राजस्थान का जिला- श्रीगंगानगर। यहां के जिला कलेक्टर भवानी सिंह देथा गुस्सा गए हैं। पत्रकारों को आतंकियों के समान मानने लगे हैं। उन्होंने पत्रकारों के जिला कलेक्ट्रेट परिसर में जाने पर रोक लगा दी है। पुलिस दलबल के साथ कलेक्ट्रेट परिसर गेट पर तैनात है ताकि कोई जर्नलिस्ट गलती से भी अंदर न घुस सके। और ये पहरा हर उस छोटे बड़े गेट पर है जहां से लोग कलेक्ट्रेट परिसर में आ जा सकते हैं। देश में संभवतः पहली बार ऐसा हुआ होगा कि किसी डीएम ने कलेक्ट्रेट परसिर में सिर्फ पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी हो। यह स्थिति आई क्यों?
बताया जाता है कि जिले के पत्रकार रियायती रेट पर भूखंड की मांग को लेकर डीएम के आफिस के पीछे धरना देना शुरू किया। रियायती रेट पर पत्रकारों को भूखंड देने की योजना अशोक गहलोत सरकार ने शुरू की थी। तब कई पत्रकार भूखंड लेने से वंचित रह गए थे। इन पत्रकारों को कहना है कि उन्हें भी रियायती दर पर भूखंड मिले। इसी को लेकर पत्रकार धरना दे रहे थे। इसी बात को लेकर डीएम से पत्रकारों को प्रतिनिधिमंडल मिला। डीएम का कहना है कि पत्रकारों ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया है। इसी के बाद से भड़के डीएम ने पत्रकारों को देखते ही और उनका नाम सुनते ही आग बबूला हो जा रहे हैं। हालांकि उनका यह भी कहना है कि बाकी बचे पत्रकारों को प्रशासन भूखंड देने की लिए कार्यवाही कर रहा है पर वे अब कतई नहीं चाहते कि कोई पत्रकार नाम का प्राणी कलेक्ट्रेट परिसर में टहलता मिले। इसीलिए उन्हें सख्त आदेश दे रखे हैं कि जिला कलेक्ट्रेट परिसर में हर शख्स की इंट्री के पहले उसकी जांच पड़ताल कर ली जाए कि कहीं वो पत्रकार तो नहीं है। पत्रकार अब रियायती दर पर भूखंड लेने की लड़ाई छोड़कर कलेक्ट्रेट परिसर में उनके घुसने पर लगी रोक को हटाने के लिए लड़ रहे हैं।
जिला कलेक्टर भवानी सिंह देथा द्वारा कलेक्ट्रेट को अपनी निजी जागीर मानते हुए पत्रकारों के प्रवेश पर पाबंदी लगाने के खिलाफ श्रीगंगानगर के पत्रकारों का आंदोलन जारी है। पत्रकारों ने रोष मार्च निकाला, भगत सिंह चौक पर सांकेतिक रास्ता रोका और कलेक्ट्रेट के सामने सभा की। सभी कुछ शान्ति पूर्वक निपट जाता मगर जिला कलेक्टर भवानी सिंह देथा की कार्यवाही ने पत्रकारों को जबरदस्ती करने पर मजबूर कर दिया। पत्रकारों का पहले कलेक्ट्रेट के अन्दर जाने का कार्यक्रम नहीं था मगर पुलिस का भारी इंतजाम देख सब भड़क गए। उसके बाद तो पत्रकारों व पुलिस के बीच जमकर धक्कामुक्की हुई। अंत में पत्रकार पुलिस को पीछे धकेलते हुए कलेक्ट्रेट परिसर में घुसने में सफल हो गए।