हर व्यक्ति का जीवन कई उतार चढ़ावों से बना होता है। जिसमें सुख, दुख, रोमांच, संघर्ष, प्रेम और जुनून आदि के अनमोल मोती बिखरे होते हैं। मेरी इस कहानी में भी आपको यह सब मिलेगा। अब आप सोचेंग फिर इसमें अलग क्या है। फर्क क्या है? यह फर्क है विभिन्न परिस्थितियों में आपके नजरिये का। अपने लिए तो हर कोई जीता है, औरों के लिए जीयें, तो कोई बात है। यही वो बात है जो आपको दूसरों से विशिष्ट बनाती है। यह कहानी है, मेरे जुनून की, मेरी आस्था की, मेरे संघर्ष की।
‘’ दे शिवा वर मोहे ऐसे शुभ करमन से कबहुं न डरूं,’’ यही मेरी जिंदकी का मूल मंत्र रहा। पत्रकारिता मेरा अस्त्र रही, लोगों का प्रेम और विश्वास मेरा कवच।
लोगों को उनके मुद्दों और समस्याओं से मुक्ति दिलाने की जो आग मुझमें थी उसमें तपिश ही नहीं शीतलता भी थी। उनका दुख-सुख मेरा दुख-सुख रहा। जन्म से पांच साल के भीतर कुछ कारणों से मेरा अस्तित्व खतरे में आ गया था लेकिन मेरे भाग्य में अभी बहुत कुछ करना लिखा था। मेरे बन्धुओं ने, मेरा साथियों ने मुझमें नए प्राण डाले और फिर जो मैं उठा, तो पीछे नहीं मुड़कर देखा।
सच पूछिए तो इतना आसान नहीं था यह सब। जब आपके दोस्त हजार होते हैं तो दुश्मन भी बहुत सारे हो जाते हैं। लोगों के लिए लड़ने वालों की ऐसी किस्मत होती है। मुझ पर कई आघात हुए। मुझे कमजोर बनाने के लिए कई प्रयास किए गए, पर देखिए न आज मैं आपके सामने हूं, अपनी कहानी सुना रहा हूं, सशक्त हूं। मुझे कुछ नहीं हुआ, जानते हैं क्यों? क्योंकि मेरे पास आप सबकी दुआएं थी, आपका प्यार और विश्वास था। जन चेतना का जो बेड़ा मैंने उठाया था उसे बुलंदियों पर मैं आज पहुंचा पाया हूं। अपने इस सफर में मुझसे लाखों लोग जुड़े, मैंने कई रूप धरे, तेज भागती दुनिया के संग उड़ान भी भरी और सफलताएं छुईं। इन सब में मेरे साथ कदम दर कदम चले हैं आप भी साथ। इसलिए यह कहानी आपकी भी है। चलिए फिर मिल बैठते हैं हम दोनों यार और साथ जीते हैं अतीत के उन हसीन पलों को।
क्रमशः….
अपनी इस जीवन स्मृति में आपको अपने जीवन के अमूल्य अनुभवों से रू-ब-रू कराने के इस प्रयास के पीछे एक मकसद भी है कि आप लोगों के योगदान को सराह सकूं।
देश के प्रमुख हिंदी दैनिकों में से एक प्रभात खबर के 25 साल पूरे होने पर प्रभात खबर खुद अपनी जुबानी इस पच्चीस वर्षीय यात्रा की दास्तान अपने पाठकों को बता रहा है। इस नायाब अभियान के तहत प्रभात खबर की दास्तान का एक हिस्सा हर रोज अखबार में प्रकाशित किया जा रहा है। अब तक कुल 15 हिस्से प्रकाशित किए जा चुके या होने वाले हैं, जिनमें से उपरोक्त पहला पार्ट हमने बी4एम पर प्रकाशित किया है। इन सभी 15 पार्ट को पढ़ने के लिए क्लिक करें-
- आंदोलन की आत्मकथा
- जन्मा एक नया तेवर
- कारवां चलता रहा, अपने मिलते गए
- घर से दूर घर मिला
- हर रिश्ते में मिली अनोखी मिठास
- तेज रफ्तार थी दुनिया, सो हम भी थे हवा पे सवार
- वैष्णव जन तो उन्हें कहिए, पीढ़ पराई जाने जो
- सुलग रही थी दिल में एक आग, कैसे बनाऊं बेहतर समाज?
- हाथ की रेखाओं को बदलना हमारे हाथ में है
- अतिथि देवा भवः
- बिना मरे स्वर्ग नहीं मिलता!
- चोर की दाढ़ी में तिनका!
- मुंह पर तो सब भला बोलते हैं, पीठ पीछे कोई बोले तो कोई बात है!
- दिल की बात रहती दिल में अगर तुम ना होते
- गिरते हैं शहसवार मैदाने जंग में और जब उठते हैं तो जीत कदमों में होती है