस ट्रांजैक्शन में कारोबारी साल 2009-10 में डीबी रियल्टी की एक सब्सिडियरी की ओर से 214 करोड़ रुपए दो अन्य कंपनियों के जरिए कलइगनार टीवी को भेजे गए।

डीबी रियल्टी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि यह ट्रांजैक्शन टीवी चैनल में 30 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए सिनेयुग नामक इकाई के लिए था। डीबी रियल्टी के सीएफओ और एग्जिक्यूटिव डायरेक्टर आसिफ बलवा ने बताया कि लेकिन यह सौदा कामयाब नहीं हुआ, क्योंकि वैल्यूएशन के मुद्दे पर मतभेद उभर आए और पैसे लौटा दिया गया। जांच एजेंसियों के अधिकारी इस सौदे में इसलिए दिलचस्पी दिखा रहे हैं, क्योंकि डीबी रियल्टी की टेलीकॉम इकाई उन कंपनियों में शुमार हैं, जिन्हें 2008 में 2जी लाइसेंस मिले।

दागदार छवि रखने वाले पूर्व दूरसंचार मंत्री और डीएमके के दिग्गज नेता ए राजा को बुधवार ने सीबीआई ने गिरफ्तार कर लिया था और आरोप है कि पद पर रहते हुए उन्होंने बाजार दरों से कम कीमत पर लाइसेंस बेचे। डीबी ग्रुप की टेलीकॉम इकाई ने 2009 में संयुक्त अरब अमीरात की एतिसलत को 90 करोड़ डॉलर में 45 फीसदी हिस्सेदारी बेची थी। पहले स्वान टेलीकॉम के नाम वाली यह कंपनी अब एतिसलत-डीबी बन चुकी है। जांच एजेंसियों के अधिकारियों ने बताया कि कारोबारी साल 2009-10 में तीन चरणों में पैसा इधर से उधर भेजा गया। पहले में 200 करोड़ रुपए डाइनामिक्स रियल्टी से कुसेगांव रियल्टी प्राइवेट लिमिटेड को भेजे गए।

2009-10 की सालाना रिपोर्ट के मुताबिक, डीबी रियल्टी डाइनामिक्स रियल्टी में 99 फीसदी हिस्सेदारी रखती है, जो की एक पार्टनरशिप फर्म है। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के पास जमा दस्तावेज के मुताबिक इसके बदले में बलवा और डीबी रियल्टी के एक अन्य कर्मचारी राजीव अग्रवाल बाटेकृष्णा को कुसेगांव रियल्टी में बराबर हिस्सेदारी मिली। दूसरे चरण में कुसेगांव रियल्टी ने सिनेयुग फिल्म्स प्राइवेट लिमिटेड में 206 करोड़ रुपए निवेश किए। यह रकम कुसेगांव के 2009-10 के ऑडिट हो चुके सालाना एकाउंट में लोन और एडवांस कैटेगरी में दिखाई गई है। कुसेगांव की सिनेयुग में 49 फीसदी हिस्सेदारी है, जबकि शेष मोरानी बंधुओं के पास है, जो इवेंट मैनेजमेंट कंपनियां चलाते हैं।

सिनेयुग और कुसेगांव के लिए 210 करोड़ रुपए के करीब यह रकम कुल बैलेंस शीट के आकार का 95 फीसदी से ज्यादा है। अंतिम चरण में सिनेयुग ने एडवांस के रूप में 2009-10 में कलइगनार टीवी को 214.8 करोड़ रुपए का भुगतान किया। सिनेयुग के मालिकों ने डीबी रियल्टी के साथ किसी भी तरह के रिश्ते होने से इनकार किया है। सिनेयुग के प्रमोटर करीम मोरानी ने ईटी के ईमेल से भेजे सवालों के जवाब में कहा, ‘सिनेयुग और डीबी गुप के बीच कोई कारोबारी रिश्ते नहीं हैं। कुसेगांव और सिनेयुग के बीच हुआ ट्रांजैक्शन पूरी तरह से कारोबारी ट्रांजैक्शन है और फिलहाल कुसेगांव, सिनेयुग में हिस्सेदारी रखती है।’

उन्होंने आगे जोड़ा, ‘हालांकि, मैं डीबी ग्रुप के प्रमोटर विनोद गोयनका को पिछले चालीस साल से जानता हूं।’ डीबी रियल्टी पर शाहिद बलवा और गोयनका का मालिकाना अधिकार है। मोरानी और बलवा के मुताबिक, 214 करोड़ रुपए की राशि कलइगनार टीवी में 27-34 फीसदी हिस्सेदारी खरीदने के लिए खर्च की गई थी, लेकिन वैल्यूएशन पर मतभेद के चलते सौदा अंजाम तक नहीं पहुंचा। बलवा के मुताबिक इस वक्त शेयर सब्सक्रिप्शन के लिए लगाए गए पैसे को लोन में बदलने के अलावा दूसरा कोई विकल्प नहीं है। उन्होंने कहा, ‘यह लोन कलइगनार टीवी के प्रमोटरों के गिरवी रखे 100 फीसदी शेयरों के समझौते से सुरक्षित है, जो लोन की राशि का 2.5 गुना ज्यादा कवर मुहैया कराते हैं।’ साभार : इकनॉमिक टाइम्‍स

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